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हरियाणा में टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में चंडीगढ़ से फरीदाबाद तक कोहराम मचा हुआ है। खादर में बीरेंद्र व बागड़ में अपनों टिकट कटने का दर्द भी ठीक से बयां नहीं कर पाए। हरियाणा में एक कहावत है ‘ठाडा मार और रौवन भी ना दें’ हुड्डा के सामने दोनों की स्थिति अभी तो कुछ ऐसी ही दिख रही है।

शुक्रवार को लंबें इंतजार के बाद हरियाणा में टिकट वितरण के बाद कांग्रेस में भिवानी से हिसार, करनाल होते हुए फरीदाबाद तक कोहराम मचा हुआ है। भिवानी- महेंद्रगढ़ से श्रुति चौधरी और हिसार से भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए निर्वमान सांसद बृजेंद्र की टिकट कटने पर सबसे अधिक बवाल देखने को मिला। किरण ने शनिवार तो बीरेंद्र ने रविवार को कार्यकर्ताओं की बैठक बुला ली। किरण चौधरी ने रणनीति बनाने के लिए 10 दिन का समय मांगकर कार्यकर्ताओं का ढांढस बताया तो बीरेंद्र ने बेटे बृजेंद्र को प्रदेश का सीएम बनाने का सपना दिखाकर किसी प्रकार खुद को संभाला। ठाडा मारै, रौवन भी ना दें, भूपेंद्र हुड्डा के सामने मजबूर दोनों नेताओं की स्थिति कुछ ऐसी बनी हुई है।

कार्यकर्ताओं से क्या बोले बीरेंद्र 

रविवार को जींद में कार्यकर्ताओं से बीरेंद्र सिंह ने कहा कि टिकट ऊपर से नहीं नीचें से कटी है। बृजेंद्र न केवल जीतने की स्थिति में था, बल्कि उसका दावा भी सबसे मजबूत था। बीरेंद्र सिंह ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि भूपेंद्र हुड्डा के बड़े भाई भाई की तहरवीं थी। जहां प्रदेश के नेता जब रणबीर हुड्डा के सीएम बनने के सपने का मजाक उड़ाने वालों से कहा था कि अब तो मैं मुख्यमंत्री का भी बाप बन गया। अपना भी अब ऐसा ही होगा। प्रदेश में बनाए जा रहे नए हाइवे से अब हम 62 के साथ चंडीगढ़ में लैंड करेंगे। लोस में बृजेंद्र को टिकट नहीं मिला तो क्या हुआ, विस में जीत के काबिल लोगों की टिकट जरूर मिलेगी। फिर चाहे कितनी ही बड़ी लड़ाई क्यों न लड़नी पड़े।

सीएम बनने की चाह में छोड़ी थी कांग्रेस 

भूपेंद्र हुड्डा से सीएम की लड़ाई हारने के बाद अपना सपना पूरा करने के लिए ही बीरेंद्र सिंह 2014 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए थे। जहां बिना लोकसभा चुनाव लड़े मोदी मंत्रीमंडल में कैबिनेट मंत्री बने। घर की चारदीवारी से निकालकर पत्नी को विधानसभा भेजा। जब बेटे ने आईएएस की नौकरी छोड़ राजनीति में कदम रखा तो भाजपा ने 2019 की मोदी लहर में उन्हें भी सांसद बनाकर लोकसभा भेज दिया। बेटे को टिकट मिला तो बीरेंद्र सिंह को मंत्रीपद छोड़ना पड़ा परंतु सीएम बनने का सपना भाजपा में आने के बाद भी अधूरा ही रह गया। 10 साल बाद कांग्रेस में वापसी की तो बेटे को लोकसभा का टिकट दिलाने में नाकाम रहे। जिससे हताश कार्यकर्ताओं को अब सीएम बनने के अपने सपने को बेटे से पूरा करवाने का झुनझुना पकड़ा दिया।

2019 में दानसिंह ने घाला था न्यौता, 2024 में उससे ज्यादा हम देवैंगे

शुक्रवार को हुए टिकटों के ऐलान के बाद किरण ने शनिवार को भिवानी में कार्यकर्ताओं को संबोंधित करते हुए कहा था कि पार्टी का फैंसला सिर माथे, हम पार्टी के सच्चे सिपाही हैं। राव दानसिंह ने 2019 के लोकसभा चुनाव में श्रुति की मदद कर जो न्यौता घाला था, 2024 के चुनाव में हम उससे ज्यादा करेंके लौटाएंगे। कार्यकर्ताओं को निराश होने की जरूरत नहीं है। राजनीति में यह सब चलता रहता है। पहले चौ. बंसीलाल व चौ. सुरेंद्र सिंह के साथ हुआ था। बिना नाम लिए हुड्डा की तरफ इशारा करते हुए कहा था कि किसने किया यह किसी को बताने की जरूरत नहीं, आप सभी जानते हैं। कार्यकर्ताओं की राय लेने के बाद हम सभी रणनीति बनाएंगे।

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