राखीगढ़ी में आज भी हड़प्पन कल्चर: 8 कंकालों के डीएनए से होगा खुलासा, हड़प्पन भारत में कहां-कहां रहे, खानपान पर भी मोहर 

Team of scientists taking samples of skeletons found during excavation on molehill in Rakhigarhi
X
राखीगढ़ी में तिल पर खुदाई के दौरान निकले कंकाल का सैंपल लेते हुए वैज्ञानिकों की टीम।
राखीगढ़ी में हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर इस बात पर मोहर लगी कि वो लोग 8 हजार वर्षों से लगातार यहां पर रह रहे हैं। तीन सालों में आठ कंकालों को डीएनए के लिए लिया गया है।

Narnaund: राखीगढ़ी में हड़प्पा कालीन सभ्यता को लेकर इस बात पर मोहर लग चुकी है कि वो लोग आठ हजार वर्षों से लगातार यहां पर रह रहे हैं। पिछले तीन सालों में आठ कंकालों को डीएनए के लिए लिया गया है। इन कंकालों से कान की हड्डी और दांत के डीएनए से वैज्ञानिक अलग-अलग पहेलियां सुलझाने के लिए शोध कर रहे हैं। अगर इनके डीएनए की रिपोर्ट सही तरीके से मिली तो यह पता चल जाएगा कि वह कहां पर पैदा हुआ था और देश में किस-किस जगह पर गया था। खाने में क्या-क्या खाद्य वस्तु प्रयोग करते थे। वह कंकाल कितने साल पुराने होंगे। अगर डीएनए रिपोर्ट सही पाई गई तो राखी के इतिहास में एक और अध्याय जुड़ जाएगा।

राखीगढ़ी में आज भी हड़प्पन कल्चर

हजारों वर्ष बीत गए लेकिन राखी गढ़ी के लोगों में आज भी हड़प्पन कल्चर मिल रहा हैं। उनका रहन-सहन और कद काठी काफी मिलती-जुलती है। राखी गढ़ी के 20 अलग-अलग लोगों का डीएनए लिया गया था। उनमें हड़प्पन लोगों का डीएनए काफी हद तक मिलता-जुलता पाया गया। देश के अलग-अलग भागों से भी सैकड़ों लोगों के डीएनए सैंपल लिए गए थे। उनका डीएनए भी उन लोगों से मेल खाता है। जैसे आंध्र प्रदेश के एक गांव से भी दर्जनों लोगों के डीएनए सैंपल लिए थे। उनमें से भी दो लोगों का डीएनए हड़प्पन लोगों से मेल खाता हुआ मिला।

वर्ष 2021 से लगातार खुदाई शुरू

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अपर महानिदेशक डॉ. संजय कुमार मंजुल के नेतृत्व में 2021 से लगातार खुदाई शुरू हैं। टीलें पर सात से आठ कंकालों को डीएनए के लिए लखनऊ की बीरबल साहनी पूरा वैज्ञानिक संस्थान में भेजा गया है। पहले भी इसी संस्थान में कंकालों का डीएनए किया गया था और अभी इन आठ कंकालों का डीएनए करने का काम जोर-शोर से चला हुआ है।

वर्ष 2013 से 2016 तक खुदाई में मिले 70 कंकाल

राखीगढ़ी में टीलें सात पर प्रोफेसर वसंत शिंदे के नेतृत्व में वर्ष 2013 से 2016 तक खुदाई की गई थी जिसमें करीब 70 कंकाल पाए गए थे। जिनमें से डीएनए के लिए 22 कंकालों को लिया गया था। उनमें से एक कंकाल में ही डीएनए मिला था। इस कंकाल के डीएनए से यह पता चला था कि वह साढ़े चार हजार वर्ष पुराना है।

छह महीने में रिपोर्ट आने की उम्मीद

बीरबल साहनी पूरा विज्ञान संस्थान लखनऊ के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. नीरज राय ने बताया कि आठ कंकालों का डीएनए लिया गया है। कान की हड्डी और दांत के डीएनए से बड़ा खुलासा होने की उम्मीद है रिपोर्ट आने में 6 महीने लगेंगे। उसके बाद इस रिपोर्ट को क्रॉस चेकिंग के लिए तीन एक्सपर्ट लोगों के पास भेजा जाएगा। अगर वह मिलान सही पाया गया तो हमारे डीएनए पर मोहर लग जाएगी।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story