डंकी से डिपोर्ट तक : कोई खेत बेचकर तो कोई कर्जा लेकर 40 लाख में गया था अमेरिका, खाली हाथ लौटने से कर्जमंद हुए परिवार

Mourning spread at the house of a young man who was deported from America.
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फतेहाबाद के दिगोह गांव में अमेरिका से डिपोर्ट हुए गगनप्रीत सिंह की मां को दिलासा देतीं पड़ोस की महिलाएं।
अमेरिका से डिपोर्ट होकर बुधवार को 33 हरियाणवी अमृतसर एयरपोर्ट लाए गए हैं। उन्हें लेने के लिए हरियाणा के विभिन्न जिलों से उनके परिजन अमृतसर रवाना हो गए हैं।

जींद/कैथल/फतेहाबाद। अमेरिका से डिपोर्ट होकर बुधवार को 33 हरियाणवी अमृतसर एयरपोर्ट लाए गए हैं। उन्हें लेने के लिए हरियाणा के विभिन्न जिलों से उनके परिजन अमृतसर रवाना हो गए हैं। भावुक होकर आंसू पोंछते हुए परिजनों ने बताया कि खेत बेचकर व कर्जा लेकर बच्चों को अमेरिका भेजा था, लेकिन अब सब बर्बाद हो गया। वहीं, कुछ परिजनों ने यह संतोष जताया कि उनके बच्चे सही सलामत आ गए। डिपोर्ट किए गए युवाओं में से अधिकतर डंकी रूट से अवैध तरीका अपनाकर अमेरिका गए थे। हर युवा की एक दर्द भरी दास्तां है।

खेत बेचकर पढ़ने भेजा था इंग्लैंड, बाद में डंकी से अमेरिका गया

डिपोर्ट हुए फतेहाबाद जिले के दो युवाओं में भूना निवासी गुरनाम सिंह और गांव दिगोह निवासी गगनप्रीत शामिल हैं। गगनप्रीत सिंह के माता-पिता व छोटी बहन की आंखों से आंसू नहीं रुक रहे। इकलौते बेटे के भविष्य को लेकर उसकी मां चारपाई पर बैठी हुई बार-बार बेहोश हो रही थी। गांव के सरपंच हरसिमरन सिंह व ग्रामीण मौके पर परिजनों को संभाल रहे थे। डॉक्टर को भी मौके पर बुलाया गया। पिता सुखविंदर सिंह उर्फ काला को सभी सांत्वना दे रहे थे। सुखविंदर सिंह ने अपने 24 वर्षीय इकलौते बेटे गगनप्रीत सिंह को विदेश में पढ़ाई और जॉब करने के लिए सपने संजोए थे। इसके लिए उन्होंने अपनी साढ़े तीन एकड़ जमीन में से ढाई एकड़ जमीन बेचकर इंग्लैंड का वीजा लगवाकर सितंबर 2022 में विदेश भेजा था। वहां पर पार्ट टाइम जॉब नहीं मिलने के कारण बीए तृतीय वर्ष की यूनिवर्सिटी फीस नहीं दे सका। इधर, घरेलू हालात भी आर्थिक रूप से कमजोर हो गए, इसलिए गगनप्रीत इंग्लैंड में वीजा एजेंट के झांसे में आकर डंकी रूट से अमेरिका में जनवरी 2025 में जॉब करने के लिए पहुंच गया। जहां पर अवैध तरीके से एंट्री करने के चलते गगनप्रीत सिंह को कुछ दिन पहले ही हिरासत में ले लिया था। इसके कारण परिजनों से करीब 20 दिनों से फोन पर संपर्क नही हो पा रहा था।

40 लाख खर्च कर भेजा था डंकी रूट से अमेरिका, दो माह जंगलों में भटकता रहा

जींद जिले के भी चार युवाओं को डिपोर्ट किया गया है। इनमें जींद से रवि, चुहड़पुर गांव से अजय, खरकभूरा गांव से रोहित शर्मा और संडील से मनदीप शामिल हैं। ज्यादातर युवा दो से तीन माह पहले ही अमेरिका गए थे। इनमें से एक जींद के चुहड़पुर गांव का 21 वर्षीय अजय भी 12वीं पास कर डंकी के रास्ते अमेरिका गया था। परिवार के लोगों ने रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों से जुगाड़ कर 40 लाख रुपये में अजय को अमेरिका भेजा, लेकिन कैंप तक पहुंचने से पहले ही अजय को डिपोर्ट कर दिया गया। दो माह तक अजय बीच रास्ते में जंगलों में ही रहा। एक माह पहले ही मैक्सिको की दीवार को क्रॉस कर अजय अमेरिका की तरफ कूदा था। इसके बाद वहां की पुलिस की कस्टडी में रहा। आगामी कुछ दिनों में अजय कैंप में जाने वाला था लेकिन तभी आदेश आए कि अजय समेत 104 प्रवासियों को वापस डिपोर्ट किया जाए। अजय के पिता खुशी राम बैटरियों का काम करते हैं। पिछले एक माह से परिवार की अजय के साथ बात नहीं हो पाई है। वहीं, जींद के रवि के बारे में अभी तक परिजनों को कुछ भी जानकारी नहीं मिल पाई है।

हमने तो लंदन भेजा था, अमेरिका कैसे पहुंच गया

जींद जिले के गांव खरकभूरा का युवक रोहित शर्मा जनवरी 2024 में स्टडी वीजा पर लंदन पढ़ने गया था। इसके बाद उसके अमेरिका पहुंचने की परिजनों को कोई जानकारी नहीं है। परिजनों की 15 दिनों से रोहित से बात भी नहीं हो पा रही थी। बुधवार को जैसे ही अमृतसर आने की सूचना मिली तो परिजन उसे लेने के लिए रवाना हो गए। पिता सुरेश ने कहा कि जब वह अपने बेटे से मिलेंगे तो इसके बारे में उससे ही पूछेंगे।

35 लाख रुपये में हुआ था अमेरिका भेजने का सौदा, सब अरमान धरे रह गए

कैथल के अटेला गांव निवासी अमन के परिजनों ने बताया कि अमन 5 महीने पहले अमेरिका गया था। वहां जाने के बाद अमेरिका की पुलिस ने उसे पकड़ लिया। तब से वह शरणार्थी था। करीब 5 माह बाद उसे वहां से अब डिपोर्ट कर दिया गया है। अमन के पिता कृष्ण ने बताया कि उन्होंने अमन को विदेश भेजने के लिए करीब 35 लाख रुपए में बातचीत की थी। उनमें से कुछ राशि दे भी दी थी। बाकी राशि ठीक-ठाक पहुंचाने के बाद देने की बात हुई थी। उन्होंने यह राशि अपने रिश्तेदारों, जानकारों व भाईचारे से इकट्ठे की थी। उम्मीद थी कि वह अमेरिका जाकर सैटल हो जाएगा, लेकिन अब उनके अरमान धरे रह गए।

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