प्रदूषण से आजादी: घरों में पेड़ लगाने, पॉलीथिन को ना कहने व जैविक खेती अपनाने का पढ़ा रहे पाठ

Freedom from pollution
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जागरूकता अभियान के तहत सफाई अभियान चलाते संस्था सदस्य।
प्रकृति और जैव विविधता से अनावश्यक रूप से हो रही छेड़छाड़ का पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जिससे मानव जीवन भी प्रभावित हो रहा है।

Freedom from poppution, news। ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन ने हरियाणा की धरती से प्रदूषण से आजादी अभियान की शुरूआत की है। जिसका मुख्य उददेश्य शिक्षा संस्थान, सोसाइटीज, कॉलेजों और आम जनता के बीच जाकर लोगों को पर्यावरण संरक्षण के बारे में जागरूक करना है। इसके साथ लोगों को घरों में पेड़ लगाने, प्लास्टिक और पॉलीथिन का प्रयोग बंद करने, वाहनों से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करने और जैविक खेती के फायदे बताकर उन्हें इसे अपनाने के लिए प्रेरित करना भी है। धीरे धीरे इस मुहिम को देश के कोने कोने तक पहुंचाना है,ताकि पर्यावरण को जनमानस से जोड़ा जा सके।

पेड़ों पर कहीं विकास तो कहीं कालाबाजारी की चल रही आरी

फाउंडेशन के संस्थापक सैंडी खांडा ने कहा कि आज भारत ही नहीं पूरे विश्व में कहीं विकास तो कहीं कालाबाजारी के नाम पर पेड़ों पर आरी चलाई जा रही है। प्रकृति और जैव विविधता से अनावश्यक रूप से हो रही छेड़छाड़ का पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। जिससे मानव जीवन भी प्रभावित हो रहा है। इससे वायु प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन, पानी का स्तर गिरना, अत्यधिक गर्मी पड़ना और मानसिक समस्याएं भी बढ़ रही है। इस साल अचानक बढ़ा गर्मी का प्रकोप इसका प्रमाण है, जिससे अब तक देश में कई लोगों की जान जा चुकी है।

एक नहीं कई फैक्टर जिम्मेदार

पर्यावरण संतुलन को बिगड़ने के लिए कई फैक्टर जिम्मेदार हैं। जिनमें से अनावश्यक रूप से प्रकृति से छेड़छाड़ के साथ पॉलीथिन का बढ़ता प्रयोग, फैक्ट्रियों व वाहनों से निकलने वाला धुआं, कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था का न होना, पर्यावरण के प्रति लोगों में जागरूकता का अभाव जैसे कई फैक्टर जिम्मेदार है। सामूहिक प्रयासों से ही ऐसी समस्याओं से निपटा जा सकता है, जिसके लिए लोगों का जागरूक होना जरूरी है। ग्रीन पेंसिल फाउंडेशन की पहल इसी दिशा में किया गया एक प्रयास है, ताकि पर्यावरण का संरक्षण कर आने वाली पीढ़ियों को स्वच्छ वातारण दिया जा सके।

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