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हरियाणा के सिरसा लोकसभा क्षेत्र में इस बार राष्ट्रीय पार्टियों में आमने-सामने की टक्कर देखी जा रही है। पंजाबी, बागड़ी व देशवाली बोली के मिश्रण वाला सिरसा संसदीय क्षेत्र में 9 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो तीन जिलों के अंतर्गत आते हैं।

महाबीर गोदारा, सिरसा: पंजाब व राजस्थान की सीमा से सटे सिरसा लोकसभा क्षेत्र में इस बार राष्ट्रीय पार्टियों में आमने-सामने की टक्कर देखी जा रही है। पंजाबी, बागड़ी व देशवाली बोली के मिश्रण वाला सिरसा संसदीय क्षेत्र में 9 विधानसभा क्षेत्र हैं, जो तीन जिलों के अंतर्गत आते हैं। कभी यह संसदीय क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का गढ़ माना जाता था। पार्टी में विघटन के बाद इनेलो व जजपा के उम्मीदवार भी यहां से लड़ रहे हैं, लेकिन मुकाबला सीधे तौर पर कांग्रेस व भाजपा में नजर आ रहा है। इस बार इस लोकसभा क्षेत्र से पार्टी की बजाए चेहरों के नाम पर भी वोटरों का झुकाव है।

भाजपा ने डॉ. तंवर तो कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को मैदान में उतारा
भारतीय जनता पार्टी ने सिरसा से मौजूदा सांसद सुनीता दुग्गल का टिकट काटकर पूर्व सांसद अशोक तंवर को चुनाव मैदान में उतारा है। तंवर द्वारा थोड़े समय में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से कई पार्टियां बदलना भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर रहा है। कांग्रेस ने कुमारी सैलजा को यहां से उम्मीदवार बनाया है जो 26 साल बाद सिरसा से एक बार फिर चुनाव मैदान में उतरी है। सैलजा यहां अपने पिता स्व. पूर्व सांसद दलबीर सिंह के नाम व अपने पूर्व में किए गए काम के नाम पर वोटरों के बीच जा रही है। यहां पर कांग्रेस पार्टी की बजाए वोटरों में सैलजा का चेहरा ज्यादा प्रभाव छोड़ रहा है। तंवर यहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लोगों के बीच जा रहे हैं और उनके काम पर वोट मांग रहे हैं। अगर देखा जाए तो कांग्रेस को यहां पर सैलजा के चेहरे व तंवर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट पड़ रहे हैं।

इनेलो उम्मीदवार को पड़ने वाले वोट में भाजपा तलाश रही जीत
भाजपा इनेलो उम्मीदवार को पड़ने वाले वोट में अपनी जीत देख रही है। इसके पीछे तर्क दिया जा रहा है कि अगर इनेलो का वोट बैंक नहीं खिसका तो भाजपा को कुछ राहत मिल सकती है। यहां से इनेलो ने नरवाना विधानसभा क्षेत्र के संदीप लोट को उम्मीदवार बनाया है, जबकि जजपा ने पूर्व विधायक रमेश खटक को चुनाव मैदान में उतारा है। इनेलो व जजपा दोनों पार्टियों के स्थानीय नेता जरूर प्रचार में जुटे हैं, लेकिन इनेलो के महासचिव अभय चौटाला खुद कुरुक्षेत्र के रण में उतरे हैं, वहीं पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की मां नैना चौटाला हिसार से चुनाव लड़ रही है। बड़े नेताओं के चुनाव लड़ने के चलते स्थानीय नेताओं के सहारे इनेलो व जजपा के उम्मीदवार अपनी जीत ढूंढ रहे हैं।

किसान आंदोलन का देखा जा रहा प्रभाव
किसान आंदोलन का प्रभाव पूरे सिरसा लोकसभा क्षेत्र में साफ तौर पर देखा जा रहा है। भाजपा-जजपा उम्मीदवारों को कई गांवों में किसानों ने घेरा और कई जगह तो कहासुनी भी हुई। इस कहासुनी के चलते प्रदर्शनकारी किसानों पर मुकदमें भी दर्ज किए गए। प्रचार के अंतिम दिन कांग्रेस प्रत्याशी कुमारी सैलजा के पक्ष में जहां पार्टी की फायर ब्रांड नेता प्रियंका गांधी ने रोड शो करके पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरा, वहीं भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी चुनाव प्रचार कर चुके हैं। चौटाला के गढ़ माने जाने वाले सिरसा लोकसभा क्षेत्र में इस बार कांग्रेस व भाजपा में सीधी टक्कर बनी हुई है और असली स्थिति तो 4 जून को ईवीएम खुलने के बाद ही स्पष्ट होगी।

19 उम्मीदवार आजमा रहे किस्मत
सिरसा लोकसभा सीट से भाजपा के डॉ. अशोक तंवर, कांग्रेस से कुमारी सैलजा, जजपा से रमेश खटक, इनेलो से संदीप लोट, बसपा से लीलू राम आसाखेड़ा, बहुजन रिपब्लिकन सोसलिस्ट पार्टी से डॉ. राजेश महेंदिया, भारतीय आशा पार्टी से राजेंद्र कुमार, लोकतांत्रिक लोकराज्यम पार्टी से धर्मपाल बरतिया, पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डैमोक्रेटिक) से मिस्त्री दौलत राम के अलावा बगदावत राम, राहुल चौहान, करनैल सिंह ओढां, जसबीर सिंह, सुखदेव सिंह संधू, रणसिंह पंवार, सुरेंद्र कुमार फूलां, सतपाल लढवाल, नवीन कुमार कमांडो व जोगेन्द्र राम निर्दलीय के तौर पर चुनाव मैदान में हैं।

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