Deputy CM Dushyant Chautala बोले: अंबाला में एसवाईएल पर पुल का काम 85 प्रतिशत पूरा, जल्द होगा बचा हुआ कार्य 

Haryana Deputy Chief Minister Dushyant Chautala
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हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला।
उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अम्बाला में तीन नए पुलों का निर्माण एनएच-152 से गांव खैरा तक लिंक रोड पर एसवाईएल नहर, नरवाना ब्रांच व समानांतर नाले पर किया जाएगा।

Haryana: उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि अम्बाला जिले में तीन नए पुलों का निर्माण एनएच-152 (अम्बाला हिसार रोड) से गांव खैरा तक लिंक रोड पर एसवाईएल नहर, नरवाना ब्रांच और समानांतर नाले पर किया जा रहा है। विधानसभा बजट सत्र के दौरान दुष्यंत चौटाला ने बताया कि एसवाईएल नहर पर पुल का 85 फीसदी काम पूरा हो चूका है। एजेंसी के साथ चल रहे मुकदमें के कारण शेष कार्य रुका हुआ है इसलिए अब एजेंसी का अनुबंध समाप्त कर दिया गया है। शेष कार्य की निविदा आमंत्रित की जा रही है और यह कार्य 30 सितम्बर तक पूरा होने की सम्भावना है। इनके अलावा नरवाना शाखा और समानांतर नाले पर पुल का कार्य पूरा हो चुका है।

पानीपत में उद्योगों के हित में कॉमन बॉयलर लगाने के प्रयास जारी

उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया कि पानीपत के उद्योगों को लाभकारी बनाने के लिए कॉमन बॉयलर लगाने का सरकार विचार कर रही है। एचएसआईआईडीसी ने पानीपत में सामान्य बॉयलर की फिजिबिलिटी अध्ययन के दोबारा आंकलन के लिए आईआईटी कानपुर को नियुक्त किया है। सर्दियों के मौसम में उच्च प्रदूषण स्तर के दौरान एनसीआर में औद्योगिक संचालन को ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) के तहत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों सीएक्यूएम के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के निर्देशों के अनुसार विनियमित किया जा रहा है। अनुमोदित ईंधन का उपयोग करके बॉयलरों के संचालन पर कोई प्रतिबंध नहीं है, बशर्ते उत्सर्जन सहित अन्य सभी लागू पर्यावरणीय मानदंडों का अनुपालन किया जाए।

मोरनी में लैंड मैपिंग के बाद होगा सेटलमेंट का काम

डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला ने कहा कि कालका के मोरनी ब्लॉक में जमीन मैपिंग का कार्य जारी है। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण मैपिंग के कार्य में समय लग रहा है। सरकार ने कई बार सर्वे करने का प्रयास किया है, यहां तक कि ड्रोन से भी कोशिश की गई है। सरकार ने लैंड मैपिंग के लिए करीब 300 नए रोवर्स खरीदे है। ऐसे में लैंड मैपिंग के बाद ही सेटलमेंट (बंदोबस्त) की दिशा में काम किया जाएगा। मोरनी में सिविलियन और फॉरेस्ट की जमीनों पर एक-दूसरे का कब्जा है, इसलिए पूरे लैंड की मैपिंग का कार्य जरूरी है।

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