Logo
अमेरिका से डिपोर्ट होकर आए युवकों के सामने अब कर्ज और बेरोजगारी का बड़ा संकट खड़ा हो गया है। न्याय की आस में अब करनाल के दो युवकों ने 3 एजेंटों पर केस दर्ज करवाया है। इनकी शिकायत से पता चलता है कि एजेंटों का यह जाल गांव से लेकर दिल्ली और पंजाब तक फैला है। बड़े शातिर तरीके से सुनहरे सपने देखने वाले युवकों को फंसाया जाता है।

करनाल। अमेरिका से डिपोर्ट होकर आने के बाद अब युवाओं ने एजेंटों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवानी शुरू कर दी है। डिपोर्ट होकर आए करनाल के आकाश और सुमित की शिकायत पर 3 एजेंटों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। अभी इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है। आरोप है कि इन एजेंटों ने 40-50 लाख रुपये लेकर युवाओं को जंगलों के रास्ते अवैध तरीके से अमेरिका भेजा था। अमेरिका पहुंचते ही इन युवाओं को पकड़ लिया गया और जंजीरों में बांधकर 5 फरवरी को वापस भारत भेजा गया। भारत वापस लौटे 104 लोगों में 33 हरियाणा के हैं। अब इनकी शिकायत पर करोड़ों रुपये हड़प चुके एजेंटों पर हरियाणा सरकार ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पीड़ितों की शिकायत देखकर पता चलता है कि गांव-गांव में एजेंटों ने जाल बिछा रखा है। 

जालंधर के एजेंट को चार किस्तों में दिए थे पैसे

करनाल के कालरम के शुभम ने बताया कि छोटा भाई आकाश अमेरिका जाना चाहता था। उसकी मुलाकात दिल्ली में संदीप हुई। संदीप के जरिये जालंधर के रॉकी से मिले। एजेंट रॉकी ने अमेरिका भेजने के लिए 42.50 लाख रुपये मांगे। शुभम ने बताया कि उन्होंने 7.50 लाख बसताड़ा टोल टैक्स पर, 10 लाख रुपये कुटेल पुल के पास, 20 लाख बसताड़ा पुल के पास और 5 लाख रुपये गांव के अड्डे पर दिए। इसके बाद जब 25 जनवरी को आकाश अमेरिका पहुंचा तो वहां उसे गिरफ्तार करके कैंप में भेज दिया। अब उसे जंजीरों में जकड़कर वापस भारत भेज दिया। उन्हें जहां लाखों रुपये का नुकसान हुआ, वहीं कई महीनों तक यातनाएं भी सही। शुभम ने मधुबन पुलिस थाने में रॉकी और उसके साथी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए धारा 406, 420 और इमिग्रेशन एक्ट की धारा 24 के तहत केस दर्ज कर लिया। 

7 महीने अमेरिका जाने में लगे, 10 दिन में वापस भेजा

डिपोर्ट होकर लौटे आकाश ने बताया कि वह 20 जून 2024 को दिल्ली गया था। एक महीने बाद उसे मुंबई भेजा तो वहां भी 2 महीने रुका। इसके बाद फ्लाइट से ब्राजील गया और वहां भी एक महीने रुका। यहां से बोलीविया गया और 5-6 दिन वहां मुझे रखा गया। फिर से ग्वाटेमाला में एक महीना रहा और फिर पनामा के जंगलों को सात दिन में पार किया। यहां से होंडुरस और फिर साउथ अमेरिका से होते हुए मैक्सिको पहुंचा, जहां भी एक महीना रुकना पड़ा। 25 जनवरी 2025 की रात अमेरिका में दाखिल हुआ और उसी दिन गिरफ्तार कर कैंप में उसे भेज दिया गया। इसके बाद हाथ-पैरों में बेड़ियां डालकर उन्हें वापस भारत भेज दिया गया। 

सुमित बोला- डेढ़ एकड़ जमीन और आठ लाख रुपये में हुआ था सौदा

डिपोर्ट होकर आए सुमित ने बताया कि गांव के ही विक्रम सिंह ने उसे प्रदीप राणा से मिलवाया, जिसने अमेरिका भेजने के बदले 40 लाख रुपये मांगे। उसने किसी तरह 8 लाख रुपये नकद दिए और 1.5 एकड़ जमीन का बयाना एजेंट के नाम लिखवाया। सुमित भी 25 जनवरी को अमेरिका पहुंचा था और वहां उसे गिरफ्तार कर अब वापस 5 फरवरी को डिपोर्ट कर दिया। सुमित ने असंध थाने में विक्रम और प्रदीप राणा के खिलाफ केस दर्ज कराया है। 
 

5379487