Haryana tourism: नारनौल में 18वीं सदी की बावड़ी को बनाया संरक्षित स्मारक, समेटे है कई खासियत

नारनौल की ऐतिहासिक नागपुरिया बावड़ी।
Haryana tourism : हरियाणा सरकार ने जिला महेंद्रगढ़ के नारनौल शहर में स्थित 18वीं शताब्दी की नागपुरिया बावड़ी को हरियाणा प्राचीन तथा ऐतिहासिक संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल तथा अवशेष अधिनियम, 1964 के तहत एक संरक्षित स्मारक के रूप में अधिसूचित किया है। यह कदम क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। विरासत तथा पर्यटन विभाग द्वारा 15 जुलाई 2025 को जारी अधिसूचना संख्या 12/250-2024/पुरा/3117-25 के माध्यम से यह घोषणा की गई है।
जिन व्यापारियों ने बनवाई थी वह नागपुर चले गए
उपायुक्त डॉ. विवेक भारती ने बताया कि नागपुरिया बावड़ी 18वीं शताब्दी में नारनौल के स्थानीय व्यापारियों द्वारा बनाई गई थी, जो बाद में नागपुर चले गए थे। यह बावड़ी प्राचीन भारतीय वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है, जो अपनी सीढ़ीदार बनावट के लिए जानी जाती है, जो आगंतुकों को पानी के स्रोत तक ले जाती है। इसकी तीन मंजिला इमारत जटिल नक्काशी से सुसज्जित है, जो उस युग के कलात्मक कौशल और स्थापत्य परिष्कार को दर्शाती है।
धर्मशाला और मंदिर के पास है बावड़ी
नागपुरिया बावड़ी की यह ऐतिहासिक संरचना सुंदर बड़ा-छोटा तालाब, एक धर्मशाला और ठाकुरजी को समर्पित एक मंदिर के पास स्थित है। अपने समय में यह बावड़ी राहगीरों के बेहद काम आती थी। राहगीर यहां रुककर अपनी थकान दूर करते थे। डॉ. विवेक भारती ने कहा कि नागपुरिया बावड़ी जैसी ऐतिहासिक संरचनाओं का संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह कदम न केवल इस अनूठी बावड़ी को बचाएगा बल्कि नारनौल के गौरवशाली अतीत को भी उजागर करेगा।
नारनौल के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करेंगे
इस अधिसूचना के माध्यम से, बावड़ी को अब पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, हरियाणा की राज्य सुरक्षा के तहत लाया गया है। यह संरक्षण सुनिश्चित करेगा कि बावड़ी की ऐतिहासिक और स्थापत्य अखंडता बनी रहे और इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संरक्षित किया जा सके। यह नारनौल के ऐतिहासिक महत्व को उजागर करने और विरासत पर्यटन को बढ़ावा देने का भी काम करेगा। अंतिम अधिसूचना की प्रतियां आवश्यक कार्रवाई के लिए विभिन्न सरकारी विभागों को भेजी गई हैं, जिनमें उपायुक्त, जिला राजस्व अधिकारी, उपमण्डल अधिकारी नागरिक, तहसीलदार नारनौल और नगरपालिका के कार्यकारी अधिकारी शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, अधिसूचना की प्रतियां अशोक कुमार परिचर, छत्ता राय बाल मुकुंद दास, नारनौल को वितरित और स्मारक पर चिपकाने के निर्देश के साथ भेजी गई हैं।
कई ऐतिहासिक इमारतों का गवाह है नारनौल
नारनौल में कई मुगलकालीन इमारतें, मकबरे, हवेलियां और बावड़ियां हैं, जो आज भी खड़ी हैं। सरकार द्वारा इन्हें संरक्षित करने की कोशिश की जा रही है। तत्कालीन गवर्नर शाह कुली खान ने जल महल बनवाया था। यह 1591 में खान सरोवर के नाम से जाना जाता था। मिर्जा अली जान की बावड़ी भी नारनौल की विरासत में अहम स्थान रखती है।
