नारनौल मेडिकल कॉलेज: 750 करोड़ का प्रोजेक्ट, फिर भी दाखिले पर सस्पेंस, नामकरण और राजनीतिक खींचतान जारी

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नारनौल में बना मेडिकल कॉलेज। 

नारनौल के कोरियावास में 750 करोड़ से बने महर्षि च्यवन मेडिकल कॉलेज का नाम एमबीबीएस के दाखिलों के लिए जारी पहली लिस्ट में शामिल नहीं है। हालांकि, कॉलेज के डायरेक्टर ने कहा है कि दाखिले की लिस्ट में नाम शामिल कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।

हरियाणा के नारनौल में बना महर्षि च्यवन मेडिकल कॉलेज आज अनिश्चितता के दौर से गुजर रहा है। यह कॉलेज न केवल आधुनिक सुविधाओं से लैस है बल्कि महेंद्रगढ़ और आसपास के जिलों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं की एक नई उम्मीद भी है। लेकिन, 750 करोड़ रुपये की भारी भरकम लागत और 800 बेड वाले अस्पताल के बावजूद, इस साल यहां एमबीबीएस और बीडीएस की कक्षाएं शुरू होने पर सवालिया निशान लगा हुआ है।

सरकार की लिस्ट में नहीं है नाम

हाल ही में हरियाणा सरकार ने मेडिकल कॉलेजों में दाखिले के लिए पहली लिस्ट जारी की, जिसमें नारनौल के इस महत्वाकांक्षी कॉलेज का नाम गायब था। यह खबर उन सभी छात्रों और अभिभावकों के लिए निराशाजनक है जो यहां दाखिले का सपना देख रहे थे।

महर्षि च्यवन मेडिकल कॉलेज के निदेशक पवन कुमार गोयल ने भी इस बात की पुष्टि की है कि अभी तक लिस्ट में उनके कॉलेज का नाम शामिल नहीं है। हालांकि, उन्होंने उम्मीद जताई है कि जल्द ही इसे जोड़ा जाएगा और इसके लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। यह स्थिति लोगों के मन में कई सवाल खड़े करती है कि क्या कोई राजनीतिक दबाव इस कॉलेज के भविष्य को प्रभावित कर रहा है? या फिर कुछ और कारण है जिससे इसका नाम इस लिस्ट में नहीं आ पाया।

कॉलेज को लेकर विवाद और नामकरण का मसला

यह सिर्फ दाखिले का ही मसला नहीं है, बल्कि इस कॉलेज का इतिहास शुरू से ही विवादों में रहा है। सबसे बड़ा विवाद इसके नाम को लेकर है। सरकार ने इसका नाम महर्षि च्यवन मेडिकल कॉलेज रखा है जबकि कोरियावास गांव के स्थानीय लोग और कुछ राजनीतिक दल इसे शहीद राव तुलाराम के नाम पर रखने की मांग कर रहे हैं। यह विवाद इतना गहरा है कि एक समय कॉलेज के बाहर दो महीने तक धरना-प्रदर्शन भी चला। स्थानीय लोग चाहते हैं कि उनके क्षेत्र के वीर शहीद के सम्मान में कॉलेज का नाम रखा जाए, जबकि सरकार अपनी योजना पर कायम है। इस वजह से भी कई लोगों को लगता है कि यह कॉलेज राजनीतिक खींचतान का शिकार हो रहा है।

स्वास्थ्य मंत्री के आश्वासन पर भी सवाल खड़े

करीब 25 दिन पहले, स्वास्थ्य मंत्री आरती राव ने कॉलेज का दौरा किया था और पत्रकारों को आश्वासन दिया था कि इस साल एमबीबीएस की कक्षाएं शुरू होने की पूरी संभावना है। उन्होंने कहा था कि सरकार इसके लिए पूरी तरह तैयार है। लेकिन अब जब दाखिले की लिस्ट आ गई है और उसमें कॉलेज का नाम नहीं है, तो मंत्री के आश्वासन पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राव सुखबिंदर सिंह ने इस स्थिति के लिए सीधे तौर पर सरकार की इच्छाशक्ति की कमी को जिम्मेदार ठहराया है। उनका मानना है कि सरकार की नोटिफिकेशन में सिर्फ छह कॉलेजों के नाम शामिल हैं, और इस तरह के नए कॉलेजों को नजरअंदाज किया जा रहा है।

800 बेड वाला अस्पताल स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करेगा

यह मेडिकल कॉलेज केवल नारनौल या महेंद्रगढ़ के लिए ही नहीं, बल्कि राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों के लोगों के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है। 800 बेड वाला अस्पताल यहां की स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करेगा और लोगों को इलाज के लिए दूर-दराज के शहरों में नहीं जाना पड़ेगा। यहां डॉक्टरों की भर्ती भी चल रही है, जिससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। लेकिन अगर समय पर दाखिले शुरू नहीं होते हैं, तो यह पूरी परियोजना एक बड़ी देरी का शिकार हो जाएगी, जिसका सीधा नुकसान यहां के छात्रों और जनता को होगा। लोगों को उम्मीद है कि सरकार जल्द से जल्द इस मामले पर स्पष्टता देगी और सुनिश्चित करेगी कि यह आधुनिक मेडिकल कॉलेज जल्द ही अपनी सेवाएं शुरू कर सके।

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