कोसली के 105 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी का निधन: INA के सिपाही ने जेल में गाली देने पर पीट डाला था अंग्रेज अफसर, रखा था भूखा

हरियाणा के रेवाड़ी में स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह को अंतिम सलामी देते अफसर व मंगल सिंह का फाइल फोटो।
कोसली के 105 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी का निधन : हरियाणा के रेवाड़ी जिले के कोसली निवासी आजाद हिंद फौज (INA) के 105 वर्षीय वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह का रविवार को निधन हो गया। वे कुछ समय से बीमार चल रहे थे। रविवार को पूरे राजकीय सम्मान के साथ गांव की श्मशान भूमि में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके पोते कर्मवीर ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पूर्व कोसली पुलिस की टुकड़ी ने उन्हें अंतिम सलामी दी। प्रशासन की ओर से एसडीएम विजय कुमार, नायब तहसीलदार हरिकिशन, बीडीपीओ अनिल कुमार व एसएचओ कश्मीर सिंह ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किए।
सिंगापुर व बर्मा जेल में रहे, बोस ने अपनी फौज में भर्ती किया
वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी मंगल सिंह छह से आठ महीने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के साथ रहे। वे बताते थे कि उस समय ब्रिटिश सेना में भर्ती होना आसान था। इसलिए नेताजी तक पहुंचने के लिए अगस्त, 1940 में वह ब्रिटिश सेना में शामिल हो गए। इसी दौरान अंग्रेजों का जापान के साथ युद्ध शुरू हो गया। जापानियों ने उन्हें सिंगापुर की जेल में बंद कर दिया। उन्हें अन्य साथियों के साथ सिंगापुर से बर्मा की सेंट्रल जेल में बंद कर दिया गया। करीब 5 साल जेल में बंद रहने के दौरान अन्य कैदियों के साथ मिलकर बगावत कर दी। नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनसे मिलने गए और सभी को जेल से रिहा कराया। उन्होंने जेल में ही नेताजी के साथ देश के लिए आजादी की लड़ाई में अपना योगदान करने की इच्छा जताई। इसके बाद से नेताजी के साथ सुरक्षा गार्ड के रूप में तैनात रहे।
1946 में हुए थे जेल से रिहा
अंग्रेजों ने उन्हें बर्मा जेल में रखा। आजाद हिंद फौज के सिपाही मंगल सिंह ने भारत और भारतीयों को गाली देने पर बर्मा की सेंट्रल जेल में एक अंग्रेज अफसर को पीट दिया था। जेलर मौके पर पहुंचा और उनको माफी मांगने के लिए कहा, लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। इस पर उन्हें एक सप्ताह तक भूखे रहने की सजा दी गई थी। 1946 में अंग्रेजों द्वारा उन्हें लखनऊ लाकर इस शर्त के साथ छोड़ दिया कि कहीं नौकरी नहीं करेंगे।
आजादी के बाद सेना में रहकर कई युद्ध में दीं सेवाएं
देश आजाद होने के बाद वे 1948, 1962, 1965 व 1971 के युद्धों में शामिल रहे तथा जनवरी 1974 में पेंशन आ गए थे। उनके पोते कर्मवीर ने बताया कि उनके दो लड़के धर्मवीर व उदय सिंह हैं। धर्मवीर का कुछ समय पूर्व देहांत हो गया था। उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल व देवीलाल ने सम्मानित किया था। स्वतंत्रता सेनानी की अंतिम यात्रा में कोसली के सरपंच रामकिशन, जीवन हितेषी, रिंकू कोसलिया, रमेश शर्मा, रामफल कोसलिया, ओमप्रकाश डाबला, हरिओम शर्मा व संजय यादव सहित कोसली व आसपास के गांवों के लोग शामिल हुए।
