Unique Village of Haryana: हरियाणा के इस गांव के लड़कों की नहीं होती शादी, जानें क्या है इसका कारण

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Haryana News: हरियाणा के पानीपत जिले के पास एक गांव है, जहां किसी भी लड़के की शादी नहीं होती। इसके पीछे कोई मान्यता या अंध विश्वास नहीं बल्कि कई आम समस्याएं हैं।

Haryana News: हरियाणा के पानीपत में एक ऐसा गांव है, जहां के लड़कों की शादी नहीं होती। इसके पीछे कोई मान्यता, पुरानी सोच या अंधविश्वास नहीं, बल्कि कई मूलभूत सुविधाएं हैं। बता दें कि हरियाणा के पानीपत जिले में थर्मल पावर स्टेशन के पास बसा खुखराना गांव गंभीर पर्यावरणीय और स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है। इस गांव में रहने वाले लोगों का जीवन प्रदूषण के कारण कठिन हो गया है, जिसके चलते यहां युवाओं की शादी होना भी लगभग असंभव हो गया है।

थर्मल पावर स्टेशन और सीमेंट प्लांट का प्रभाव

खुखराना गांव के पास स्थित थर्मल पावर स्टेशन और लगभग आधा किलोमीटर दूर बना सीमेंट प्लांट इस क्षेत्र में भारी प्रदूषण का कारण बन रहे हैं। थर्मल पावर स्टेशन से निकलने वाली राख और सीमेंट प्लांट से उत्पन्न होने वाली धूल-मिट्टी हवा में फैलती है, जिसके कारण स्थानीय लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है। इस प्रदूषण के चलते गांव में त्वचा रोग (चमड़ी के रोग), दमा, और तपेदिक (टीबी) जैसी बीमारियां व्यापक रूप से फैल रही हैं।

गांव की आबादी लगभग 3,000 है और अनुमान के अनुसार, 90 फीसदी से अधिक लोग त्वचा रोग और श्वसन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि ये बीमारियां उनके जीवन को नरकीय बना रही हैं। प्रदूषण का यह स्तर न केवल स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है, बल्कि सामाजिक जीवन पर भी गहरा असर डाल रहा है। खासकर, युवाओं के लिए विवाह के रिश्ते तय करना मुश्किल हो गया है, क्योंकि कोई भी परिवार अपनी बेटी को इस गांव में नहीं देना चाहता। केवल सरकारी नौकरी वाले कुछ युवाओं के रिश्ते ही हो पा रहे हैं।

भूमिगत जल प्रदूषण और भू-धंसान का खतरा

थर्मल पावर स्टेशन से निकलने वाली राख का उपयोग सीमेंट प्लांट में किया जाता है। इस राख को स्टोर करने के लिए राख की झील (ऐश पॉन्ड) बनाई गई है, जिसमें पानी भी छोड़ा जाता है। इससे भूमिगत जल स्तर असामान्य रूप से ऊंचा हो गया है, जिसके कारण गांव में जमीन धंसने का खतरा बना रहता है। यह जल प्रदूषण न केवल पीने के पानी को दूषित कर रहा है, बल्कि त्वचा रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को और बढ़ा रहा है।

स्थानांतरण में देरी

साल 2012 में सरकार ने खुखराना गांव को दूसरी जगह स्थानांतरित करने का आदेश जारी किया था, ताकि लोगों को इस प्रदूषण से मुक्ति मिल सके। इसके लिए नई जगह भी आवंटित की गई थी, लेकिन आपसी गुटबाजी और सरकारी कार्यों में सुस्ती के कारण यह प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो सकी है। स्थानांतरण का काम कछुए की गति से चल रहा है, जिससे ग्रामीणों में निराशा बढ़ रही है।

ग्रामीणों की मांग और भविष्य की उम्मीद

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे कई सालों से इन विषम परिस्थितियों में जी रहे हैं। वे सरकार से मांग कर रहे हैं कि स्थानांतरण की प्रक्रिया को जल्द से जल्द पूरा किया जाए और प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। ग्रामीणों का यह भी कहना है कि सीमेंट प्लांट और थर्मल पावर स्टेशन के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जाए, ताकि स्वास्थ्य समस्याओं पर अंकुश लगाया जा सके।

खुखराना गांव की स्थिति हरियाणा में औद्योगिक विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन की कमी को दर्शाती है। यदि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो यह गांव और इसके निवासी गंभीर स्वास्थ्य और सामाजिक संकट का सामना करते रहेंगे।

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