जहरीली हुई हवा: करनाल में एक्यूआई पहुंचा 380 के पार, धुआं-धुंआ हुआ 10 करोड़ का बारूद

करनाल में दिवाली की रात सड़कों पर आतिशबाजी करते व उठता धुआं।
जहरीली हुई हवा : दिल्ली व एनसीआर की तरह हरियाणा के करनाल में भी दिवाली पर केवल ग्रीन पटाखे बेचने व चलाने की अनुमति थी। ग्रीन पटाखों के नाम पर हुई आतिशबाजी से उड़ने वाला धुआं हवा में मिला तो करनाल में एक्यूआई का स्तर 380 के पार पहुंच गया। एक अनुमान के मुताबिक जिले में दिवाली पर करीब 10 करोड़ के हुए पटाखों के कारोबार ने प्रशासन के दिवाली पर प्रदूषण से निपटने के सभी दावों की पोल खोल दी। रात को पटाखों के धुएं व शोर से रात को 10 बजे के बाद बच्चों को सांस लेने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। दीपावली की रात करनाल शहर आतिशबाजी की चमक से जगमगा उठा, लेकिन इस जगमगाहट के पीछे छिपी जहरीली सच्चाई ने शहर की आबो-हवा को दूषित कर दिया। प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की सख्त हिदायतों के बावजूद बाजारों में खुलेआम पटाखों की बिक्री हुई और अधिकांश पटाखे तथाकथित ‘ग्रीन पटाखों’ के नाम पर जहरीली गैसें छोड़ने वाले निकले।
10 करोड़ का पटाखों का कारोबार
शहर में पटाखों की बिक्री पर भले ही प्रशासन ने पाबंदियां लगाई थीं, मगर बाजारों में दीपावली से पहले से ही जमकर खरीदारी हुई। पटाखा विक्रेताओं और व्यापारियों के अनुसार, इस वर्ष करनाल में लगभग 8 से 10 करोड़ रुपये तक का कारोबार हुआ। अस्थायी बाजारों में ग्राहकों की भीड़ देर रात तक उमड़ी रही। पटाखा विक्रेताओं ने दावा किया था कि वे केवल प्रमाणित ‘ग्रीन पटाखे’ बेच रहे हैं, लेकिन आतिशबाजी के बाद जो धुआं और दुर्गंध फैली, उसने इन दावों की पोल खोल दी। कई स्थानों पर पटाखे जलने के बाद नीले और काले धुएं का गुबार आसमान में उठता दिखा। 10 बजे के बाद बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। आंखों में जलन इतनी थी कि दरवाज़े बंद कर कमरे में बैठना पड़ा।"
एक्यूआई स्तर में भारी बढ़ोतरी, हवा में घुला जहर
करनाल के पर्यावरण प्रेमियों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, दीपावली की रात शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 380 के पार पहुंच गया जो ‘गंभीर श्रेणी’ में आता है। कई इलाकों में धूल, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के उच्च स्तर दर्ज किए। करनाल का यह स्तर दिल्ली-एनसीआर के कई शहरों के बराबर दर्ज किया गया। हालांकि बाद में अल सुबह हवा चलने इसमें कमी दर्ज की गई। प्रशासन ने पहले ही सीमित समय में ग्रीन पटाखे जलाने की अपील की थी, परंतु शहर के कई इलाकों में आधी रात तक आतिशबाजी होती रही। नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीमें केवल औपचारिक जांच करती दिखीं। लोगों ने खुलेआम सड़कों और छतों से बम, रॉकेट और फुलझड़ियां छोड़ीं।
डॉक्टरों की चेतावनी
इस मामले में जाने-माने छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. नैत्रपाल ने बताया कि प्रदूषण का स्तर बढ़ने से छाती रोग से ग्रसित लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि “बच्चों और बुजुर्गों के साथ अस्थमा से पीड़ित लोगों को मास्क लगाकर बाहर जाना चाहिए और प्रदूषण के दौरान अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।”
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