रावण के दादा की वजह से पूरे गांव पर संकट: कैथल के पोलड़ के सभी 206 परिवारों को जाना होगा घर छोड़कर, सदमे में महिला की मौत

कैथल के पोलड़ के सभी 206 परिवारों को जाना होगा घर छोड़कर, सदमे में महिला की मौत
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कैथल के पोलड़ गांव को पुरातत्व विभाग की ओर से दिया गया है सभी घरों को खाली करने का नोटिस।
हरियाणा के कैथल में एक पूरे गांव को ही खाली करने के आदेश आने से हड़कंप मचा हुआ है। गांव के सभी 206 घरों के मालिकों को गांव छोड़ने को कहा गया है। खबर में जानिये क्यों खाली करवाया जा रहा है पूरा गांव।

ASI के नोटिस से पूरे गांव में हड़कंप : हरियाणा के कैथल जिले का पोलड़ गांव इन दिनों चर्चा का केंद्र बना हुआ है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) की तरफ से पूरे गांव को खाली करने का नोटिस मिलने के बाद क्षेत्र में भारी तनाव फैल गया है। विभाग ने गांव को तत्काल खाली कराने की मांग की है ताकि वहां पुरातात्विक खुदाई की जा सके। ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें अचानक बेघर किया जा रहा है, जबकि वे इस जमीन पर विभाजन के समय से रह रहे हैं। गांव में रोष की स्थिति उस समय और बढ़ गई जब रविवार तड़के एक 65 वर्षीय महिला गुरमीत कौर की दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि महिला को नोटिस के बाद अत्यधिक तनाव हो गया था। ग्रामीणों ने इस घटना के लिए विभाग को जिम्मेदार ठहराते हुए प्रशासन से कार्रवाई रोकने की मांग की है।

रावण के दादा ऋषि पुलस्त्य की तपोभूमि है पोलड़

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग का मानना है कि पोलड़ गांव की जमीन ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। ASI के अनुसार, यहां रावण के पूर्वजों से जुड़े अवशेष मिलने की संभावना है। विभाग का तर्क है कि यह स्थान रावण के दादा पुलस्त्य मुनि की तपोभूमि रहा है और यहां पर अनेक धार्मिक व ऐतिहासिक साक्ष्य छिपे हो सकते हैं। इसके मद्देनजर वे गहराई से खुदाई करना चाहते हैं, लेकिन समस्या यह है कि जिस स्थान पर खुदाई होनी है, वहां ग्रामीणों के घर बने हुए हैं।

ग्रामीण बोले–पहले भी हो चुकी खुदाई, नहीं मिला कुछ

गांववासियों का कहना है कि पिछले वर्षों में ASI ने गांव के आसपास कई बार खुदाई की है, लेकिन किसी तरह का कोई विशेष ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिला। इसके बावजूद अब एक बार फिर खुदाई की आड़ में 200 से अधिक घरों को खाली करने की कोशिश की जा रही है, जो न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि अमानवीय भी है।

सरस्वती नदी के किनारे इक्षुपति तीर्थ है

पोलड़ गांव सिर्फ एक बसावट नहीं, बल्कि धार्मिक आस्था का भी केंद्र है। गांव में स्थित प्राचीन सरस्वती मंदिर और शिवलिंग को पुलस्त्य मुनि के युग से जोड़ा जाता है। नागा साधु महंत देवीदास के अनुसार, मंदिर का निर्माण महंत राघवदास द्वारा कराया गया था जिन्हें एक दिव्य स्वप्न में इस स्थान का संकेत मिला था। यह क्षेत्र इक्षुपति तीर्थ के रूप में जाना जाता है, जो सरस्वती नदी के किनारे स्थित है।

थेह पोलड़ में उजड़े नगर की कहानी

इतिहासकार प्रोफेसर बीबी भारद्वाज के अनुसार, यह क्षेत्र पहले एक समृद्ध नगर था जो किसी प्राचीन आपदा में नष्ट हो गया था। बाद में इसे पुनः बसाया गया और इसका नाम पड़ा थेह पोलड़। ‘थेह’ का अर्थ होता है – वह स्थान जहां कभी कोई बस्ती थी। इतिहास के शोधकर्ता इस स्थल को एक संभावित सभ्यता के अवशेष के रूप में देखते हैं।

विधायक देवेंद्र हंस से लगाई गुहार

गांव के लोग अब गुहला के विधायक देवेंद्र हंस से मिले हैं और उन्होंने कार्रवाई को रोकने की अपील की है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को इतिहास की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन उसकी आड़ में वर्तमान को उजाड़ना कहां तक उचित है? स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई स्पष्ट बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सरकार इस मामले को सुलझाने के लिए मध्य मार्ग तलाशने की कोशिश कर रही है।

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