भ्रष्टाचार पर चोट: हरियाणा में 4 महीने से फरार इनामी तहसीलदार निलंबित, रिश्वत मामले में ACB की कार्रवाई

absconding rewardee Tehsildar suspended
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ये फोटो 18 फरवरी 2025 की है, ACB की रेड के वक्त तहसीलदार चुनाव ड्यूटी से जुड़ी मीटिंग कर रहा था। 

रजिस्ट्री क्लर्क को 10 हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था, जिसने पूछताछ में तहसीलदार का नाम लिया था। रिश्वत के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल किया जाता था। उसे पकड़ने के लिए 20 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया जा चुका है।

हरियाणा में भ्रष्टाचार के मामले में फंसे तहसीलदार मंजीत मलिक को आखिरकार सरकार ने निलंबित कर दिया है। गुरुवार को जारी सरकारी आदेश के बाद मंजीत को अंबाला DC कार्यालय में अटैच किया गया है। यह वही तहसीलदार है जो एक रिश्वतखोरी के मामले में पिछले 4 महीने से फरार चल रहा है, और उसे पकड़ने के लिए इनाम तक घोषित किया जा चुका है। यह मामला तब और चर्चा में आ गया था जब फरार होने के बावजूद सरकार ने मंजीत का ट्रांसफर कैथल के गुहला से भाजपा मंत्री श्रुति चौधरी के विधानसभा क्षेत्र तोशाम में कर दिया था, जिस पर कई सवाल उठे थे।

मलिक पर फरवरी महीने में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया था। ACB ने छापेमारी कर उसके क्लर्क को रंगे हाथों पकड़ा था, लेकिन तहसीलदार को भनक लगते ही वह फरार हो गया। हैरानी की बात यह है कि उस वक्त मलिक की ड्यूटी नगरपालिका चुनाव में बतौर असिस्टेंट रिटर्निंग ऑफिसर (ARO) लगी थी, लेकिन वह उसे बीच में ही छोड़कर भाग निकला। तब से वह भूमिगत है।

10 हजार की रिश्वत का '10 रुपये का टिकट' कोड

इस पूरे मामले की शुरुआत एक शिकायतकर्ता विजय कुमार से हुई, जिन्होंने ACB को भ्रष्टाचार की जानकारी दी थी :

• प्लॉट रजिस्ट्री का मामला : कैथल के चीका के वार्ड-3 के विजय कुमार ने ACB को शिकायत दी थी कि उन्होंने चीका की अमर सिटी कॉलोनी में 151 गज का प्लॉट खरीदा था। वह भाभी के नाम पर प्लॉट की रजिस्ट्री करवाना चाहते थे। उन्होंने सारे कागज तैयार कर 23 जनवरी 2025 का समय लिया था।

• '10 रुपये की टिकट' का मतलब '10 हजार रुपये': विजय कुमार ने बताया कि जब वह अपनी भाभी के साथ रजिस्ट्री क्लर्क प्रदीप कुमार से मिले तो क्लर्क ने कहा कि पहले तहसीलदार से मिलो। जब वह तहसीलदार के पास गए, तो तहसीलदार ने क्लर्क प्रदीप को कागजात देखने के बाद कहा कि 'कागजात ठीक हैं, इस पर 10 रुपये की टिकट लगाकर रजिस्ट्री करा लो।' विजय ने जब क्लर्क प्रदीप से पूछा कि 10 रुपये की कौन सी टिकट लगनी है, तो क्लर्क ने साफ कहा, "10 रुपए की टिकट का मतलब 10 हजार रुपये है।"

• शिकायत करने पर तहसीलदार भड़का, स्टे का बहाना बनाया : विजय ने आगे कहा कि वह इसकी शिकायत लेकर सीधे तहसीलदार मलिक के पास गए। उन्होंने तहसीलदार को बताया कि रजिस्ट्री क्लर्क 10 हजार की रिश्वत मांग रहा। यह सुन तहसीलदार मलिक भड़क उठा। उसने कहा इस खेवट पर स्टे है और इसकी रजिस्ट्री नहीं होगी। तहसीलदार ने बिना कोई ठोस कारण बताए उसका रजिस्ट्री का टोकन भी रद्द कर दिया।

• कागज पर कोई स्टे नहीं था, दोबारा जाने पर भी रिश्वत की मांग : विजय कुमार ने बाद में खेवट से संबंधित सारे कागजात चेक किए तो पाया कि उस पर कोई स्टे नहीं था। वह 6 फरवरी 2025 को फिर तहसीलदार से मिले और बताया कि खेवट पर कोई स्टे नहीं है। तहसीलदार ने फिर से उन्हें क्लर्क प्रदीप से मिलने को कहा। जब वह प्रदीप के पास गए, तो उसने रजिस्ट्री के एवज मंप फिर से 10 हजार रुपये नकद रिश्वत की मांग की। इससे परेशान होकर विजय ने ACB को शिकायत कर दी।

क्लर्क पकड़ा गया, तहसीलदार फरार

विजय की शिकायत मिलने के बाद ACB ने 18 फरवरी को गुहला तहसीलदार के दफ्तर में जाल बिछाया। इस दौरान रजिस्ट्री क्लर्क प्रदीप कुमार को शिकायतकर्ता से 10 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया गया। क्लर्क ने यह रिश्वत रजिस्ट्री के बदले मांगी थी।

• कोड वर्ड में रिश्वत का खेल : ACB की क्लर्क से पूछताछ में पता चला कि रिश्वतखोरी में तहसीलदार मंजीत मलिक भी शामिल है। तहसील कार्यालय में रजिस्ट्री कराने वालों से रिश्वत वसूलने के लिए गुप्त कोड तैयार किया था। अगर किसी से रिश्वत लेनी होती तो उसकी रजिस्ट्री पर '10 रुपये का टिकट लगाने' के लिए कहा जाता था। इसका सीधा मतलब होता था कि काम करवाने को 10 हजार रिश्वत देनी पड़ेगी।

• भनक लगते ही ड्यूटी छोड़ भागा तहसीलदार : जिस वक्त यह कार्रवाई की गई, उस वक्त तहसीलदार मलिक को चुनाव आयोग ने सीवन नगर पालिका चुनाव में सहायक रिटर्निंग अधिकारी (एआरओ) और नोडल अधिकारी के तौर पर तैनात किया था। मगर, जैसे ही रेड की भनक लगी, तहसीलदार चुनावी ड्यूटी भी बीच में ही छोड़कर भाग गया। उसने उच्च अधिकारियों को इसकी कोई सूचना नहीं दी और न ही कोई आधिकारिक छुट्टी ली थी।

इनामी घोषित हुआ फरार तहसीलदार

ACB ने तहसीलदार की तलाश शुरू की परन्तु उसका कोई पता नहीं चला। तहसीलदार ने मोबाइल भी स्विच ऑफ कर लिया। तब से तहसीलदार अंडरग्राउंड है। उसे पकड़ने के लिए ACB की तरफ से तहसीलदार का पता बताने वाले को 20 हजार का इनाम देने का ऐलान किया है। ACB के DSP मुकेश ने पुष्टि की है कि रिश्वत केस में तहसीलदार भी नामजद है और फिलहाल फरार चल रहा है। ब्यूरो की टीमें उसकी तलाश कर रही हैं।

लाल बत्ती को लेकर भी विवादों में रहा तहसीलदार

रिश्वत केस का यह आरोपी तहसीलदार मंजीत मलिक पहले भी विवादों में रहा है। दरअसल, जब पिछले साल अप्रैल महीने में उसका गुहला में ट्रांसफर हुआ था, तो वह लाल बत्ती लगी गाड़ी में अपने ऑफिस पहुंचा था। इसे लेकर लोगों ने ट्रैफिक पुलिस को शिकायत कर दी थी। इसके बाद कैथल के ट्रैफिक पुलिस इंचार्ज रमेश चंद की टीम तहसीलदार के सरकारी आवास पर पहुंची और 1500 रुपये का चालान काट दिया। इसके बाद तहसीलदार ने अपनी गाड़ी से लाल बत्ती हटा दी थी। दिलचस्प बात यह है कि यह गाड़ी तहसीलदार के पिता के नाम पर रजिस्टर्ड थी।

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