13 वर्ष से एक पिता की लड़ाई: शहीद सौरभ गर्ग को नहीं मिला उचित सम्मान, मानव अधिकार आयोग ने मांगा जवाब

जींद के पिल्लूखेड़ा के शहीद सौरभ गर्ग के पिता लड़ रहे उनके सम्मान के लिए लड़ाई।
13 वर्ष से हक की लड़ाई : हरियाणा के जींद के पिल्लूखेड़ा निवासी सौरभ गर्ग ने 8 दिसंबर 2012 को 11 लोगों की आग से जान बचाते हुए अपनी शहादत दे दी थी। बार-बार सरकार से पत्राचार करने के बावजूद न केंद्र और न ही राज्य सरकार से उन्हें उचित सम्मान मिला। अब इस पर मानवाधिकार आयोग ने सरकार से छह सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है कि इतनी देर क्यों हुई।
मानवाधिकार आयोग में लड़ रहे पिता
हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने जींद के पिल्लूखेड़ा निवासी स्व. शहीद सौरभ गर्ग के मामले में महत्वपूर्ण आदेश पारित किया है। आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य कुलदीप जैन व सदस्य दीप भाटिया की पीठ ने यह आदेश शिकायत संख्या 1995/8/2023 में पारित किया। यह शिकायत सौरभ गर्ग के पिता चंद्रभान द्वारा दाखिल की गई थी।
सौरभ गर्ग ने यूं दी थी शहादत
सौरभ गर्ग ने 8 दिसंबर 2012 को जिला जींद के पिल्लूखेड़ा में 11 निर्दोष लोगों की जान बचाते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। रसोई गैस सिलेंडर से गैस रिसाव के कारण एक घर आग की लपटों में घिर गया था। पड़ोसी होने के नाते उन्होंने घटनास्थल पर पहुंचकर सीढ़ी लगाई और एक-एक करके सभी 11 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। जब सभी जीवन सुरक्षित हो गए तभी भयंकर विस्फोट हुआ और सौरभ गर्ग स्वयं आग की लपटों में समा गए। आयोग ने कहा कि प्रारंभ में ही हरियाणा मानव अधिकार आयोग अत्यंत भावविभोर होकर यह दर्ज करता है कि ऐसा शौर्य, जहां एक युवा नागरिक स्वेच्छा से दूसरों की सुरक्षा हेतु अपने जीवन का बलिदान करता है, मानवता के उच्चतम आदर्शों का प्रतीक है। उसे राष्ट्र द्वारा सम्मानित किया जाना चाहिए। सौरभ गर्ग का बलिदान न केवल उनके परिवार का निजी शोक है बल्कि संपूर्ण समाज और राज्य का गौरव भी है| मृतक के पिता व शिकायतकर्ता पिछले एक दशक से इस बलिदान की मान्यता हेतु निरंतर प्रयासरत हैं।
डीसी से लेकर पीएमओ तक से सिफारिश
उपायुक्त जींद ने घटना के एक सप्ताह के भीतर ही मामले की संस्तुति हरियाणा सरकार के गृह विभाग को भेज दी थी। इसके बाद 14.12.2012, 15.01.2015, 23.08.2022, 27.09.2022, 29.09.2023 और 13.08.2024 को बार-बार पत्राचार हुआ। 22.02.2013 को हरियाणा विधानसभा में इस घटना पर चर्चा हुई, जहां सदस्यों ने दिवंगत की स्मृति में मौन खड़े होकर श्रद्धांजलि दी। आगे 13.05.2013 को विधानसभा की ओर से उपायुक्त जींद को डी.ओ. पत्र भेजा गया, जिसमें शोक और संवेदना संदेश मृतक के परिवार तक पहुंचाने का उल्लेख था। प्रधानमंत्री कार्यालय के 24.12.2012 और 11.01.2013 के पत्र भी गृह मंत्रालय, भारत सरकार को भेजे गए, जो राष्ट्रीय स्तर पर इस घटना की स्वीकृति को दर्शाते हैं।
राष्ट्रीय सम्मान के लिए फाइल नहीं बढ़ाई आगे

यह उल्लेखनीय है कि उस समय भारत सरकार की ओर से साहसिक कार्यों एवं जीवन-रक्षा के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार देने हेतु एक सुव्यवस्थित नीति पहले से ही लागू थी। हरियाणा सरकार इस नीति के अंतर्गत नामांकन भेज सकती थी। किन्तु संबंधित अधिकारियों द्वारा निर्धारित समयसीमा में फाइल आगे न बढ़ाने के कारण मृतक को इस लाभ से वंचित होना पड़ा। न्यायमूर्ति ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग की सख्त टिपण्णी की है कि यह देरी पूरी तरह प्रशासनिक लापरवाही एवं उदासीनता का परिणाम है और इससे न केवल परिवार बल्कि पूरे समाज के साथ अन्याय हुआ है। स्पष्ट संस्तुतियों और मामले की असाधारण योग्यता के बावजूद, यह मामला समय पर निपटाया नहीं गया और प्रशासनिक विलंब में फंस गया।
अब 2024 से सम्मान देने के बदले नियम
अब हरियाणा के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सूचित किया है कि गृह मंत्रालय भारत सरकार की 1 अप्रैल 2024 की अधिसूचना के अनुसार केवल पिछले दो वर्षों के मामलों को ही नामित किया जा सकता है। अतः स्व. सौरभ गर्ग का नाम प्रधानमंत्री जीवन रक्षा पदक हेतु विचाराधीन नहीं हो सकता। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता उनके बलिदान के सम्मान का विकल्प नहीं हो सकती।
मानवाधिकार आयोग ने यह दिए आदेश
सूचना एवं जन संपर्क अधिकारी डॉ. पुनीत अरोड़ा ने जानकारी दी कि उपर्युक्त तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्यायमूर्ति ललित बत्रा की अध्यक्षता वाले पूर्ण आयोग ने निम्नलिखित संस्तुतियां जारी की हैं।
• मुख्य सचिव हरियाणा छह सप्ताह में रिपोर्ट दें जिसमें 2012 से अब तक हुई देरी की जिम्मेदारी तय की जाए।
• राज्य सरकार भारत सरकार के गृह मंत्रालय से अनुरोध करे कि 01.04.2024 की अधिसूचना में छूट प्रदान कर इस मामले पर विशेष विचार किया जाए।
• राज्य सरकार स्वयं भी शहीद सौरभ गर्ग को राज्य स्तर पर उपयुक्त साहसिक पुरस्कार प्रदान करने पर विचार करे।
• आदेश की प्रति मुख्यमंत्री हरियाणा को भेजी जाए ताकि वे स्वयं संज्ञान लेकर सर्वोच्च स्तर पर उचित कार्रवाई सुनिश्चित करें।
शहीद के स्मारक पर भी आयोग के निर्देश
शिकायतकर्ता द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि शहीद सौरभ गर्ग स्मारक का रखरखाव ठीक से नहीं हो रहा। इस पर आयोग ने मार्केट कमेटी पिल्लूखेड़ा के सचिव को निर्देश दिए।
• सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बागवानी एवं देखरेख के लिए विस्तृत मेंटेनेंस प्लान तैयार करें।
• पृथक बजट हेड बनाया जाए।
• एक माली एवं सफाई कर्मचारी नियुक्त किया जाए।
• कूड़ेदान, पीने के पानी की सुविधा, बेंच एवं सौर/एलईडी लाइट लगाई जाएं।
• स्मारक की महत्ता एवं जिम्मेदार प्राधिकरण का नाम प्रदर्शित किया जाए।
• नियमित निरीक्षण के लिए अधिकारी नामित किया जाए।
हरियाणा मानव अधिकार आयोग ने स्पष्ट किया कि शहीद सौरभ गर्ग की बहादुरी को केवल उनके परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत मान्यता मिलनी चाहिए। उनकी शहादत यह संदेश देती है कि साहस, मानवता और निस्वार्थ सेवा कभी अनदेखी नहीं की जाएगी।
