संसद सुरक्षा चूक केस: जींद की नीलम आजाद को मिली जमानत, 18 महीने बाद आएगी जेल से बाहर

संसद की सुरक्षा को चुनौती देने की आरोपी नीलम आजाद को मिली जमानत।
दिल्ली में संसद सुरक्षा चूक मामले में गिरफ्तार की गई जींद के घासो गांव की नीलम आजाद को18 महीने बाद आखिरकार जमानत मिल गई है। नीलम आजाद और उसके साथी महेश कुमावत को कड़ी शर्तों के साथ 50 हजार के मुचलके पर जमानत पर रिहा किया गया है। कोर्ट के आदेशों के अनुसार इस दौरान वे दिल्ली नहीं छोड़ेंगे, मीडिया को इंटरव्यू नहीं देंगे और न ही सोशल मीडिया पर किसी तरह की पोस्ट करेंगे।
दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को संसद सुरक्षा को खतरे में डालने के इस गंभीर मामले में नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत दी है। इससे पहले, उनकी जमानत याचिकाएं निचली अदालत (ट्रायल कोर्ट) द्वारा खारिज कर दी गई थीं। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने जमानत आदेश के तहत सख्त शर्तें लगाई हैं।
जींद में घर आने पर भी लगी पाबंदी
जमानत की शर्तों के तहत आरोपियों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने, मीडिया को इंटरव्यू देने या घटना के बारे में सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की पोस्ट करने पर पूर्ण रोक है। कोर्ट ने दोनों को प्रत्येक सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को सुबह 10 बजे संबंधित पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है। साथ ही उन्हें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (NCR Delhi) छोड़ने पर पाबंदी लगा दी है। इन सख्त शर्तों के चलते, नीलम हरियाणा में अपने घर नहीं आ सकेगी।
ये था पूरा मामला
ये मामला 13 दिसंबर 2023 को संसद की सुरक्षा में चूक से जुड़ा है। ये साल 2001 में संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी का दिन था। इस कारण यह घटना और भी गंभीर थी। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान सागर शर्मा व मनोरंजन डी नाम के दो आरोपी दर्शक दीर्घा से सदन में कूदे थे। उन्होंने सदन के अंदर पीली गैस छोड़ी व जोर-जोर से नारेबाजी की थी, जिससे संसद में हड़कंप मचा था।
वहीं, संसद परिसर के बाहर दो अन्य आरोपी, अमोल शिंदे और नीलम आजाद ने रंगीन गैस का स्प्रे किया था और नारेबाजी की थी। इस घटना के बाद से ही ये सभी आरोपी पुलिस की गिरफ्त में थे। संसद के अंदर मौजूद सांसदों ने सदन में कूदने वाले आरोपियों को तुरंत काबू कर लिया था, जिससे स्थिति बिगड़ने से पहले ही संभाल ली गई।
नीलम आजाद की जमानत याचिका और उनके वकील के तर्क
गिरफ्तारी के बाद नीलम आजाद के वकील ने उसकी जमानत के लिए याचिका दायर की थी। इस याचिका में यह तर्क दिया गया था कि नीलम आजाद संसद परिसर के बाहर थी। उसने बेरोजगार युवाओं की समस्याओं को उजागर करने के लिए धुएं के कनस्तर खोले और पर्चे फेंके थे। वकील ने यह भी कहा था कि नीलम सोशल मीडिया के माध्यम से जनता का ध्यान आकर्षित करने का प्रयास कर रही थी, न कि किसी आपराधिक साजिश का हिस्सा थी।
नीलम आजाद ने खुद भी दावा किया था कि वह किसी आपराधिक साजिश का हिस्सा नहीं थी और उसका इरादा केवल बेरोजगारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना था। हालांकि, निचली अदालत ने पहले उसकी इस याचिका को खारिज कर दिया था। अब, दिल्ली हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता और नीलम के पक्ष में कुछ दलीलों को ध्यान में रखते हुए, सख्त शर्तों के साथ उसे जमानत दी है। इस मामले में आगे की कानूनी कार्यवाही जारी रहेगी।
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