Haryana heritage: जींद में किलाजफरगढ़ व सफीदों के ऐतिहासिक किलों का 12 करोड़ से होगा सुधार

haryana heritage
X

जींद के किलाजफरगढ़ का किला अब खंडहर में हो चुका है तब्दील। 

हरियाणा में अपनी विरासत सहेजने की कड़ी में जींद के किलाजफरगढ़ व सफीदों किले का जीर्णोद्धार किया जाएगा। इनकी पारंपरिक सामग्री से ही मरम्मत होगी और इन्हें पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा।

Haryana heritage : हरियाणा में प्राचीन व ऐतिहासिक महत्व के प्रतीक किलाजफरगढ़ व सफीदों के किलों का अब जीर्णोद्धार किया जाएगा। अपनी विरासत के सहेजने के लिए पर्यटन मंत्री डॉ. अरविंद शर्मा ने वर्चुअल तरीके से इस कार्य का शुभारंभ किया। वे नारनौल में सेवा पखवाड़ा के तहत आयोजित प्रदेशस्तरीय कार्यक्रम में शामिल हुए थे। जिला स्तर पर डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने जीर्णोद्धार व सौंदर्यीकरण के कार्यों का विधिवत रूप से शिलान्यास किया।

खर्च होंगे 12 करोड़ 31 लाख रुपये

किलाजफरगढ़ के किले पर लगभग पांच करोड़ 53 लाख रुपये की राशि खर्च की जाएगी। इसी प्रकार सफीदों के किले पर करीब छह करोड़ 78 लाख रुपये की राशि खर्च की जाएगी। डीसी ने बताया कि सरकार का लक्ष्य है कि प्रदेश की सभी ऐतिहासिक धरोहरों को सरंक्षित रखा जाए ताकि आने वाली पीढ़ियां अपने गौरवशाली इतिहास से परिचित हो सकें। इसके लिए सरकार ने 20 संरक्षित साइट व पर्यटन केंद्रों के विकास व जीर्णोद्धार के लिए 95 करोड़ रुपये का बजट रखा है। सबसे ज्यादा नारनौल में स्मारकों को संरक्षित किया जाएगा।

यह भी पढ़ें : हरियाणा के 20 पर्यटन व संरक्षित केंद्रों को 95 करोड़ से सहेजेंगे

पारंपरिक सामान से ही होगी मरम्मत

डीसी ने बताया कि इन लुप्त हो रही ऐतिहासिक धरोहरों का जीर्णोद्धार तथा सौंदर्यीकरण करके इन्हें पर्यटन केंद्र के रूप में स्थापित किया जाएगा। इन धरोहरों के जीर्णोद्धार कार्य में पारंपरिक तरीकों से सामग्री का उपयोग करके संरचनात्मक मूल्यांकन कर जरूरत अनुसार सुदृढ़ किया जाएगा। चूना आधारित मोर्टार और स्थिरीकरण तकनीकों का उपयोग करके दीवारों की मरम्मत की जाएगी। क्षतिग्रस्त चूने के प्लास्टर को हटाकर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके पुन: लगाया जाएगा। इसके अलावा क्षतिग्रस्त फर्श की मरम्मत कर उसे मूल रूप से मेल खाती सामग्री में बदला जाएगा। इन दोनों धरोहरों में आवश्यक सुविधाएं शौचालय, बेंच, छायादार क्षेत्र स्मारक में भी लाइट व्यवस्था, सुरक्षा के लिए ग्रिल, चारों तरफ की दीवार का निर्माण किया जाएगा। इस मौके पर एचएसआरडी के कार्यकारी अभियंता शशांक, प्रवीण परूथी आदि मौजूद रहे।

सफीदों का किला था सैन्य छावनी


सफीदों का किला 18वीं सदी में जींद के फुलकिया वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था। इसे सैन्य छावनी के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इसमें निगरानी रखने के लिए कई बुर्ज भी बनाए गए थे। काफी समय तक यह किला जींद की सैन्य रणनीति का बड़ा केंद्र रहा। हालांकि अब यह पूरी तरह जर्जर हालत में हो चुका है। किले की कई दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें आ चुकी हैं।

जींद के राजा ने बनवाया था किलाजफरगढ़ किला

1857 की क्रांति के बाद जींद और दादरी के बीच में अपनी पकड़ बनाए रखने व एक आरामगाह के तौर पर जींद के राजा ने लजवाना गांव में इस किले को बनवाया था। लजवाना में विद्रोह को भी राजा दबाना चाहता था। बाद में लजवाना गांव का नाम बदलकर इसके किलाजफरगढ़ कर दिया गया। स्वतंत्रता सेनानियों के विद्रोह को दबाने के लिए भी इस किले का इस्तेमाल किया जाता था। आजादी के बाद यह किला 1970 के करीब हरियाणा घोड़ा पुलिस का भी प्रशिक्षण केंद्र रहा, लेकिन अब यह जर्जर हालत में पहुंच चुका है। ग्रामीणों ने कई बार इसके सुधार की मांग की है।

अगर आपको यह खबर उपयोगी लगी हो, तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें और हर अपडेट के लिए जुड़े रहिए [haribhoomi.com] के साथ।
WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story