जींद का वीर सपूत शहीद: जम्मू-कश्मीर के पुंछ में ली आखिरी सांस, 7 माह की बेटी पीछे छूटी

Jind Soldier martyred
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शहीद अमरजीत नैन की फाइल फोटो। 

अमरजीत ने 10 साल पहले आर्मी जॉइन की थी और वे 7 जाट बटालियन में तैनात थे। उनकी शहादत की खबर से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई है।

हरियाणा के जींद जिले के गांव जाजनवाला के बहादुर जवान अमरजीत नैन जम्मू-कश्मीर के पुंछ में देश सेवा के दौरान शहीद हो गए हैं। इस खबर से पूरे हरियाणा और विशेष रूप से जाजनवाला गांव में शोक की लहर दौड़ गई है। अमरजीत की शहादत की सूचना सोमवार दोपहर को आर्मी ने उनके परिवार को दी, जिससे परिवार और पूरे क्षेत्र में मातम छा गया।

आर्मी की ओर से प्राप्त जानकारी के अनुसार अमरजीत नैन अपनी सर्विस राइफल की सफाई कर रहे थे, तभी दुर्घटनावश गोली चल गई। गोली चलने की आवाज सुनकर साथी जवान तुरंत मौके पर पहुंचे और घायल अमरजीत को तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। बेटे के शहीद होने की खबर मिलते ही गांव का हर व्यक्ति गमगीन हो गया।

शहादत से पहले कहा था-जब भी लौटूंगा, तिरंगे में लिपट कर ही आऊंगा

शहीद अमरजीत नैन, जो अपनी मातृभूमि के प्रति गहरी निष्ठा रखते थे, अक्सर अपने परिवार और चचेरे भाई से अपनी भावनाओं को व्यक्त करते थे। उनके ताऊ के बेटे टेकराम ने भावुक होकर बताया कि अमरजीत अक्सर कहा करते थे, "जब भी लौटूंगा, तिरंगे में लिपट कर ही आऊंगा।" अमरजीत की यह बात आज सच साबित हुई है, लेकिन इस सत्य ने पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया है।

शहीद अमरजीत का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर 3 बजे उनके पैतृक गांव जाजनवाला में पूरे राजकीय और सैन्य सम्मान के साथ किया जाएगा। उनके अंतिम दर्शन और उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पूरे क्षेत्र से जनसैलाब उमड़ने की उम्मीद है। नायक के पद पर तैनात अमरजीत नैन 7 जाट बटालियन का हिस्सा थे और पिछले एक साल से पुंछ में अपनी सेवा दे रहे थे।

सेना में 10 साल का गौरवशाली सफर

अमरजीत नैन का जन्म 11 मार्च 1996 को हुआ था। 12वीं पास करने के बाद उन्होंने आईटीआई की और करीब दस साल पहले 23 सितंबर 2015 को आर्मी में भर्ती हुए। उनकी यह भर्ती एनसीसी कैडर के माध्यम से हुई थी, जो उनके शुरू से ही सेना के प्रति समर्पण को दर्शाता है। एक दशक की सेवा में उन्होंने देश के विभिन्न चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दीं।

दो साल पहले हुई थी शादी

अमरजीत के घर में दो साल पहले ही खुशियों ने दस्तक दी थी जब उनकी शादी हिसार के नहला गांव की प्रियंका से हुई थी। प्रियंका अब गृहिणी के रूप में अकेली रह गई हैं। सबसे बड़ी त्रासदी यह है कि अमरजीत हाल ही में केवल सात महीने पहले ही एक बेटी के पिता बने थे। इतनी कम उम्र में पिता का साया सिर से उठ जाने से पूरे परिवार में गहरा दुःख है।

किसी को नहीं पता था कि यह उनकी अंतिम बातचीत होगी

करीब एक माह पहले अमरजीत केवल एक दिन के लिए अचानक घर आए थे। उन्होंने बताया था कि वह दिल्ली से आर्मी की डाक लेने आए थे और थोड़ा समय मिलते ही परिवार से मिलने चले आए। परिवार के सदस्यों के मुताबिक दो दिन पहले ही अमरजीत से आर्मी के नंबर से आखिरी बार बात हुई थी। उन्होंने सभी का हालचाल पूछा और बताया था कि मोबाइल जमा होने वाले हैं, इसलिए दो दिन बाद बात करेंगे। किसी को नहीं पता था कि यह उनकी अंतिम बातचीत होगी।

परिवार में सबसे छोटे, पिता हैं किसान

शहीद अमरजीत के पिता रमेश कुमार खेती-बाड़ी करते हैं। परिवार में अमरजीत सबसे छोटे थे। उनके दो बड़े भाई और एक बड़ी बहन है। बड़ी बहन कविता की शादी हो चुकी है, जिनके पति रामदिया भी सेना में कार्यरत हैं। उनके बड़े भाई बलिंद्र एक प्राइवेट अस्पताल में जॉब करते हैं। अमरजीत अपने परिवार के लिए ही नहीं, बल्कि गांव के लिए भी प्रेरणास्रोत थे। उनके चचेरे भाई टेकराम ने बताया कि जब भी अमरजीत छुट्टी पर गांव आते थे, तो आर्मी भर्ती की तैयारी कर रहे लड़कों को मार्गदर्शन और टिप्स देते थे।

जाजनवाला गांव में एक साल में दूसरी शहादत

गांव जाजनवाला के लिए यह शहादत एक साल के अंदर दूसरी बड़ी क्षति है। इससे पहले 8 जुलाई 2024 को इसी गांव के वीर जवान प्रदीप नैन भी कश्मीर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। एक साल के भीतर दो जांबाजों को खोने के बाद पूरा गांव गहरे शोक और गर्व के भाव से डूबा हुआ है। यह बताता है कि इस छोटे से गांव के युवाओं में राष्ट्र प्रेम और देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने का कितना जज्बा भरा है।

पुलिसकर्मी और सेना के जवान देंगे अंतिम सलामी

शहीद अमरजीत नैन के पार्थिव शरीर का दोपहर पैतृक गांव में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा। इस दुःख की घड़ी में ग्रामीण, प्रशासनिक अधिकारी, पुलिसकर्मी और सेना के जवान उन्हें अंतिम सलामी देने के लिए बड़ी संख्या में जुटेंगे। अमरजीत नैन ने देश की रक्षा करते हुए जो सर्वोच्च बलिदान दिया है, वह पूरे क्षेत्र के लिए गर्व का विषय है। उनकी शहादत हमें याद दिलाती है कि हमारी आजादी और सुरक्षा के पीछे हमारे जवानों का कितना बड़ा त्याग छिपा है।

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