बहादुरगढ़ का राठी परिवार बना मिसाल: 24 सदस्यों की एक रसोई व एक ही कारोबार, एकजुटता का पेश कर रहे उदाहरण

Family members celebrating the birthday of the head of the house, Indravati.
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घर की मुखिया इंद्रावति का जन्मदिन मनाते परिवार के सदस्य।
बहादुरगढ़ में गांव भापड़ोदा निवासी रघुबीर सिंह राठी का 24 सदस्यों का परिवार एक ही छत के नीचे हंसी खुशी से रह रहा है। पूरे परिवार का एक रसोई में खाना बनता है।

बहादुरगढ़: आधुनिक जीवनशैली में परिवार का अर्थ बदल गया है। संयुक्त परिवार तो बहुत पहले ही खत्म हो चुके हैं, लेकिन अब एकल परिवारों पर भी खतरा मंडरा रहा है। नई पीढ़ी परिवार का प्यार छोड़ पैसे के पीछे दौड़ रही हैं, लेकिन बहादुरगढ़ में आज भी एक ऐसा संयुक्त परिवार (Joint Family) समाज के लिए उदाहरण बन रहा है, जिसके दो दर्जन सदस्य एक ही छत के नीचे रहते हैं। उनकी एक ही रसोई और एक ही कारोबार है। पूरा परिवार समाज में एकजुटता व संयुक्त परिवार का संदेश दे रहा है।

1982 में बहादुरगढ़ बसा था परिवार

बता दें कि गांव भापड़ोदा निवासी रघुबीर सिंह राठी का परिवार वर्ष 1982 में बहादुरगढ़ के लाइनपार में आकर बसा था। इसके बाद सेक्टर-6 में रहने लगे। रघुबीर राठी और इंद्रावति के तीन बेटे और एक बेटी है। बड़े बेटे रामबीर राठी डीडीए में सर्विस करते थे। दूसरे नंबर पर बेटी रमेश देवी और तीसरे नंबर के बेटे सोमबीर राठी दिल्ली पुलिस (Delhi Police) में सेवारत थे। चौथा पुत्र जयभगवान राठी है। चारों के 10 बेटे-बेटियां हैं और अब उनके भी 11 बच्चे हो चुके हैं। सेक्टर-6 में एक छत के नीचे राठी परिवार के 24 सदस्य एक साथ मिलजुलकर रहते हैं। परिवार की मुखिया इंद्रवति के अनुसार संयुक्त परिवारों के विघटन का परिणाम त्रासदी दायक है।

एक रसोई में बनता है भोजन

राठी परिवार संयुक्त होने के साथ ही उनका एक ही रसोई में भोजन बनता है और पूरा परिवार एक ही कारोबार को आगे बढ़ा रहा है। परिवार के छोटे बेटे जयभगवान राठी ने 1988 के आसपास सांपला में मोटर रिपेयर की दुकान शुरू की थी। इसके दो साल बाद नांगलोई (Nangloi) में राठी पंप के नाम से मोटर बनाने का काम शुरू किया। करीब 20 साल पहले परिवार ने बहादुरगढ़ में फैक्टरी लगा ली। उनका कारोबार अब उत्तर भारत ही नहीं बल्कि देश के अधिकांश हिस्सों तक फैल गया है। राठी परिवार ने 15 दिसंबर को घर की मुखिया इंद्रावति का 97वां जन्मदिन मनाया। इस मौके पर घर के दर्जनों सदस्यों का उत्साह देखते ही बन रहा था।

मर्यादाओं से बनता है परिवार

रामबीर राठी ने बताया कि परिवार मर्यादाओं से बनता है। जिस परिवार में एकता और एकजुटता होती है, उसमें समृद्धि होती है। जबकि लोगों का उद्देश्य अब केवल व्यक्तिगत हितों की पूर्ति करना ही रह गया है। उनके लिए परिवार का मलतब केवल पति-पत्नी एवं एक या दो बच्चे तक ही सीमित हो गया है। एकल परिवारों के बच्चें आत्मकेंद्रित एवं अंर्तमुखी होने के कारण जिद्दी एवं चिड़चिड़े हो रहे हैं। अति महत्वाकांक्षा (Ambition) के चलते संयुक्त परिवारों के विघटन के कारण नई पीढ़ी में संस्कारों की न्यूनता बढ़ रही है। एकल परिवारों में मनमुटाव एवं तनाव में इजाफा हुआ है। जबकि हमें परिवार ऐसा लगता है कि मानों सारा संसार उसमें सिमट गया हो।

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