jagdeep dhankar update news: पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ INLD के बने मेहमान, चौटाला के फार्म हाउस शिफ्ट

पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ व इनेलो अध्यक्ष अभय चौटाला। फाइल फोटो
jagdeep dhankar update news : देश के पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने सरकारी आवास को छोड़ दिया है और अब वे इंडियन नेशनल लोकदल INLD के राष्ट्रीय अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला के दिल्ली स्थित छतरपुर फार्महाउस में शिफ्ट हो गए हैं। सोमवार शाम करीब 6 बजे धनखड़ यहां शिफ्ट हुए।
दो साल पहले ही छोड़ दिया था पद
धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा दिया था। उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक रहना था, लेकिन उन्होंने पद छोड़कर सबको चौंका दिया। महज 41 दिन के भीतर उन्होंने अपना आवास खाली कर दिया, जबकि नियम के अनुसार उन्हें 15 महीने तक वहां रहने की अनुमति थी। धनखड़ पिछले साल ही संसद भवन परिसर के पास बने नवनिर्मित उपराष्ट्रपति एन्क्लेव में शिफ्ट हुए थे। यह आवास सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट का हिस्सा था।
अभय चौटाला ने कहा-जब तक चाहें रह सकते हैं
अभय सिंह चौटाला ने कहा कि धनखड़ का छतरपुर फार्महाउस उन्हीं का घर है। वे यहां जब तक चाहे रह सकते हैं। चौटाला इस समय दिल्ली से बाहर हैं, लेकिन उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि पूर्व उपराष्ट्रपति सोमवार शाम उनके आवास पर आ गए हैं।
अब अभय के पास है INLD की कमान
अभय चौटाला हरियाणा की राजनीति में एक जाना-पहचाना नाम हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के बेटे और पूर्व उपप्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के पौत्र हैं। कुछ माह पहले ओमप्रकाश चौटाला के निधन के बाद अभय को INLD का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था। इससे पहले वे पार्टी के महासचिव थे। 2024 में उन्होंने ऐलनाबाद से विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी भरत सिंह बेनीवाल से हार गए।
धनखड़ ने नहीं किया 15 महीने का इंतजार
सरकारी नियमों के अनुसार, उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा देने या कार्यकाल पूरा होने के बाद 15 महीने तक पूर्व उपराष्ट्रपति को आधिकारिक आवास में रहने की सुविधा मिलती है। इसके बाद उन्हें टाइप-VIII श्रेणी का बंगला दिया जाता है। यह बंगला आम तौर पर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्रियों और राष्ट्रीय दलों के अध्यक्षों को आवंटित किया जाता है। लेकिन धनखड़ ने इस अवधि का इंतजार किए बिना ही महज डेढ़ महीने में आवास खाली कर दिया और अब वे अस्थायी रूप से छतरपुर में रहने लगे हैं।
इस्तीफे और महाभियोग की पृष्ठभूमि
धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने पूरे देश की राजनीति को चौंका दिया था। वे देश के पहले ऐसे उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति रहे, जिनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। दिसंबर 2024 में विपक्ष ने उन पर पक्षपात के आरोप लगाते हुए महाभियोग का प्रस्ताव रखा था। हालांकि, तकनीकी कारणों से यह प्रस्ताव खारिज हो गया। विपक्ष लगातार यह आरोप लगाता रहा कि धनखड़ विपक्षी सांसदों की आवाज को दबाते थे और सिर्फ सत्ता पक्ष के हितों का ध्यान रखते थे। इस विवाद ने उनके पूरे कार्यकाल को प्रभावित किया।
यूं रहा है धनखड़ का सफर
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू में हुआ। उन्होंने वकालत की पढ़ाई की। 1989 में वे जनता दल से लोकसभा सांसद चुने गए। वे केंद्र की चंद्रशेखर सरकार में राज्य मंत्री भी रहे। वे 1993 से किशनगढ़ से विधायक रहे। धनखड़ 2003 में भाजपा में शामिल हुए। उन्हें 2019 में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल बने। धनखड़ 11 अगस्त 2022 को देश के उपराष्ट्रपति चुने गए।
