जई की 3 नई किस्में: हरे चारे की आपूर्ति में लाभदायक होंगी, प्रो. काम्बोज ने कहा हरियाणा के साथ अन्य राज्यों को भी मिलेगा लाभ

हरे चारे की आपूर्ति में लाभदायक होंगी, प्रो. काम्बोज ने कहा हरियाणा के साथ अन्य राज्यों को भी मिलेगा लाभ
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चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने जई की नई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जिनमें से अधिक चारा व बीज उत्पादन देने वाली किस्म एचएफओ 917 व एचएफओ 1014 है। एचएफओ 915 को देश के पवर्तीय क्षेत्रों में उगाया जा सकेगा।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के चारा अनुभाग ने जई की 3 नई उन्नत किस्में विकसित की हैं जिनमें से अधिक चारा व बीज उत्पादन देने वाली किस्म एचएफओ 917 व एचएफओ 1014 देश के उत्तर पश्चिमी व उत्तर पूर्वी राज्यों एवं अनेक कटाई वाली किस्म एचएफओ 915 देश के पवर्तीय क्षेत्रों में उगाने के लिए सिफारिश की गई है।


11.24 प्रतिशत हरे व 23.4 प्रतिशत सूखे चारे की कमी

विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी. आर. काम्बोज ने यह जानकारी देते हुए बताया कि देश में 11.24 प्रतिशत हरे व 23.4 प्रतिशत सूखे चारे की कमी है जिसके कारण पशुओं की उत्पादकता प्रभावित हो रही है। जई की अधिक गुणवत्तापूर्ण व ज्यादा पैदावार देने वाली किस्में विकसित होने से पशुपालकों को लाभ होगा व पशुओं की उत्पादकता भी बढ़ेगी। कुलपति ने कहा हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय की ओर से विकसित की गई फसलों की किस्मों का देश के अन्य राज्यों को भी लाभ हो रहा। प्रदेश में विकसित किस्मों की मांग अन्य प्रदेशों में भी लगातार बढ़ती जा रही है। कुलपति ने बताया कि हकृवि के चारा अनुभाग द्वारा विकसित जई की तीन किस्मों (एचएफओ 917, एचएफओ 1014 व एचएफओ 915) को भारत सरकार के राजपत्र नोटिफिकेशन न. 2138 (अ) में केन्द्रीय बीज समिति की सिफारिश पर समय पर बिजाई हेतु अनुमोदित किया गया है। यह हकृवि के साथ हरियाणा राज्य के लिए गर्व की बात है। उन्होंने इस उपलब्धि के लिए चारा अनुभाग के वैज्ञानिकों को बधाई दी और भविष्य में भी अपने प्रयास जारी रखने का आह्वान किया। उत्तर-पश्चिमी राज्यों के लिए विकसित जई की नई किस्म की विशेषताएं


चारा व बीज दोनों की अधिक पैदावार होगी

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने जई की नई किस्मों की विशेषता का उल्लेख करते हुए बताया कि एचएफओ 917 व एचएफओ 1014 किस्म को विकसित करने में चारा अनुभाग के डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. डी.एस. फोगाट, डॉ. सत्यवान आर्य, डॉ. रवीश पंचटा, डॉ. एस. के. पाहुजा, डॉ. सतपाल व डॉ. नीरज खरोड़ का योगदान रहा है। एचएफओ 917 व एचएफओ 1014 किस्में दोहरे प्रकार की किस्म है जो चारा व बीज दोनों की अधिक पैदावार दे सकती है। ये दोनों किस्म देश के उत्तर पश्चिमी (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड राज्य के तराई क्षेत्र) एवं उत्तर पूर्वी जोन (पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व आसाम) के लिए सिफारिश की गई है।


एचएफओ 917 किस्म की औसत पैदावार 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

एचएफओ 917 किस्म की हरे व सूखे चारे की औसत पैदावार 192 क्विंटल व 28 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इसकी बीज की पैदावार 23.8 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म के हरे चारे में प्रोटीन की औसत मात्रा उत्तर-पश्चिम जोन में 14.4 व उत्तर-पूर्व जोन में 9.38 प्रतिशत है। एचए‌फओ 1014 किस्म की हरे व सूखे चारे की औसत पैदावार 185 क्विंटल व 28 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इस किस्म की बीज की औसत पैदावार उत्तर पश्चिम जोन में 24.3 व उत्तर पूर्वी जोन में 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। इस किस्म के हरे चारे में प्रोटीन की औसत मात्रा उत्तर पश्चिम जोन में 15.5 प्रतिशत है।


एबएफओ 915 अधिक कटाई देने वाली किस्म

जई की एचएफओ 915 किस्म को विकसित करने में वैज्ञानिकों डॉ. योगेश जिंदल, डॉ. डी.एस. फोगाट, डॉ. सत्यवान आर्य, डॉ. रवीश पंचटा, डॉ. एस. के. पाहुजा, डॉ. सतपाल, डॉ. नीरज खरोड़, डॉ. दलविंदर पाल सिंह व डॉ. बजरंग लाल शर्मा का योगदान रहा है। एबएफओ 915 एक अधिक कटाई देने वाली किस्म है। इस किस्म की हरे व सूखे चारे की औसत पैदावार 234 क्विंटल व 50 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है। पर्वतीय क्षेत्रों में इस किस्म की हरे चारे की पैदावार राष्ट्रीय स्तर की किस्म आरओ-19 से चार प्रतिशत एवं यूपीओ-212 से नौ प्रतिशत अधिक पाई गई। एचएफओ 915 किस्म की बीज की औसत पैदावार 15.7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर है जबकि हरे चारे में प्रोटीन की मात्रा 10 प्रतिशत है जिसके कारण इसके चारे की गुणवत्ता पशुओं के लिए अधिक लाभदायक है। यह किस्म देश के पर्वतीय क्षेत्रों (हिमाचल प्रदेश एवं जम्मू कश्मीर) के लिए सिफारिश की गई है। चौधरी बरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने जई की नई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जिनमें से अधिक चारा व बीज उत्पादन देने वाली किस्म एचएफओ 917 व एचएफओ 1014 है। एचएफओ 915 को देश के पवर्तीय क्षेत्रों में उगाया जा सकेगा।

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