LUVAS Hisar की बड़ी सफलता: भारत में विकसित हुआ पहला ‘कैटल वेलफेयर असेसमेंट मॉड्यूल’, गोपालन होगा आसान

luvas develops indias first cattle welfare assessment module copyright
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पशु विश्वविद्यालय हिसार में कॉपीराइट दिखाते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक व अधिकारी। 
हरियाणा के पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने गोवंश के स्वास्थ्य और कल्याण का व्यवस्थित आकलन करने के लिए एक मॉड्यूल बनाया है। इसे कॉपीराइट मिल चुका है। इससे पशुपालकों को बड़ा लाभ होगा।

LUVAS Hisar की बड़ी सफलता : लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (LUVAS), हिसार के वैज्ञानिकों ने देश का पहला वैज्ञानिक रूप से संरचित एवं विधिवत कॉपीराइट प्राप्त ‘कैटल वेलफेयर इंडिकेटर्स मॉड्यूल’ विकसित कर मील का पत्थर स्थापित किया है। यह मॉड्यूल बीस वैज्ञानिक संकेतकों के माध्यम से विभिन्न पशुपालन प्रणालियों में गोवंश के स्वास्थ्य और कल्याण का व्यवस्थित आकलन करने में सक्षम है। इससे भारतीय पशुपालन पद्धतियों को अंतरराष्ट्रीय पशु कल्याण मानकों के अनुरूप लाने में महत्वपूर्ण सहायता मिलेगी। यह मॉड्यूल पारंपरिक एवं व्यावसायिक दोनों प्रकार की डेयरी प्रणालियों में समान रूप से लागू किया जा सकता है। जल्द ही इसे पशुपालकों को उपलब्ध करवाया जाएगा।

डॉ. अंकित कुमार का शोध कार्य

इस अभिनव प्रयास का नेतृत्व डॉ. अंकित कुमार (वैज्ञानिक, LUVAS) ने अपने पीएचडी शोधकार्य के अंतर्गत डॉ. नीलेश सिंधु एवं डॉ. तरुण कुमार (सहायक प्रोफेसर, LUVAS) के मार्गदर्शन में किया। परियोजना दल में डॉ. अंकित मगोतरा, डॉ. बिस्वा रंजन महाराणा, डॉ. मनीष शर्मा, डॉ. पूजा भ्याण, डॉ. अन्नु यादव, डॉ. शिविका गुप्ता एवं डॉ. सुनील पुनिया सह-आविष्कारक के रूप में सम्मिलित रहे।

12 राष्ट्रीय व एक अंतराष्ट्रीय पेटेंट मिल चुका

कुलपति प्रो. नरेश जिंदल ने पूरी शोध टीम को बधाई दी तथा इसे पशु चिकित्सा एवं पशुपालन क्षेत्र में विश्वविद्यालय के लिए गौरव का विषय बताया और कहा कि यह उपलब्धि लुवास की अनुसंधान गुणवत्ता को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाती है। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नरेश कक्कड़ ने कहा कि अब तक लुवास को एक अंतरराष्ट्रीय पेटेंट (तीन देशों में), 12 राष्ट्रीय पेटेंट और 3 कॉपीराइट प्राप्त हो चुके हैं। हमारा उद्देश्य पशुपालकों को कम लागत पर वैज्ञानिक समाधान उपलब्ध कराना है और यह नवाचार उसी दिशा में एक सार्थक कदम है। मुझे गर्व है कि यह शोध कार्य अब कॉपीराइट के रूप में मान्यता प्राप्त कर चुका है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ. एस.एस. ढाका, पशु चिकित्सा महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. गुलशन नारंग, मानव संसाधन एवं प्रबंधन निदेशक डॉ. राजेश खुराना, स्नातकोत्तर अधिष्ठाता डॉ. मनोज रोज और अन्य वैज्ञानिक संकाय सदस्य भी उपस्थित रहे।

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