HTET फर्जीवाड़ा: क्या है 3 लाख में परीक्षा पास कराने का राज? हिसार में सेंध लगाने वाले गिरोह का पर्दाफाश

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बर्खास्त टीचर रामफल शर्मा, जिस पर फर्जी परीक्षार्थी बैठाने का आरोप है। 

इन आरोपियों को परीक्षा से ठीक पहले गिरफ्तार किया, जिससे एक बड़ा घोटाला होने से बच गया। जांच में पता चला कि इस गिरोह का सरगना, बर्खास्त टीचर एक परीक्षार्थी से कई लाख रुपये लेता था।

हरियाणा के हिसार में पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया है। हरियाणा अध्यापक पात्रता परीक्षा (HTET) में नकली परीक्षार्थियों को बैठाने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पुलिस ने 5 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह पैसों के लिए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल कर असली उम्मीदवारों की जगह दूसरों को परीक्षा दिलवाता था। इस मामले में मुख्य आरोपी, एक बर्खास्त टीचर, परीक्षा दिलवाने के लिए 3 लाख रुपये तक लेता था। पुलिस ने इन आरोपियों को परीक्षा से ठीक पहले ही पकड़ लिया, जिससे एक बड़ा फ्रॉड होने से बच गया।

ऐसे हुआ फर्जीवाड़े का खुलासा

हिसार की CIA टीम को इस गिरोह की गतिविधियों के बारे में गुप्त सूचना मिली थी। सूचना के आधार पर पुलिस ने जाल बिछाया और अलग-अलग टीमों ने आरोपियों को गिरफ्तार किया। पुलिस ने तलवंडी राणा के पास से सिकंदर और सुखबीर को पकड़ा जबकि कलीराम और गोपाल को भी अलग-अलग जगहों से गिरफ्तार किया गया। तलाशी के दौरान सिकंदर के पास से एक फर्जी आधार कार्ड मिला, जिसमें नाम तो सिकंदर का था लेकिन फोटो सुखबीर की लगी हुई थी। यह साफ संकेत था कि सुखबीर, सिकंदर की जगह परीक्षा देने वाला था।

पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि पकड़े गए आरोपी मॉडल संस्कृति स्कूल में HTET की परीक्षा देने वाले थे। समय रहते पुलिस ने इन्हें काबू कर लिया जिससे ये अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाए। सदर थाना पुलिस ने CIA स्टाफ के पीएसआई अमित और एसआई अमरजीत की शिकायत पर सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।

गिरोह का सरगना और उसकी कार्यप्रणाली

गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से एक बिठमड़ा गांव का रहने वाला रामफल शर्मा इस गिरोह का मुख्य सरगना है। वह एक बर्खास्त पीटीआई टीचर है। पुलिस के मुताबिक, रामफल शर्मा पैसे लेकर फर्जी परीक्षार्थी यानी 'पेपर सोल्वर' उपलब्ध कराता था। एक उम्मीदवार से करीब 3 लाख रुपये लिए जाते थे, जिसमें से 1 लाख रुपये फर्जी परीक्षार्थी को मिलते थे।

पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने अपनी जगह दूसरों से परीक्षा दिलवाने की बात स्वीकार की है। कलीराम ने बताया कि वह अपनी पत्नी कृष्णा की जगह किसी दूसरी महिला को परीक्षा में बैठाना चाहता था। वहीं, गोपाल ने अपनी जगह दनोदा निवासी दीपक को परीक्षा में बैठाने की योजना बनाई थी। इसके लिए दीपक की फोटो को प्रवेश पत्र पर चिपकाकर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए थे।

मुख्य आरोपी पर पहले भी दर्ज हैं मामले

पुलिस के अनुसार मुख्य आरोपी रामफल शर्मा पर पहले भी हिसार और पंचकूला में ऐसे ही फर्जीवाड़े के दो मामले दर्ज हैं। वह फिलहाल जमानत पर बाहर था, लेकिन पुलिस उस पर लगातार नजर रख रही थी। यह मामला दर्शाता है कि सरकारी नौकरियों और पात्रता परीक्षाओं में सेंध लगाने के लिए ऐसे गिरोह सक्रिय हैं।

पुलिस इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश कर रही है और सभी गिरफ्तार आरोपियों को 5 दिन के रिमांड पर लेकर पूछताछ जारी है। इस गहन जांच से उम्मीद है कि इस गिरोह की जड़ों तक पहुंचा जा सकेगा और भविष्य में होने वाले फर्जीवाड़े को रोका जा सकेगा। यह घटना उन सभी उम्मीदवारों के लिए एक चेतावनी है जो शॉर्टकट अपनाकर परीक्षा पास करने की कोशिश करते हैं।

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