हिसार में अन्नदाता परेशान: धान तैयार, मंडी में जगह नहीं, पोर्टल पर वेरिफिकेशन अटका, आंदोलन की तैयारी

Crop Verification
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हिसार की मंडी में पहुंची धान की फसल। 

धान की फसल तैयार है, लेकिन 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर वेरिफिकेशन अटकने से किसानों को भारी संकट का सामना करना पड़ रहा है। हिसार के उकलाना में हजारों किसान सरकारी मंडियों में गेट पास नहीं ले पा रहे हैं, क्योंकि उनकी फसलें वेरिफाई नहीं हुई हैं।

हरियाणा के हिसार जिले में किसानों को इन दिनों भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। धान की फसल तैयार होने और कटाई शुरू होने के बावजूद, किसान अपनी उपज को सरकारी मंडियों में बेचने से वंचित हैं। इसकी मुख्य वजह है 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर राजस्व विभाग द्वारा फसलों की वेरिफिकेशन का अटक जाना। वेरिफिकेशन की इस देरी के चलते किसान कम दामों पर अपनी धान की फसल व्यापारियों को बेचने को विवश हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।

बिना गेट पास के किसान फसल की बिक्री नहीं कर सकते

जानकारी के अनुसार किसानों द्वारा 'मेरी फसल मेरा ब्योरा' पोर्टल पर अपनी फसल का पंजीकरण कराना आवश्यक होता है। कटाई शुरू होने से पहले राजस्व विभाग द्वारा इस पंजीकरण की भौतिक वेरिफिकेशन करना अनिवार्य होता है। यह वेरिफिकेशन इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके बिना किसानों को मंडी में प्रवेश के लिए गेट पास जारी नहीं किया जाता। बिना गेट पास के किसान अपनी फसल की बिक्री सरकारी खरीद केंद्रों पर नहीं कर सकते।

हिसार जिले के उकलाना सहित कई क्षेत्रों में यही प्रक्रिया अटकी हुई है। किसान पिछले 10 दिनों से धान की कटाई कर चुके हैं और उनकी फसल मंडियों में पड़ी है, लेकिन वेरिफिकेशन न होने के कारण गेट पास नहीं मिल पा रहा है।

व्यापारियों की चांदी

उकलाना के किसान संदीप, वीरेंद्र, राजेश और कृष्ण कुमार ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि सरकार की लापरवाही के कारण उनकी धान की फसल पोर्टल पर वेरिफाई नहीं हो पाई है। उन्होंने कहा कि बिना गेट पास के फसल बिक नहीं सकती। इस स्थिति का सीधा फायदा व्यापारी उठा रहे हैं और किसानों से धान को सरकारी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से काफी कम कीमतों पर खरीद रहे हैं। कटाई के बाद धान को जल्द बेचना आवश्यक होता है, क्योंकि लंबे समय तक मंडी में पड़ी रहने से उसमें नमी और गुणवत्ता का नुकसान होता है। मजबूरी में किसान व्यापारियों के हाथों अपनी फसल बेचकर आर्थिक नुकसान उठा रहे हैं।

सीएम के दावों और जमीनी हकीकत में अंतर

किसान नेता सुरेंद्र लितानी और मियां सिंह बिठमड़ा ने सरकार पर तैयारियों में लापरवाही बरतने का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि सरकार को पता था कि सितंबर के आखिरी सप्ताह से धान की कटाई शुरू हो जाती है। ऐसे में सितंबर के पहले सप्ताह तक वेरिफिकेशन का काम पूरा हो जाना चाहिए था।

किसान नेताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री किसानों की भलाई को लेकर बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत बिलकुल उलट है। समय पर प्रक्रिया पूरी न होने से किसान अपनी फसल लेकर मंडियों में धक्के खाने को मजबूर हैं। यह लापरवाही सीधे तौर पर किसानों की मेहनत पर पानी फेर रही है।

किसानों ने दी आंदोलन की चेतावनी

किसान नेताओं ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार ने इस मामले को तुरंत संज्ञान में नहीं लिया और फसलों की वेरिफिकेशन प्रक्रिया को तुरंत प्रभाव से पूरा नहीं किया, तो प्रदेशभर के किसान आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

उन्होंने मांग की है कि मुख्यमंत्री और संबंधित विभाग तत्काल हस्तक्षेप करें और किसानों को इस परेशानी से राहत दिलाएं। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को लेकर उकलाना तहसील में धरना प्रदर्शन करने का फैसला लिया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी हिसार जिला प्रशासन की होगी। किसानों का कहना है कि अगर समय रहते यह समस्या हल नहीं हुई तो उन्हें धान की बिक्री में और भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा।


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