किसानों की टेंशन खत्म: हरियाणा कृषि विवि ने बनाया 'फ्रूट फ्लाई ट्रैप', सिर्फ 130 रुपये में मिलेगा समाधान

Fruit Fly
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हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय ने बनाया सस्ता और टिकाऊ फ्रूट फ्लाई ट्रैप। 

यह नया ट्रैप न केवल किसानों की लागत कम करेगा बल्कि उन्हें महंगे कीटनाशकों से भी मुक्ति दिलाएगा। एक ट्रैप में 5-6 हजार फ्रूट फ्लाई को फंसाया जा सकता है और यह 45 दिनों तक प्रभावी रहता है।

किसानों के लिए एक बहुत बड़ी खुशखबरी है। अगर आप अपनी बागवानी फसलों को 'फ्रूट फ्लाई' से होने वाले नुकसान से परेशान हैं, तो अब आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। हरियाणा के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CCS HAU) ने एक ऐसा क्रांतिकारी समाधान निकाला है जो बेहद सस्ता और प्रभावी है। इस यूनिवर्सिटी ने सिर्फ ₹130 की कीमत में एक खास 'फ्रूट फ्लाई ट्रैप' बनाया है, जो किसानों की समस्या को चुटकियों में हल कर देगा।

मक्खी फलों और सब्जियों में छेद करके अंडे देती है

फ्रूट फ्लाई (फल मक्खी) सुनहरे रंग की एक छोटी मक्खी होती है, जो बागवानी फसलों और सब्जियों के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह मक्खी फलों और सब्जियों में छेद करके अंडे देती है। इन अंडों से निकलने वाले कीट फल के अंदर ही पनपते हैं, जिससे फल अंदर से सड़ने लगता है और पकने से पहले ही जमीन पर गिर जाता है।

यह कीट किसानों को भारी नुकसान पहुंचाता है। कुलपति प्रोफेसर बीआर कम्बोज के अनुसार अकेले फ्रूट फ्लाई अमरूद, किन्नू, नाशपाती, आड़ू और आम जैसी फसलों में 30% से 100% तक का नुकसान कर सकती है। तरबूज, खरबूजा, खीरा, तोरई और करेला जैसी सब्जियों में भी यह 30% से 80% तक फसल बर्बाद कर देती है।

ऐसे काम करता है यह सस्ता और प्रभावी ट्रैप

सीसीएस एचएयू के कीट विज्ञान विभाग द्वारा विकसित किया गया यह ट्रैप एक साधारण लेकिन वैज्ञानिक तरीके से काम करता है।

• आकर्षण का सिद्धांत : ट्रैप के अंदर एक खास तरह का केमिकल सेप्टा लगाया जाता है। इसमें से मादा फ्रूट फ्लाई की गंध आती है, जो नर मक्खियों को अपनी ओर खींचती है।

• फंसने का तरीका : नर फ्रूट फ्लाई इस गंध की तरफ आकर्षित होकर बोतल के अंदर चली जाती है। एक बार अंदर जाने के बाद, वे केमिकल के संपर्क में आने से वहीं गिर जाती हैं और बाहर नहीं निकल पातीं।

• एक ट्रैप, हजारों मक्खियां : एक फ्रूट फ्लाई ट्रैप में 5,000 से 6,000 तक नर मक्खियों को फंसाया जा सकता है। नर मक्खियों की संख्या कम होने से उनका प्रजनन चक्र टूट जाता है और इस तरह फ्रूट फ्लाई की आबादी कम हो जाती है। यह ट्रैप न केवल फ्रूट फ्लाई को खत्म करता है, बल्कि फसलों के लिए फायदेमंद 'मित्र कीटों' को भी कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है।

ट्रैप की कीमत और उपलब्धता

विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशक डॉ. राजबीर गर्ग ने बताया कि इस ट्रैप की कीमत केवल ₹130 है। इसके साथ इस्तेमाल होने वाला सेप्टा ₹100 प्रति नग के हिसाब से उपलब्ध है। एक एकड़ फसल के लिए 14 से 16 ट्रैप लगाने की सलाह दी जाती है। इस ट्रैप को पेड़ की टहनी पर या खूंटी पर आसानी से लगाया जा सकता है, और सेप्टा को समय-समय पर बदलकर इसका इस्तेमाल लगातार किया जा सकता है।

यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यह ट्रैप बिना किसी मुनाफे के, 'नो प्रॉफिट-नो लॉस' के सिद्धांत पर किसानों को उपलब्ध करा रहे हैं। किसान सीधे हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के कार्यालय से इसे खरीद सकते हैं।

किसानों के लिए वरदान

यह 'फ्रूट फ्लाई ट्रैप' किसानों के लिए कई मायनों में फायदेमंद है।

• कम लागत: यह महंगे कीटनाशकों का एक सस्ता और टिकाऊ विकल्प है।

• जैविक खेती को बढ़ावा: इसके इस्तेमाल से कीटनाशकों का प्रयोग कम होगा, जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा।

• बेहतर फसल की गुणवत्ता: जब कीटों का प्रकोप कम होगा, तो उपभोक्ताओं को बेहतर गुणवत्ता वाले फल और सब्जियां मिलेंगी।

• सरल उपयोग: इसका इस्तेमाल करना बेहद आसान है और यह 45 दिनों तक प्रभावी रहता है। इसे पेड़ पर एक से डेढ़ मीटर की ऊंचाई पर और छाया में लगाना चाहिए।

इस पहल से न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी, बल्कि पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। यह दिखाता है कि कैसे वैज्ञानिक शोध किसानों की समस्याओं का व्यावहारिक समाधान दे सकते हैं

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