हिसार में खौफनाक बदला: स्कूल में डेस्क पर बैठने को लेकर विवाद के एक साल बाद क्लासमेट की गोली मारकर हत्या

हिसार में बेटे की मौत के बाद थाने में बेसुध बैठा पिता।
हरियाणा के हिसार के सातरोड खुर्द में गुरुवार सुबह एक चौंकाने वाली घटना सामने आई, जहां हांसी के 14 वर्षीय किशोर ने अपने ही क्लासमेट मस्तनाथ कॉलोनी निवासी 14 वर्षीय दीक्षित की गोली मारकर हत्या कर दी। यह वारदात सेना से सेवानिवृत्त अपने दादा की लाइसेंसी 'डोगा' बंदूक से की गई। शुक्रवार को किशोर के शव का पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। इस जघन्य अपराध के पीछे की वजह अब सामने आ रही है – एक साल पहले स्कूल में डेस्क पर बैठने को लेकर हुआ एक मामूली विवाद, जो बदले की खौफनाक आग में बदल गया।
एक साल पुरानी रंजिश का खूनी अंत
पुलिस ने आरोपी छात्र और उसके माता-पिता के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। शुरुआती जांच में पता चला है कि इस हत्या का कारण एक साल पहले स्कूल में बेंच पर बैठने को लेकर दीक्षित और आरोपी छात्र के बीच हुआ विवाद था। उस समय आरोपी छात्र ने मन ही मन दीक्षित से बदला लेने की ठान ली थी। उसकी यह बदले की भावना तब और पुख्ता हो गई जब दीक्षित के माता-पिता शिकायत लेकर उसके घर पहुंचे। यह घटना आरोपी के दिल में गहरे तक बैठ गई और उसने अपने सहपाठी को सबक सिखाने की योजना बनानी शुरू कर दी।
गुरुवार सुबह लगभग 5 बजे हांसी का 14 वर्षीय किशोर अपने दादा की लाइसेंसी डोगा बंदूक लेकर अपनी बाइक पर सवार होकर सातरोड खुर्द गांव के लिए निकला। निकलने से पहले उसने मस्तनाथ कॉलोनी में रहने वाले अपने क्लासमेट दीक्षित के घर पर कई बार फोन किया। दीक्षित की मां ने जब लगातार आ रही कॉल का जवाब दिया तो उन्हें पता चला कि कॉल करने वाला दीक्षित का क्लासमेट है। इसके बाद दीक्षित के परिवार ने उससे मिलने से इनकार कर दिया था।
दूध लेने निकला था दीक्षित, लौटी उसकी मौत की खबर
मूल रूप से चरखी दादरी के जिंझर गांव के रहने वाले प्रकाश, जो सेना से नायक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं, अपने परिवार के साथ सैनिक छावनी के सामने मस्तनाथ कॉलोनी में रहते हैं। उनका बेटा दीक्षित हांसी के एक निजी स्कूल में दसवीं कक्षा में पढ़ता था, जबकि उनकी बेटी दीपिका ने हाल ही में 12वीं की परीक्षा पास की है।
गुरुवार को छुट्टी का दिन होने के कारण, सुबह लगभग 6:30 बजे प्रकाश ने अपने बेटे दीक्षित को दूध लेने के लिए भेजा। दीक्षित अपनी एक्टिवा लेकर घर से निकला और अपने साथ अपना मोबाइल फोन भी ले गया था। सवा सात बजे दीक्षित ने अपने पिता को फोन कर बताया कि उसने दूध ले लिया है और वह घर आ रहा है। लेकिन इसके बाद दीक्षित घर नहीं लौटा। प्रकाश ने कई बार उसे फोन किया, लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। सुबह 7 बजकर 29 मिनट पर, एक महिला ने फोन उठाया और बताया कि लड़के को गोली लगी है और वह तड़प रहा है। यह सुनकर प्रकाश और परिवार के अन्य सदस्य तुरंत मौके पर पहुंचे और दीक्षित को शहर के जिंदल अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। प्रकाश ने बताया कि हांसी के एक किशोर ने उनके बेटे की गोली मारकर हत्या की है।
ऐसे दिया आरोपी ने वारदात को अंजाम
1.घात लगाकर बैठा था : आरोपी छात्र सुबह से ही दीक्षित पर घात लगाकर बैठा था। उसे पूरा यकीन था कि दीक्षित घर से बाहर जरूर निकलेगा। जब दीक्षित दूध लेने के लिए अपनी एक्टिवा से निकला तो आरोपी ने उसे देख लिया और उसका पीछा करना शुरू कर दिया। दूध लेने के बाद जब दीक्षित ने अपने घर फोन किया और बताया कि वह घर आ रहा है, तो उसके बाद किशोर ने दीक्षित से बातचीत की और उसे सातरोड खुर्द के रेलवे स्टेशन की तरफ झाड़ियों में एक कच्चे रास्ते पर ले गया।
2.बंदूक देखकर भागा छात्र, पीछे से मारी गोलियां : दीक्षित ने कच्चे रास्ते पर अपनी एक्टिवा रोकी और उसके ठीक पीछे किशोर ने अपनी बाइक रोकी। इसके बाद वह अपने दादा की लाइसेंसी बंदूक लेकर दीक्षित की ओर बढ़ा। बंदूक देखकर दीक्षित कच्चे रास्ते पर दौड़ पड़ा। किशोर भी उसके पीछे दौड़ा और उसने गोलियां चला दीं। कमर में दो गोलियां लगने से दीक्षित जमीन पर गिर पड़ा। इसके बाद किशोर मौके से फरार हो गया। दीक्षित कई देर तक जमीन पर पड़ा तड़पता रहा।
3.महिला चींटियों को आटा डालने आई तो पता चला : यह वारदात करीब सवा सात बजे के बाद की है। स्टेशन के सामने बनी कॉलोनी में रहने वाली एक महिला चींटियों को आटा डालने के लिए कच्चे रास्ते की तरफ आई। उस दौरान महिला ने फोन की घंटी सुनी और जब वह मौके पर पहुंची तो उसने देखा कि एक किशोर लहूलुहान हालत में जमीन पर पड़ा है और उसकी जेब में रखा हुआ फोन बज रहा है। महिला ने फोन उठाया और बात की। महिला ने दीक्षित के पिता प्रकाश को बताया कि उनके बेटे को गोली लगी हुई है और वह तड़प रहा है। यह पता चलते ही दीक्षित की मां और पिता मौके पर पहुंचे और बेटे को अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक दीक्षित की मौत हो चुकी थी।
हथियार और परिवार का बैकग्राउंड
दीक्षित को गोली मारने वाले किशोर के दादा सेना से सेवानिवृत्त हैं और एक बैंक में गार्ड की नौकरी करते हैं। इसी कारण उनके पास लाइसेंसी डोगा बंदूक है। वे अक्सर रात के समय बंदूक अपने पास रखकर सोते हैं। सुबह किशोर ने वही बंदूक उठा ली और इस वारदात को अंजाम दिया। वारदात करने वाला किशोर भी अपने माता-पिता की इकलौती संतान है।
वहीं, मृतक दीक्षित के पिता प्रकाश भी सेना से नायक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। उनकी 2013 में हिसार कैंट में तैनाती थी और वे 2024 में सिक्किम से नायक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। उन्होंने हाल ही में अपने घर पर निर्माण कार्य शुरू किया हुआ था और उन्होंने ही मिस्त्रियों के लिए चाय बनाने के लिए दूध लाने दीक्षित को भेजा था। यह दुखद घटना एक मामूली विवाद के खूनी अंजाम को दर्शाती है, जिससे दोनों परिवारों की जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई है।
