हुड्डा को हाईकोर्ट का झटका: मानसेर जमीन घोटाले में याचिका खारिज, 34 के खिलाफ 80 पेज की जार्चशीट

cm hooda
X

नेता विपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा।

मानेसर लैंड स्कैम में हाईकोर्ट ने भूपेंद्र हुड्डा की याचिका खारिज कर बड़ा झटका दिया है। अब आरोप तय होने के बाद ट्रॉयल चलेगा, सीबीआई ने 34 के खिलाफ 80 पेज की चार्जशीट दाखिल की थी।

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को 1500 करोड़ के मानेसर जमीन घोटाले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। अब याचिका खारिज हो जाने के साथ ही अब पंचकूला सीबीआई की विशेष अदालत में आरोप तय हो सकेंगे। सीबीआई पहले अदालत में मामले में चालान पेश कर चुकी है। अब आरोप तय होने के बाद ट्रायल चलेगा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने मुख्यमंत्री रहते हुए मानेसर आईएमटी रद्द कर 25 अगस्त 2005 को सेक्शन-6 का नोटिस जारी कराया था। मुआवजा 25 लाख रुपये प्रति एकड़ तय करते हुए अवार्ड के लिए सेक्शन-9 का नोटिस भी जारी किया गया था। बाद में बिल्डर्स ने 400 एकड़ किसानी जमीन औने-पौने दामों में खरीदी। चर्चित मामले में 2007 में हुड्डा के मुख्यमंत्री रहते हुए ही सरकार ने उक्त 400 एकड़ जमीन अधिग्रहण से मुक्त कर दी थी। जिससे किसानों को उस समय करीब 1500 करोड़ का नुकसान हुआ।

2015 में जांच शुरू, 2018 में मिली जमानत

सीबीआई ने साल 2015 में मामले की जांच शुरू की और सितंबर 2018 में हुड्डा समेत 34 आरोपियों के खिलाफ 80 पेज की चार्जशीट अदालत में पेश की थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप तय करते हुए सीबीआई की विशेष अदालत मामले की सुनवाई करेगी.ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने मानेसर लैंड स्कैम में सीबीआई जांच का निर्देश दिया था। अदालत ने पाया कि अधिग्रहण प्रक्रिया को रद्द करने का तत्कालीन हुड्डा सरकार का 2007 का फैसला दुर्भावनापूर्ण था और इसे धोखाधड़ी माना था। सुप्रीम अदालत ने सीबीआई को बिचौलियों द्वारा कमाए गए अनुचित लाभ की जांच करने और राज्य सरकार को “एक-एक पाई वसूलने” का निर्देश दिया था। पंचकूला विशेष सीबीआई अदालत की ओर से वर्ष 2018 में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा को 1500 करोड़ के मानेसर ज़मीन घोटाले में ज़मानत दे दी। पूरे मामले में सीबीआई अदालत ने हुड्डा और इस मामले में आरोपी अन्य वरिष्ठ अधिकारियों और कुछ निजी प्रमोटरों को समन जारी कर मानेसर भूमि मामले में अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने रद किया था सरकार का फैसला

भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत सभी आरोपियों पर आपराधिक षडयंत्र (आईपीसी की धारा 120-बी) और धोखाधड़ी (आईपीसी की धारा 420) के साथ-साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे जिसके चर्चा में आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हुड्डा के नेतृत्व वाली हरियाणा सरकार के 2007 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें उसने औद्योगिक टाउनशिप स्थापित करने के लिए गुड़गांव के तीन गाँवों से 912 एकड़ ज़मीन अधिग्रहित करने की 2004 की अधिसूचना को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने सीबीआई को मामले की गहन जाँच करने और बिचौलियों द्वारा प्राप्त "अप्राकृतिक लाभ" का पता लगाने का निर्देश दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने मार्च माह में 13 मार्च को बताया था कि सरकार ने मानेसर भूमि मामला सीबीआई को सौंप दिया है।मानेसर मामले पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए खट्टर ने कहा, "इसने ऐसी गतिविधियों को सत्ता का दुर्भावनापूर्ण प्रयोग और सत्ता के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला बताया है। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण में बिचौलियों की भूमिका की जाँच के भी आदेश दिए हैं। अब जाँच के दौरान सब कुछ सामने आ जाएगा।" यहां पर यह भी बता दें कि 2004 में, तत्कालीन राज्य सरकार ने मानेसर, लखनौला और नौरंगपुर में भूमि अधिग्रहण के लिए एक अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के बाद, कई किसानों ने अपनी ज़मीनें निजी बिल्डरों को कम दामों पर बेच दीं। तीन साल बाद, सरकार ने अधिग्रहण अधिसूचना रद्द करने का निर्देश जारी किया। सर्वोच्च न्यायालय ने ज़मीन हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा)/हरियाणा औद्योगिक विकास निगम (एचएसआईडीसी) को सौंपने का निर्देश दिया था।

अगर आपको यह खबर उपयोगी लगी हो, तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें और हर अपडेट के लिए जुड़े रहिए [haribhoomi.com] के साथ।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story