हरियाणा में BPL परिवारों को झटका: सरकार ने सरसों के तेल की कीमत बढ़ाई, अब देने होंगे इतने पैसे

हरियाणा सरकार ने सरसो के तेल की कीमत बढ़ाई।
Haryana BPL Family: हरियाणा सरकार ने 3 लाख BPL परिवारों को झटका दिया है। सरकार ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत AAY और BPL परिवारों को मिलने वाले फॉर्टिफाइड सरसों के तेल की कीमत में बढ़ोतरी कर दी है। पहले BPL परिवारों को 2 लीटर सरसों तेल के लिए 40 रुपये देते थे। लेकिन जुलाई में तेल कीमत 40 रुपये से लेकर 100 रुपये कर दी गई है। यानी सरकार ने प्रति 2 लीटर पर 60 रुपये बढ़ा दिए हैं।
विभाग को होगा फायदा
जानकारी के मुताबिक, सरकार के इस फैसले का असर करनाल में रहने वाले 3 लाख 1 हजार 682 राशन कार्डधारकों और उनके परिवारों पर पड़ेगा। जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के आंकड़ों की मानें तो AAY और BPL कार्डधारकों को हर महीने 6 लाख 3 हजार 364 लीटर सरसों का तेल दिया जाता है, जिससे विभाग को कुल 1 करोड़ 20 लाख 67 हजार 280 रुपये का फायदा होता है। तेल की कीमत बढ़ जाने से 100 रुपए प्रति 2 लीटर की दर से यह कीमत बढ़कर 3 करोड़ 1 लाख 68 हजार 200 रुपए हो गई है। यानी सरकारी हर महीने 1 करोड़ 81 लाख 920 रुपये का फायदा होगा।
डिपो होल्डर्स ने क्या कहा ?
सरकार के इस फैसले पर डिपो होल्डर्स का कहना है कि सरकार ने जुलाई में रेट बढ़ोतरी को लागू किया है। डिपो होल्डर्स ने यह भी बताया कि उनके पास पहले ही जुलाई महीने का तेल पहुंच गया है। पुरानी दर के हिसाब से उन्होंने विभाग को पेमेंट भी कर दी है। अब उन्हें विभाग की ओर से 60 रुपए प्रति 2 लीटर के हिसाब से राशि जमा करवाने के आदेश दिए हैं।
ऐसा भी कहा जा रहा है कि जिन डिपो पर अभी तेल नहीं आया है, उन्हें अब 100 रुपये प्रति 2 लीटर के हिसाब से पेमेंट करना पड़ेगा। डिपो होल्डर्स का कहना है कि सरकारन ने तेल के रेट बढ़ा दिए हैं, इसके बावजूद भी पीडीएस मशीनों में आज भी पुराना रेट यानी 40 रुपये दिख रहे हैं, जिसकी वजह से डिपो होल्डर उलझन में हैं। अधिकारियों का कहना है कि जब तक मशीनों में रेट अपडेट नहीं होंगे, तब तक के लिए तेल और राशन ग्राहकों को ना दिया जाए।
DFSC ऑफिसर ने क्या बताया ?
करनाल के खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (DFSC) अनिल कुमार के मुताबिक, विभाग केवल नीतियों को लागू करता है। सरकार की तरफ से सरसों के तेल का रेट 40 से 100 रुपए प्रति 2 लीटर कर दिया गया है। लेकिन इस फैसले की वजह का अब तक पता नहीं लग पाया है। उन्होंने कहा कि यह पॉलिसी हेडक्वार्टर स्तर पर बनती है, जिसे सिर्फ फील्ड में लागू किया जाता है।
