Forest: हरियाणा में एग्रो फॉरेस्ट प्लांटेशन-गार्डन वनों का होंगे हिस्सा, सरकार ने 3 शर्तों के साथ बदले नियम

CM Nayab Singh Saini
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हरियाणा में सरकार ने बदले वनों के नियम। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Haryana Forest: हरियाणा में सरकार ने वनों की सुरक्षा को देखते हुए वनों की परिभाषा और पहचान के मानदंडों में 3 शर्तों के साथ बदलाव किया है।

Haryana Forest: हरियाणा सरकार ने वनों की सुरक्षा को ज्यादा बेहतर करने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है। सरकार ने वनों की परिभाषा और पहचान के मानदंडों में बदलाव किया गया है। सरकार के फैसले के तहत अब एग्रो फॉरेस्ट प्लांटेशन और गार्डन भी जंगल का हिस्सा होंगे, इसे लेकर 3 शर्तों के साथ नियम में भी बदलाव किया गया है।

सरकार ने इसे लेकर 2 कमेटियां बनाई हैं। बता दें कि जो पेड़ प्राइवेट जमीन पर लगे हैं उन्हें भी बदलाव के दायरे में शामिल किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि जमीन का एक टुकड़ा डिक्शनरी मीनिंग के अनुसार वन तभी माना जाएगा जब वह 3 शर्तों को पूरा करेगा।

सरकार की 3 शर्तें क्या हैं ?

  • जमीन का टुकड़ा अलग-थलग हो इसके अलावा वह कम से कम 5 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला होना चाहिए।
  • सरकार द्वारा नोटिफाई वनों से सटा हुआ है तो कम से कम 2 एकड़ क्षेत्रफल होना चाहिए।
  • उसका कैनोपी डेंसिटी 0.4 या उससे ज्यादा होना चाहिए।

2 कमेटियां बनेगी

वन डिफनीशन के बाद सरकार उन जमीनों की पहचान करेगी जो इसके अंतर्गत आती हैं। ये निजी जमीनें, सामुदायिक जमीनें या पंचायती जमीनें हो सकती है, इसे लेकर 3 कमेटियों को बनाया जाएगा। दोनों कमेटियों के लिए अलग-अलग काम तय किए गए हैं। पहली कमेटी में उपायुक्त के अधीन जिला स्तरीय कमेटी होगी, जो इस मामले में प्रस्ताव भेजेगी। वहीं दूसरी केमटी का काम अतिरिक्त मुख्य सचिव के अधीन स्टेट लेवल कमेटी प्रस्तावों पर विचार करके अपना सुझाव देना है। इसके बाद मुख्य सचिव वन विभाग की नोटिफिकेशन के बाद सर्वोच्च न्यायालय (SC) में एक हलफनामा दायर करेंगे।

पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) आनंद मोहन शरण के मुताबिक, 'हमने गोदावर्मन मामले में सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार वन को परिभाषित किया है। इससे पहले, कोई परिभाषा नहीं थी।'

कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा ?

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के एक अहम फैसला को देखते हुए जंगलों को लेकर नियमों में बदलाव किया है। दरअसल गोदावर्मन मामले को लेकर साल 1996 में 12 दिसंबर को अपने आदेश में कहा था कि 'वन' शब्द का कोई डिक्शनरी मीनिंग नहीं है। इसके बाद कोर्ट ने सभी राज्यों को ऐसे सभी वन क्षेत्रों की पहचान करने और उनकी रिपोर्ट बनाने का निर्देश दिया था।

कोर्ट ने यह भी कहा था कि यह रिपोर्ट चाहे भारतीय वन अधिनियम के तहत नोटिफाई हो, राजस्व रिकॉर्ड में हो, या केवल डिक्शनरी मीनिंग में ही हो, सभी नेचुरल फॉरेस्ट लैंड पर वन (संरक्षण) एक्ट, 1980 के नियम एक समान तौर पर लागू किए जाएंगे।

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