हरियाणा में क्रांति: गुरुग्राम में भारत का पहला मानव रहित टोल प्लाजा बनकर तैयार, 9000 करोड़ की लागत से बनी है सड़क

हरियाणा के गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेसवे पर एक अनोखा और मानव रहित टोल प्लाजा बनकर तैयार हो गया है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने गुरुग्राम-दिल्ली सीमा पर बजघेड़ा में इसके संचालन की तैयारियां शुरू कर दी हैं। यह आधुनिक टोल प्लाजा न केवल टोल संग्रह में पारदर्शिता और गति लाएगा, बल्कि यात्रियों के समय की भी बचत करेगा। इसी के साथ, एयरपोर्ट से गुरुग्राम तक बनी नई सुरंग को भी ट्रायल रन के लिए खोला जाएगा, जिससे कनेक्टिविटी और बेहतर होगी।
टोल शुल्क और प्रीमियम एक्सप्रेसवे
फिलहाल NHAI ने 9,000 करोड़ रुपये की लागत से बने इस द्वारका एक्सप्रेसवे पर टोल शुल्क की घोषणा नहीं की है। हालांकि, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस प्रीमियम एक्सप्रेसवे पर दरें दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के समान हो सकती हैं, जहां प्रति किलोमीटर 2 रुपये से अधिक का शुल्क लिया जाता है। यह हरियाणा का दूसरा मानव रहित टोल प्लाजा है, इससे पहले सोनीपत में भी ऐसी ही सुविधा शुरू हो चुकी है।
जानिए मानव रहित टोल प्लाजा की खासियतें
यह नया टोल प्लाजा कई आधुनिक तकनीकों से लैस है, जो टोल भुगतान को सुगम और तेज बनाएगा:
एडवांस टोल मैनेजमेंट सिस्टम
सामान्य टोल प्लाजा की तरह यहां बूम बैरियर नहीं हैं, बल्कि उनकी जगह आधुनिक सेंसर युक्त बूम बैरियर लगाए गए हैं। इन्हें एडवांस टोल मैनेजमेंट सिस्टम से जोड़ा गया है। जैसे ही कोई वाहन इन सेंसर की सीमा में आता है, फास्टैग से अपने आप शुल्क कट जाता है और वाहन के पहुंचने से पहले ही बूम बैरियर ऊपर उठ जाते हैं। सभी एंट्री और एग्जिट पॉइंट पर भी सेंसर लगाए गए हैं। यह सिस्टम पूरी तरह से मानव रहित है और प्रत्येक लेन में हाई रेजोल्यूशन कैमरे और सेंसर लगे हैं, जिनकी रेंज लगभग 50 मीटर है। इसका मतलब है कि इस दूरी में आने के बाद कोई भी गाड़ी बिना टोल शुल्क दिए नहीं निकल पाएगी।
यूनिक आईडी और स्वचालित नंबर प्लेट पहचान
भविष्य में, स्वचालित नंबर प्लेट पहचान प्रणाली पर भी काम किया जा रहा है, जिससे फास्टैग और बूम बैरियर की भी आवश्यकता नहीं पड़ेगी। टोल प्लाजा पर रुकने की जरूरत नहीं होगी। इस तकनीक से हाईवे पर चढ़ते ही प्रत्येक गाड़ी की एक यूनिक आईडी जनरेट होगी। जैसे ही यह गाड़ी टोल प्लाजा के सेंसर की रेंज में आएगी, टोल शुल्क का भुगतान सीधे बैंक खाते से हो जाएगा। हालांकि, यह सुविधा तभी शुरू होगी जब टोल सिस्टम पूरी तरह से स्वचालित हो जाएगा।
कंट्रोल रूम में इंजीनियर की तैनाती
NHAI अधिकारियों के अनुसार, जब टोल प्लाजा पूरी तरह स्वचालित हो जाएगा, तो यहां बनाए गए कंट्रोल रूम में एक इंजीनियर तैनात रहेगा। किसी भी तकनीकी खामी को तुरंत ठीक किया जाएगा। यहां कोई भी काम मैन्युअल नहीं होगा। फिलहाल, कुछ समय के लिए दोनों तरफ एक-एक लेन कैश भुगतान के लिए रखी गई है, लेकिन बाद में इसे भी बंद कर दिया जाएगा।
पुरानी टोल भुगतान प्रणाली से तुलना
वर्तमान में अधिकतर टोल प्लाजा पर पुराने बूथ सिस्टम हैं, जहां एक कर्मचारी तैनात रहता है। नंबर प्लेट रीडर कैमरे और सेंसर तो लगे हैं, लेकिन फास्टैग से टोल शुल्क कटने और बूम बैरियर खुलने में समय लगता है। कई बार फास्टैग स्कैन नहीं होता था और उसे मैन्युअल तरीके से स्कैन करना पड़ता था। बिना फास्टैग वाले वाहन भी कई बार बिना टोल चुकाए निकल जाते थे, जिससे राजस्व का नुकसान होता था। यह नया सिस्टम इन सभी समस्याओं का समाधान करेगा।
द्वारका एक्सप्रेसवे की प्रमुख विशेषताएं
द्वारका एक्सप्रेसवे, जिसे उत्तरी परिधीय सड़क (NPR) भी कहा जाता है, दिल्ली के महिपालपुर को गुरुग्राम के खेड़की दौला टोल प्लाजा से जोड़ता है। यह 29 किलोमीटर लंबा एक्सप्रेसवे है, जिसमें से 18.9 किलोमीटर हरियाणा में और 10.1 किलोमीटर दिल्ली में स्थित है।
सीधी कनेक्टिविटी और लागत
यह एक्सप्रेसवे इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे (IGIA) और द्वारका सेक्टर 21 रेलवे स्टेशन तक सीधी कनेक्टिविटी प्रदान करता है। इसकी नींव 2007 में रखी गई थी, लेकिन विभिन्न कारणों से इसमें देरी हुई। अब यह 9,000 करोड़ रुपये की लागत से तैयार हो चुका है, जिसमें भूमि अधिग्रहण, निर्माण और आधुनिक तकनीकों का खर्च शामिल है।
भारत की पहली 8-लेन एलिवेटेड सड़क
यह भारत का पहला 8-लेन शहरी एलिवेटेड एक्सप्रेसवे है, जिसका 75% हिस्सा (लगभग 21.4 किमी) एलिवेटेड है। गुरुग्राम खंड में 19 किलोमीटर का 8-लेन फ्लाईओवर सिंगल पिलर पर बना है, जिससे जमीन की बचत होती है। इंदिरा गांधी इंटरनेशनल हवाई अड्डे (IGI) के टर्मिनल 3 तक 3.6 किलोमीटर लंबी 8-लेन सुरंग भी है, जो भारत में सबसे लंबी और चौड़ी है।
अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा
इस एक्सप्रेसवे में कई अन्य महत्वपूर्ण विशेषताएं हैं, जिनमें 20 से अधिक फ्लाईओवर और पुल, 2 रेल ओवरब्रिज/अंडरपास, 11 वाहन अंडरपास, 20 भूमिगत पैदल यात्री क्रॉसिंग और 2.5 मीटर चौड़ा साइकिल/बाइक पथ शामिल हैं। यह सभी सुविधाएं वाहनों की आवाजाही को सरल और सुरक्षित बनाएंगी।
द्वारका एक्सप्रेसवे के लाभ
यह नया एक्सप्रेसवे कई मायनों में दिल्ली और गुरुग्राम के लिए फायदेमंद साबित होगा:
ट्रैफिक भीड़ में कमी और समय की बचत
द्वारका एक्सप्रेसवे दिल्ली-गुरुग्राम एक्सप्रेसवे (NH-48) पर ट्रैफिक को 30-50% तक कम करेगा, क्योंकि यह एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है। इससे दिल्ली के महिपालपुर और गुरुग्राम के खेरकी दौला के बीच यात्रा आसान होगी। द्वारका से मानेसर तक की यात्रा केवल 15 मिनट और मानेसर से IGI हवाई अड्डा (टर्मिनल 3) तक 20 मिनट में पूरी की जा सकेगी।
बेहतर कनेक्टिविटी
यह एक्सप्रेसवे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, सेंट्रल परिधीय सड़क (CPR), और दक्षिणी परिधीय सड़क (SPR) से सीधा कनेक्शन प्रदान करता है। इससे न्यू गुरुग्राम (सेक्टर 36, 37, 104, 106, 109) और दिल्ली के द्वारका को बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी। 3.6 किलोमीटर की ब्लास्ट-प्रूफ सुरंग से हवाई अड्डे तक सीधी और तेज पहुंच होगी। यह दिल्ली और गुरुग्राम के बीच यात्रा समय को 45 मिनट से एक घंटे तक कम करेगा।
आर्थिक गलियारा
द्वारका एक्सप्रेसवे न्यू पालम विहार और गुरुग्राम के आसपास के क्षेत्रों में आवासीय और वाणिज्यिक परियोजनाओं को बढ़ावा देगा। सेक्टर 104, 106, 109 में प्रॉपर्टी की मांग और कीमतों में वृद्धि होगी। इसके अलावा, यह गुरुग्राम में व्यापार और उद्योगों के लिए बेहतर लॉजिस्टिक्स और कनेक्टिविटी प्रदान करेगा, जिससे मानेसर और सोहना जैसे औद्योगिक क्षेत्रों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। यह आधुनिक बुनियादी ढांचा हरियाणा और दिल्ली के विकास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।