मानेसर नगर निगम में राव नरबीर का दबदबा: सीनियर और डिप्टी मेयर पद पर मिली निर्विरोध जीत

Manesar Municipal Corporation
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मेयर और अन्य पार्षदों का कॉन्फ्रेंस हॉल में इंतजार करते भाजपा पार्षद। 

गुरुग्राम के मानेसर में सत्ता की लड़ाई ने एक नया मोड़ लिया है। मेयर इंद्रजीत कौर और उनके समर्थक पार्षदों ने सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर चुनाव का बहिष्कार कर दिया, जिसके बाद राव नरबीर खेमे की जीत निर्विरोध सुनिश्चित हो गई।

गुरुग्राम की मानेसर नगर निगम में सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल की है। यह जीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पार्टी के दोनों उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिए गए हैं। मेयर इंद्रजीत कौर और उनके 8 समर्थक पार्षदों ने इस चुनाव प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया, जिससे भाजपा के लिए रास्ता साफ हो गया। इस घटना ने एक बार फिर हरियाणा की राजनीति में भाजपा और उसके विरोधी खेमे के बीच की खींचतान को उजागर कर दिया है।

भाजपा ने निर्विरोध जीते दोनों पद

सीनियर डिप्टी मेयर के लिए वार्ड 12 से निर्दलीय पार्षद प्रवीण यादव को और डिप्टी मेयर के लिए वार्ड-2 से रीमा दीपक चौहान को विजेता घोषित किया गया। भाजपा ने इन दोनों को अपना उम्मीदवार बनाया था। चुनाव के दौरान मेयर इंद्रजीत कौर सहित उनके 8 समर्थक पार्षद अनुपस्थित रहे। उनकी अनुपस्थिति के कारण, विपक्ष की ओर से कोई भी उम्मीदवार खड़ा नहीं हो सका और भाजपा के उम्मीदवारों को निर्विरोध विजेता घोषित कर दिया गया। यह मानेसर में भाजपा की रणनीति की बड़ी सफलता मानी जा रही है, जो मेयर चुनाव हारने के बाद इन दोनों पदों पर कब्जा करना चाहती थी।

मेयर चुनाव में हार का बदला

इसी साल हरियाणा में हुए 10 नगर निगम चुनावों में से मानेसर में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था, जहां से निर्दलीय उम्मीदवार डॉ. इंद्रजीत कौर मेयर बनी थीं। इंद्रजीत कौर खुद को केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह का करीबी बताती हैं, जबकि कैबिनेट मंत्री राव नरबीर से उनकी राजनीतिक खींचतान चल रही है। मेयर चुनाव की हार राव नरबीर के लिए एक बड़ा झटका थी, क्योंकि उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार के लिए जोर-शोर से प्रचार किया था।

इस हार के बाद राव नरबीर ने सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर पदों पर अपने समर्थक पार्षदों को बैठाने की रणनीति तेज कर दी। उन्होंने 7 निर्दलीय पार्षदों को अपने साथ मिलाकर भाजपा का संख्याबल 20 में से 14 तक पहुंचा दिया। दोनों पदों पर जीत के लिए 11-11 वोटों की आवश्यकता थी, और 14 पार्षदों का समर्थन होने से भाजपा का पलड़ा भारी था।

नेपाल-गोवा की सैर और क्रॉस वोटिंग का डर

मानेसर की राजनीति में खींचतान इस कदर बढ़ गई थी कि पार्षदों को एक खेमे से दूसरे खेमे में जाने से रोकने के लिए उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। राव नरबीर के दांव के बाद राव इंद्रजीत खेमा भी सक्रिय हो गया था। सूत्रों के अनुसार पिछले महीने 12 पार्षदों को गुवाहाटी और गोवा की सैर कराई गई थी, जबकि बाद में उन्हें नेपाल भी भेजा गया था।

यह सब इसलिए किया जा रहा था क्योंकि भाजपा को क्रॉस वोटिंग का डर था। एक पंचायत में भी कुछ लोगों ने कहा था कि मेयर इंद्रजीत कौर को बीच रास्ते में छोड़ना सही नहीं होगा। इस राजनीतिक उठापटक और दबाव के माहौल के कारण भाजपा ने अपने पार्षदों को एकजुट रखने के लिए यह कदम उठाया।

व्यक्तिगत हमले और विवादों की राजनीति

मानेसर नगर निगम का यह सियासी ड्रामा केवल चुनावी रणनीति तक ही सीमित नहीं रहा। इसमें व्यक्तिगत हमले और विवाद भी देखने को मिले। वार्ड 16 से निर्दलीय पार्षद दयाराम के चचेरे भाई पर हमला हुआ था, जिसमें हमलावरों ने धमकी दी थी कि उनका भाई उन्हीं के पक्ष में वोट करे। इस मामले में मेयर इंद्रजीत कौर के पति राकेश हयातपुर का नाम भी सामने आया था।

इसके अलावा, मेयर इंद्रजीत कौर का एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह एक पंचायत में रोते हुए कैबिनेट मंत्री राव नरबीर पर गंभीर आरोप लगा रही थीं। उन्होंने दावा किया था कि उनके पति को झूठे मामले में फंसाया जा रहा है। हालांकि, मेयर ने बाद में इस मामले को खत्म बताया। ये सभी घटनाएं दर्शाती हैं कि मानेसर की राजनीति में निजी दुश्मनी किस हद तक हावी हो चुकी है।

राव इंद्रजीत बनाम राव नरबीर

यह सारा सियासी खेल दरअसल अहीरवाल क्षेत्र के दो बड़े नेताओं राव इंद्रजीत और राव नरबीर के बीच की पुरानी दुश्मनी का परिणाम है। दोनों ही इस क्षेत्र में अपना दबदबा बनाए रखना चाहते हैं, 2019 के विधानसभा चुनाव में राव नरबीर का टिकट कटने के पीछे राव इंद्रजीत को माना गया था। हालांकि, 2024 के चुनाव में राव नरबीर अमित शाह से मिलकर टिकट लाने और जीतने में कामयाब रहे। भाजपा ने नरबीर को मंत्री बनाकर अहीरवाल में सत्ता का संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है। वहीं, राव इंद्रजीत गुरुग्राम से लगातार छठी बार सांसद चुने गए हैं और केंद्र सरकार में मंत्री बने हुए हैं, जो उनके मजबूत प्रभाव को दर्शाता है। मानेसर नगर निगम की यह जीत राव नरबीर के लिए राजनीतिक रूप से बड़ी जीत है, जबकि मेयर की अनुपस्थिति राव इंद्रजीत खेमे की कमजोर होती पकड़ को दिखाती है।

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