द्वारका एक्सप्रेसवे टोल का विरोध: गुरुग्राम में ग्रामीणों ने बजघेड़ा प्लाजा पर पंचायत बुलाई, जानिए क्यों हो रहा प्रदर्शन

Dwarka Expressway
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गुरुग्राम में बजघेड़ा टोल प्लाजा। 

अपनी बात रखने के लिए, ग्रामीणों ने बजघेड़ा टोल प्लाजा पर एक बड़ी पंचायत बुलाई, जिसके बाद उन्होंने वहीं प्रदर्शन भी किया। यूनाइटेड आरडब्ल्यूए फेडरेशन जैसे संगठनों ने भी उनका समर्थन किया है।

हरियाणा के गुरुग्राम में द्वारका एक्सप्रेसवे पर बने बजघेड़ा टोल प्लाजा के खिलाफ स्थानीय ग्रामीणों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली और हरियाणा के दर्जनभर से भी ज्यादा गांवों के लोग इस टोल का विरोध कर रहे हैं। ग्रामीणों की मुख्य मांग है कि उनके लिए इस टोल को मुफ्त किया जाए। उनका कहना है कि यह टोल उनके दैनिक जीवन और रोजमर्रा के कामों पर एक बड़ा आर्थिक बोझ डालेगा।

पंचायत में दो दर्जन गांव के लोग शामिल

ग्रामीणों ने बजघेड़ा टोल प्लाजा पर एक बड़ी पंचायत बुलाई है। इस पंचायत में बजघेड़ा, सराय अलावर्दी, चौमा, बाबूपुर, और दिल्ली के भरथल, धूलसिरस जैसे करीब दो दर्जन गांव के लोग शामिल हैं। ये सभी गांव टोल प्लाजा से पांच किलोमीटर के दायरे में आते हैं। इन लोगों का तर्क है कि यह एक्सप्रेसवे उनकी जमीनों पर बना है और वे इसका इस्तेमाल रोज़मर्रा के कामों जैसे खेती-बाड़ी, बाजार जाने और बच्चों को स्कूल छोड़ने के लिए करेंगे। ऐसे में उन पर टोल टैक्स का बोझ डालना ठीक नहीं है।

मांगें नहीं मानने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी

ग्रामीण इस मुद्दे पर अपनी एकजुटता दिखाने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। उन्होंने 'गुहांड एकता जिंदाबाद' जैसे नारे लगाकर अपनी आवाज बुलंद की है। पंचायत के बाद सभी ग्रामीण टोल प्लाजा की ओर कूच करेंगे और वहां प्रदर्शन करेंगे। यूनाइटेड आरडब्ल्यूए फेडरेशन के पदाधिकारी भी इस आंदोलन में उनका साथ दे रहे हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो यह आंदोलन और भी तेज हो सकता है।

अधिकारियों और नेताओं से मुलाकात की

इस मुद्दे को लेकर ग्रामीणों ने पहले भी अधिकारियों और नेताओं से मुलाकात की है। यूनाइटेड आरडब्ल्यूए फेडरेशन ने NHAI के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के सामने भी अपनी बात रखी है। फेडरेशन का कहना है कि यह एक्सप्रेसवे क्षेत्र के विकास के लिए बना है, लेकिन टोल टैक्स के रूप में अतिरिक्त आर्थिक बोझ डालना स्थानीय लोगों के साथ अन्याय है। उनका मानना है कि यह सड़क उनके जीवन का हिस्सा है, इसलिए इसे टोल-मुक्त रखा जाना चाहिए।

छूट नहीं मिलने पर ग्रामीणों में गुस्सा बढ़ा

अक्सर ऐसे टोल प्लाजा के आसपास रहने वाले लोगों को टोल में कुछ छूट या रियायत दी जाती है, लेकिन कई मामलों में यह छूट नहीं मिलती, जिससे ग्रामीणों में गुस्सा बढ़ जाता है। UER-2 के बाद द्वारका एक्सप्रेसवे पर टोल का विरोध यह दिखाता है कि इस तरह के मुद्दे भविष्य में भी सामने आ सकते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इस पर एक स्थायी समाधान निकालना चाहिए, ताकि विकास के नाम पर उन्हें आर्थिक रूप से परेशान न होना पड़े।

उनका विरोध सिर्फ टैक्स के खिलाफ नहीं, बल्कि इस बात के भी खिलाफ है कि उन्हें अपनी ही जमीन पर बनी सड़क का इस्तेमाल करने के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं। यह मुद्दा विकास और स्थानीय लोगों के हितों के बीच संतुलन बनाने की चुनौती को दिखाता है।


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