गुरुग्राम में महाठगी: सस्ते फ्लैट का झांसा देकर 200 करोड़ से अधिक ठगे, दिल्ली पुलिस ने किया अंतर्राज्यीय गैंग का भंडाफोड़

Luxury flat fraud
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गुरुग्राम में पकड़े गए ठगी का रैकेट चलाने के आरोपी। 

दिल्ली, पंजाब, गोवा और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में ठगी का जाल फैला रखा था। यह गिरोह बाजार से कम कीमत पर प्रीमियम प्रॉपर्टी का लालच देकर लोगों को फंसाता था और ठगी की रकम को बैंक खातों में घुमाकर छुपा देता था।

देश की सबसे पॉश और अल्ट्रा-लग्जरी रिहायशी सोसायटियों में शुमार गुरुग्राम की 'DLF कमेलियाज' में प्रॉपर्टी दिलाने के नाम पर एक बड़े धोखाधड़ी गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (इंटर स्टेट सेल) ने एक ऐसे शातिर सिंडिकेट को दबोचा है जो फर्जी बैंक दस्तावेज दिखाकर रईसों को अपना शिकार बनाता था। इस गैंग ने अब तक दिल्ली, पंजाब और गोवा जैसे राज्यों में करीब 200 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है।

फर्जी ऑक्शन के जाल में फंसाया

पुलिस के अनुसार गैंग का मुख्य सरगना मोहित गोगिया है, जिसने अपने चार साथियों विशल मल्होत्रा, सचिन गुलाटी, भारत छाबड़ा और अभिनव पाठक के साथ मिलकर ठगी का साम्राज्य खड़ा किया था। हालिया मामले में इन्होंने एक उद्योगपति को कमेलियाज सोसाइटी में कौड़ियों के भाव फ्लैट दिलाने का सपना दिखाया। आरोपियों ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के जाली नीलामी (Auction) दस्तावेज तैयार किए, ताकि पीड़ित को विश्वास हो जाए कि यह प्रॉपर्टी बैंक के कब्जे में है। इस झांसे में आकर पीड़ित ने 12.04 करोड़ रुपये आरोपियों के हवाले कर दिए।

हाई-प्रोफाइल लाइफस्टाइल और 200 करोड़ का साम्राज्य

जांच में खुलासा हुआ कि यह सिंडिकेट केवल गुरुग्राम तक सीमित नहीं था। आरोपियों के खिलाफ दिल्ली, मध्य प्रदेश, पंजाब और गोवा में कुल 14 आपराधिक मामले दर्ज हैं। ठगी की रकम से आरोपियों ने लग्जरी गाड़ियां और महंगी सुख-सुविधाएं जुटाई थीं। पुलिस ने दो स्कॉर्पियो गाड़ियां बरामद की हैं, जिनका इस्तेमाल इस गैंग का मास्टरमाइंड राम सिंह उर्फ 'बाबाजी' अपनी सुरक्षा और पायलट गाड़ियों के रूप में करता था। फिलहाल राम सिंह फरार है और पुलिस उसकी तलाश में जुटी है।

लैपटॉप पर रची जाती थी साजिश

पुलिस की पूछताछ में सामने आया कि आरोपी भारत छाबड़ा अपने लैपटॉप पर बेहद सफाई से फर्जी मॉर्टगेज और सेल डीड (बिक्री दस्तावेज) तैयार करता था। ये दस्तावेज इतने असली लगते थे कि कोई भी आसानी से झांसे में आ जाए। ठगी गई रकम को छिपाने के लिए इन्होंने 'लेयरिंग' तकनीक का सहारा लिया। पैसे को दर्जनों बैंक खातों, फर्जी फर्मों और अलग-अलग व्यक्तियों के अकाउंट्स में घुमाया गया, ताकि पुलिस को पैसों का सुराग न मिल सके। इस काम में मदद करने वालों को मोटा कमीशन दिया जाता था।

मुंबई से ऋषिकेश तक पीछा कर दबोचा

दिल्ली पुलिस ने इस गैंग को पकड़ने के लिए तकनीकी सर्विलांस और खुफिया तंत्र का सहारा लिया। मुख्य आरोपी मोहित गोगिया मुंबई से भागकर उत्तराखंड की वादियों में छिपने की फिराक में था। पुलिस ने उसकी लोकेशन ट्रेस की और ऋषिकेश-देहरादून मार्ग पर 'डोईवाला' के पास घेराबंदी कर उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद उसके अन्य चार साथियों को भी दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से उठाया गया।

क्राइम ब्रांच अब मास्टरमाइंड राम सिंह की गिरफ्तारी के लिए संभावित ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। पुलिस का मानना है कि 'बाबाजी' की गिरफ्तारी के बाद कई और बड़े सफेदपोशों के नाम सामने आ सकते हैं जो इस प्रॉपर्टी स्कैम का हिस्सा थे।

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