Tourism: गुरुग्राम के शीश महल का इतिहास और सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान की प्राकृतिक सुंदरता जानें एक ही सैर में

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गुरुग्राम का शीश महल और सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान। 

महल का दीवान-ए-आम बलुआ पत्थर से बना है और एक ऊंचे चबूतरे पर स्थित है। यहां एक कृत्रिम नाला भी था, जिसमें फव्वारे से लगातार पानी बहता रहता था। यह महल उस समय की कला और वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है, जो आज भी अपने इतिहास और भव्यता के लिए जाना जाता है।

गुरुग्राम जो आज एक आधुनिक महानगर के रूप में जाना जाता है, अपने भीतर समृद्ध इतिहास और अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता को समेटे हुए है। यहां दो प्रमुख स्थल हैं जो इतिहास और प्रकृति प्रेमियों दोनों को आकर्षित करते हैं: शीश महल और सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान। ये दोनों ही स्थान गुड़गांव की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय विरासत का प्रतीक हैं।

शीश महल एक ऐतिहासिक रत्न

शीश महल का निर्माण 1733 ई. में मुगल सम्राट फर्रुखसियर द्वारा नियुक्त गवर्नर फौजदार खान ने करवाया था। यह उनका आवासीय महल था और इसकी वास्तुकला उस समय की भव्यता को दर्शाती है। महल का मुख्य हिस्सा, जिसे दीवान-ए-आम कहा जाता है, बलुआ पत्थर से बना एक आयताकार ढांचा है।

इस महल को शीश महल नाम इसलिए मिला क्योंकि इसकी दीवारों के पिछले हिस्से में शीशे लगे हुए हैं, जो इसकी शोभा को कई गुना बढ़ा देते हैं। यह एक ऊंचे चबूतरे पर बना है और इसकी लकड़ी की छत भी आकर्षक है। दीवान-ए-आम के सामने एक कृत्रिम नाला था, जिसमें चबूतरे पर बने फव्वारे से पानी का निरंतर प्रवाह होता रहता था, जो गर्मी के दिनों में ठंडक और सौंदर्य दोनों प्रदान करता था। यह महल उस काल की इंजीनियरिंग और कला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग

गुरुग्राम में, दिल्ली से 46 किलोमीटर दूर, गुड़गांव-फारुख नगर रोड पर स्थित, सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान एवं पक्षी अभयारण्य प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आदर्श स्थान है। यह पेड़ों, झाड़ियों और बोगनविलिया के पेड़ों से भरा एक हरा-भरा क्षेत्र है। यहां आने वाले पर्यटकों के लिए वन्यजीवों और पक्षियों को आसानी से देखने के लिए चार निगरानी टावर (मचान) बनाए गए हैं। इसके अलावा, यहां पर्याप्त पार्किंग, शौचालय और पीने के पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। पर्यटकों को सही जानकारी देने के लिए एक शैक्षिक व्याख्या केंद्र भी स्थापित किया गया है।

यह राष्ट्रीय उद्यान खासतौर पर पक्षी प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है। यहां की झील का शांत वातावरण पक्षियों के लिए एक आदर्श निवास स्थान प्रदान करता है।

सुलतानपुर में प्रवासी पक्षियों का आगमन

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान हर साल अलग-अलग मौसमों में आने वाले प्रवासी पक्षियों के लिए जाना जाता है।

• सर्दियों में: हर साल लगभग 90 प्रवासी पक्षी प्रजातियां भोजन और सर्दियां बिताने के लिए यहां आती हैं। इनमें रफ, ग्रेटर फ्लेमिंगो, ब्लैक विंग्ड स्टिल्ट, नॉर्दर्न पिंटेल, रोजी पेलिकन, गैडवॉल, वुड सैंडपाइपर, स्पॉटेड सैंडपाइपर और यूरेशियन विगॉन जैसे पक्षी शामिल हैं। इन पक्षियों को देखना एक अद्भुत अनुभव होता है।

• गर्मियों में: गर्मियों के मौसम में भी, लगभग 11 प्रवासी पक्षी प्रजातियां यहां आती हैं। इनमें एशियाई कोयल, ब्लैक क्राउन्ड नाइट हेरॉन, यूरेशियन गोल्डन ओरियोल, कॉम्ब डक, ब्लू चीक्ड बी ईटर और कोयल जैसे पक्षी शामिल हैं।

सुल्तानपुर पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता को भी बढ़ावा देता है

सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान का दौरा आपको प्रकृति के करीब ले जाता है और शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर एक शांतिपूर्ण अनुभव प्रदान करता है। यह स्थान न केवल पक्षी प्रजातियों को संरक्षित करता है, बल्कि पर्यावरण शिक्षा और जागरूकता को भी बढ़ावा देता है। इन दोनों ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों को मिलाकर, गुरुग्राम एक ऐसा शहर बन जाता है जो अपने अतीत का सम्मान करता है और अपने भविष्य की देखभाल करता है।


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