ED का छापा: गैंगस्टर इंद्रजीत के दिल्ली-NCR समेत 10 ठिकानों पर छापेमारी, करोड़ों की काली कमाई का खुलासा

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ED की ओर से जब्त की गई गाड़ियां। 

इंद्रजीत बड़े कॉर्पोरेट घरानों और निजी फाइनेंसरों के बीच करोड़ों के लोन विवादों का जबरन सेटलमेंट करवाता था। विदेश से अपने हथियारबंद गिरोह के जरिए डरा-धमकाकर वह इन समझौतों से सैकड़ों करोड़ का कमीशन वसूलता था।

गुरुग्राम में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कुख्यात अपराधी और बाहुबली इंद्रजीत सिंह यादव के विरुद्ध बड़ी कार्रवाई करते हुए उसके संगठित अपराध सिंडिकेट की जड़ों पर हमला किया है। सोमवार को ईडी के गुरुग्राम जोनल कार्यालय ने मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) मामले की जांच के तहत दिल्ली, गुरुग्राम और रोहतक सहित कुल 10 विभिन्न ठिकानों पर सघन छापेमारी की। इस कार्रवाई ने गैंगस्टर और उसके सहयोगियों द्वारा संचालित अवैध वित्तीय तंत्र की पोल खोल दी है।

लग्जरी गाड़ियां और लाखों का कैश मिला

ईडी की इस कार्रवाई में केवल दस्तावेज ही नहीं, बल्कि भारी मात्रा में विलासिता का सामान भी जब्त किया गया है। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, तलाशी अभियान के दौरान जांच एजेंसी ने 17 लाख रुपये की नकदी और 5 लग्जरी गाड़ियां बरामद की हैं। इसके अलावा, कई बैंक लॉकर्स को फ्रीज कर दिया गया है। मौके से भारी मात्रा में आपत्तिजनक कागजात, डिजिटल गैजेट्स और डेटा बरामद हुआ है, जो इंद्रजीत और उसके सहयोगियों के अवैध वित्तीय लेनदेन की पुष्टि करते हैं।

15 से अधिक FIR बनीं आधार

मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला हरियाणा और उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा इंद्रजीत सिंह यादव और उसके गिरोह के खिलाफ दर्ज की गई 15 से अधिक प्राथमिकियों (FIR) पर आधारित है। इन मामलों में आर्म्स एक्ट, हत्या, रंगदारी और धोखाधड़ी जैसी गंभीर धाराएं शामिल हैं। ईडी की जांच का मुख्य केंद्र इंद्रजीत द्वारा जबरन वसूली, अवैध कमीशन और निजी फाइनेंसरों के विवादों में हथियारों के दम पर कराए गए समझौतों से अर्जित संपत्ति है।

दुबई से संचालित हो रहा अपराध का सिंडिकेट

जांच में यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि इंद्रजीत सिंह यादव वर्तमान में भारत से फरार है और संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बैठकर अपना काला कारोबार चला रहा है। वह 'जेम रिकॉर्ड एंटरटेनमेंट' (जो 'Gems Tunes' ब्रांड के तहत काम करती है) का मुख्य नियंत्रक और मालिक है। हरियाणा पुलिस को लंबे समय से उसकी तलाश है, लेकिन वह विदेश से ही अपने हथियारबंद गिरोह के जरिए रंगदारी और अवैध जमीन हड़पने जैसे कामों को अंजाम दे रहा है।

कॉर्पोरेट लोन सेटलमेंट का 'खूनी' व्यापार

ईडी की तफ्तीश में एक बेहद जटिल मोडस ऑपरेंडी (काम करने का तरीका) का पता चला है। जांच के अनुसार 'अपोलो ग्रीन एनर्जी लिमिटेड' जैसे कई बड़े कॉर्पोरेट घराने झज्जर और डीघल के निजी फाइनेंसरों से करोड़ों रुपये नकद उधार लेते थे। जब भुगतान में विवाद होता, तो इंद्रजीत सिंह यादव एक 'वसूली एजेंट' या 'मध्यस्थ' के रूप में प्रवेश करता था। वह विदेश से ही अपने स्थानीय हथियारबंद गुर्गों के जरिए फाइनेंसरों को धमकाता और करोड़ों के विवादों का जबरन निपटारा करवाता था।

कॉर्पोरेट घरानों से बतौर कमीशन भारी रकम वसूलता था

इन विवादित समझौतों को करवाने के बदले इंद्रजीत कॉर्पोरेट घरानों से बतौर कमीशन भारी रकम वसूलता था। ईडी का अनुमान है कि इस तरीके से उसने सैकड़ों करोड़ रुपए की काली कमाई की है। विडंबना यह है कि सरकारी रिकॉर्ड में वह न्यूनतम आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करता था, जबकि हकीकत में उस पैसे का निवेश आलीशान संपत्तियों और महंगी कारों में किया जा रहा था।

डिजिटल पोर्टल के जरिए ठगी का जाल

छापेमारी के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि इंद्रजीत ने कॉर्पोरेट घरानों और निजी फाइनेंसरों के बीच लोन के विवादों को मैनेज करने के लिए बाकायदा एक वेबसाइट पोर्टल भी बना रखा था। यह पोर्टल उसके संगठित अपराध को एक व्यवस्थित रूप देने का माध्यम था। जांच एजेंसी को सबूत मिले हैं कि अपराध की इस कमाई से उसने न केवल अपने नाम पर, बल्कि अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर भी कई बेनामी चल-अचल संपत्तियां खरीदी हैं।

जब्त किए गए डिजिटल डेटा और दस्तावेजों का हो रहा विश्लेषण

ईडी अब जब्त किए गए डिजिटल डेटा और दस्तावेजों का विश्लेषण कर रही है ताकि इस मनी लॉन्ड्रिंग सिंडिकेट में शामिल अन्य कॉर्पोरेट हस्तियों और सफेदपोश मददगारों की पहचान की जा सके। आने वाले दिनों में इस मामले में कुछ और बड़ी गिरफ्तारियां संभव हैं।

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