दिल्ली-गुरुग्राम-जयपुर कॉरिडोर: विश्व का सबसे लंबा ई-हाईवे बनेगा, हर 10 किलोमीटर पर फास्ट चार्ज हो सकेंगी गाड़ियां

World Longest EV Highway
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दिल्ली-गुरुग्राम-जयपुर कॉरिडोर पर ई-चार्जिंग स्टेशन भी बनेंगे। 

देश का पहला नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल पूरा बन जाने पर विश्व का सबसे लंबा ई-हाईवे हो जाएगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के केंद्र में 3G एनर्जी स्टेशन हैं, जो हाईवे पर हर 10 किलोमीटर पर स्थापित किए जाएंगे।

भारत तेजी से इलेक्ट्रिक वाहन (EV) क्रांति की दिशा में आगे बढ़ रहा है और इस सफर का सबसे बड़ा मील का पत्थर बनने जा रहा है दिल्ली-गुरुग्राम-जयपुर कॉरिडोर। यह कॉरिडोर देश का पहला समर्पित नेशनल हाईवे फॉर इलेक्ट्रिक व्हीकल (NHEV) बनने के लिए पूरी तरह तैयार है। न केवल यह देश में इलेक्ट्रिक यात्रा को आसान बनाएगा, बल्कि अपनी पूर्णता पर यह विश्व का सबसे लंबा ई-हाईवे होने का गौरव भी हासिल करेगा। यह महत्वाकांक्षी परियोजना चार्जिंग की समस्या को जड़ से खत्म करने पर केंद्रित है। अब ईवी मालिकों को रास्ते में बैटरी खत्म होने या चार्जिंग स्टेशन न मिलने की चिंता नहीं सताएगी। NHEV ने शुरुआती चरण में 5000 किलोमीटर के हाईवे को इलेक्ट्रिक व्हीकल हाईवे में बदलने की व्यापक योजना बनाई है।

हर 10 KM पर 3G एनर्जी स्टेशन

इस परियोजना का केंद्र बिंदु है 3G (ग्रीन, गिगान्टिक, जेनरेशन नेक्स्ट) एनर्जी स्टेशन। ये चार्जिंग हब हाईवे के दोनों ओर, हर 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थापित किए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि यात्री बिना किसी रुकावट के लंबी दूरी तय कर सकें। यह मॉडल न केवल चार्जिंग की उपलब्धता बढ़ाएगा, बल्कि ऊर्जा उत्पादन के मामले में भी आत्मनिर्भर होगा। इन 3G स्टेशनों की सबसे बड़ी विशेषता है उनका ग्रिड-फ्री संचालन। ये स्टेशन 100% नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) पर आधारित होंगे, जिसका अर्थ है कि इन्हें चलाने के लिए किसी बाहरी बिजली ग्रिड कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होगी।

ग्रिड-फ्री, प्रदूषण मुक्त समाधान

इन स्टेशनों को सौर पैनल (Solar), पवन टरबाइन (Wind Turbine) और हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी का उपयोग करके साइट पर ही बिजली पैदा करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह भारत का पहला ऐसा प्रोजेक्ट होगा जो थर्मल पावर (कोयला बिजली) को पूरी तरह से बायपास करेगा। अनुमान है कि एक स्टेशन सालाना 8,000 टन CO2 उत्सर्जन को बचा सकता है। इससे हाईवे पर चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन सही मायने में 'जीरो एमिशन' वाहन बन जाएंगे। यह पहल भारतीय परिवहन क्षेत्र को हरित भविष्य की ओर ले जाने का एक निर्णायक कदम है।

एक साथ कई वाहन हो सकेंगे चार्ज

'गिगान्टिक' नाम इसकी विशाल क्षमता को दर्शाता है। इन हब्स को एक साथ कई वाहनों को चार्ज करने और विभिन्न प्रकार के ईवी की जरूरतों को पूरा करने के लिए डिजाइन किया गया है। प्रत्येक स्टेशन में 3.2 मेगावाट तक की पावर जनरेट करने की योजना है, जिसके लिए 800 kWh के चार सब-स्टेशनों को मिलाकर यह विशाल क्षमता हासिल की जाएगी। फास्ट चार्जिंग के लिए यहां 200 KW से 500 KW तक के अल्ट्रा-फास्ट चार्जर लगाए जाएंगे। ये चार्जर किसी भी इलेक्ट्रिक कार को 30 मिनट से भी कम समय में 100-200 किलोमीटर की रेंज चार्ज करने की सुविधा देंगे। इसके अलावा, एक ही जगह पर 60-120 kW के फास्ट चार्जर, भारी वाहनों के लिए 600 kW के पैंटोग्राफ, वायरलेस पैड, बैटरी स्वैप सुविधा और यहां तक कि हाइड्रोजन डिस्पेंसर भी उपलब्ध होंगे। इतनी बिजली से एक साथ 300 कारें या 50 ट्रक-बस चार्ज किए जा सकते हैं, जो राजमार्ग पर निर्बाध संचालन सुनिश्चित करेगा।

भविष्य की तकनीक से लैस होंगे चार्जिंग स्टेशन

ये चार्जिंग स्टेशन भविष्य की तकनीक से लैस होंगे, जो ईवी अनुभव को और भी सहज बना देंगे। ये स्टेशन 5G नेटवर्क, AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) लोड मैनेजमेंट और जियो रूट प्लानिंग से लैस होंगे। इसका अर्थ है कि वाहन अपने आप अगले 3G स्टेशन की जानकारी दे सकेंगे, जिसमें यह भी शामिल होगा कि बैटरी कितनी बची है और चार्जिंग के लिए कितनी देर रुकना होगा। यह ड्राइवर को बेहतर रूट प्लानिंग में मदद करेगा। दीर्घकालिक योजना के तहत 2047 तक इन स्टेशनों को 6.4 MW क्षमता वाले 5G स्टेशन में अपग्रेड करने की योजना है, जो भारत की दीर्घकालिक ऊर्जा और परिवहन लक्ष्यों के अनुरूप है।

इस कॉरिडोर को दिल्ली-आगरा हाईवे से भी जोड़ा जाएगा

वर्तमान में जर्मनी के बर्लिन में लगभग 109 किमी लंबा ई-हाईवे है। हालांकि, दिल्ली के इंडिया गेट से लेकर जयपुर के अलबर्ट पिंटो हॉल तक घोषित किया गया यह कॉरिडोर करीब 280 किलोमीटर लंबा है। पूरी तरह तैयार होने के बाद यह विश्व का सबसे लंबा ई-हाईवे बन जाएगा। यह एक अभूतपूर्व उपलब्धि होगी। पहले चरण की सफलता के बाद, इस कॉरिडोर को दिल्ली-आगरा हाईवे से जोड़कर 500 किलोमीटर लंबा करने की भी योजना है, जो इसकी उपयोगिता और लंबाई को और बढ़ा देगा।

गुरुग्राम में अभी रोजाना 600 से 800 वाहन चार्ज हो रहे

गुरुग्राम इस क्रांति का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां देश के सबसे बड़े प्रोटोटाइप EV चार्जिंग स्टेशन पहले ही चालू हो चुके हैं। जनवरी 2022 में चालू हुआ सेक्टर 52 का स्टेशन भारत का सबसे बड़ा EV स्टेशन है, जिसमें 100 चार्जिंग पॉइंट्स की क्षमता है और यहां रोजाना 600 से 800 वाहन चार्ज हो रहे हैं। इसके बाद, मार्च 2022 में सेक्टर 86 में दूसरा प्रोटोटाइप चार्जिंग स्टेशन शुरू हुआ, जिसमें 121 चार्जिंग पॉइंट्स हैं और यहां रोजाना 1,000 ईवी को चार्ज करने की क्षमता है। ये दोनों स्टेशन वर्तमान में 72% उपयोगिता दर पर चल रहे हैं और जल्द ही इन्हें 3G तकनीक में अपग्रेड किया जाएगा, जो इस क्षेत्र की तकनीकी क्षमता को दर्शाता है।

इलेक्ट्रिक ट्रकों का इस्तेमाल शुरू हो सकेगा

यह परियोजना सिर्फ पर्यावरण या परिवहन के लिए नहीं है, बल्कि यह भारत सरकार के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' (EODB) पहल का भी हिस्सा है, जिसका उद्देश्य व्यापार को सरल बनाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि चार्जिंग की गारंटी से इलेक्ट्रिक टैक्सी, टूरिस्ट बसें और लॉजिस्टिक्स कंपनियां बेखौफ होकर इलेक्ट्रिक ट्रकों का इस्तेमाल शुरू करेंगी। इससे न केवल सड़कों पर प्रदूषण कम होगा, बल्कि पर्यटन और माल ढुलाई (लॉजिस्टिक्स) क्षेत्र को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। 5 दिसंबर को होने वाली NHEV वर्किंग कमेटी की 7वीं मीटिंग में इस महत्वाकांक्षी रोडमैप को अंतिम रूप दिया जाएगा, जो एक नए, हरित और आत्मनिर्भर भारत के परिवहन युग की शुरुआत होगी।

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