हरियाणा में प्रॉपर्टी खरीदना हुआ महंगा: जानें, दिल्ली से सटे इलाकों के सर्किल रेट में भारी बढ़ोतरी का कारण

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हरियाणा में अब रजिस्ट्री करवाते समय पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ेंगे। 

दिल्ली से सटे फरीदाबाद, गुरुग्राम और बल्लभगढ़ में प्रॉपर्टी के दाम 5% से 30% तक बढ़ जाएंगे, जिसके बाद रजिस्ट्री करवाते समय आपको पहले से ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे।

हरियाणा में अब जमीन और प्रॉपर्टी खरीदना एक महंगा सौदा होने वाला है। राज्य सरकार ने कलेक्टर रेट को बढ़ाने की मंजूरी दे दी है, जिससे फरीदाबाद, गुरुग्राम और बल्लभगढ़ जैसे दिल्ली से सटे इलाकों में प्रॉपर्टी के दाम 5% से 30% तक बढ़ जाएंगे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उस फाइल पर साइन कर दिया है, जिसमें ये नई दरें प्रस्तावित हैं। यह बढ़ोतरी 1 अगस्त, 2025 से लागू होगी, जिसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा, क्योंकि उन्हें रजिस्ट्री के लिए पहले से ज्यादा पैसे चुकाने होंगे।

क्यों और कब बढ़े कलेक्टर रेट

कलेक्टर रेट जिसे सर्किल रेट भी कहा जाता है, वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर किसी भी रियल एस्टेट प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री की जाती है। यह दरें समय-समय पर बाजार की स्थिति और उस क्षेत्र के विकास के आधार पर बदली जाती हैं। हरियाणा में पिछले डेढ़ साल से नए कलेक्टर रेट लागू नहीं हुए थे। साल 2024 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के कारण नई दरें जारी नहीं हो पाई थीं, हालांकि नवंबर 2024 में सरकार ने एक बार नए रेट जारी किए थे, लेकिन जनवरी 2025 में इन्हें रद्द कर दिया गया था। यही वजह है कि अब तक पुरानी दरों पर ही रजिस्ट्रियां हो रही थीं।

अब सरकार ने इस बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। सरकार द्वारा सभी जिलों के उपायुक्तों (DC) को पत्र लिखकर नए रेट जारी करने के आदेश दिए गए हैं, जिसके बाद जिला राजस्व विभाग ने प्रस्तावित रेट की सूची को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। लोगों को आपत्तियां दर्ज कराने का मौका भी दिया गया है, ताकि किसी भी तरह की विसंगति को दूर किया जा सके।

दिल्ली से सटे इलाकों पर सबसे ज्यादा असर

सरकार ने दिल्ली से सटे क्षेत्रों, खासकर फरीदाबाद और गुरुग्राम, के कलेक्टर रेट में सबसे अधिक वृद्धि की है। इन इलाकों में प्रॉपर्टी की मांग बहुत अधिक है, क्योंकि ये दिल्ली के करीब हैं और यहां रोजगार के अवसर भी काफी हैं। यही वजह है कि गुरुग्राम में घर खरीदने का सपना देखने वालों पर इस बढ़ोतरी का सबसे ज्यादा असर होगा।

कलेक्टर रेट में बढ़ोतरी का सीधा मतलब है कि रजिस्ट्री के लिए लगने वाला शुल्क भी बढ़ जाएगा। इससे खरीदारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा। जहां एक तरफ यह सरकार के राजस्व को बढ़ाने में मदद करेगा, वहीं दूसरी ओर आम लोगों के लिए घर खरीदना और मुश्किल हो जाएगा।

क्या होता है कलेक्टर रेट, ऐसे होता है तय

कलेक्टर रेट वह न्यूनतम मूल्य है, जिससे कम पर किसी प्रॉपर्टी का लेनदेन नहीं किया जा सकता। यह दरें उस क्षेत्र के विकास, सुविधाओं, और बाजार के रुझानों को ध्यान में रखकर तय की जाती हैं।

नए कलेक्टर रेट तय करने की प्रक्रिया :

1. प्रस्तावना: जिला प्रशासन स्थानीय बाजार की कीमतों का विश्लेषण कर नए रेट का एक प्रस्ताव तैयार करता है।

2. सार्वजनिक सूचना: इस प्रस्ताव को सार्वजनिक रूप से जारी किया जाता है, अक्सर आधिकारिक वेबसाइटों पर अपलोड करके।

3. आपत्तियां और सुझाव: आम जनता से इस प्रस्तावित सूची पर आपत्तियां और सुझाव मांगे जाते हैं।

4. समीक्षा: जिला प्रशासन इन आपत्तियों और सुझावों पर विचार करता है और अंतिम रिपोर्ट तैयार करता है।

5. अंतिम स्वीकृति: सरकार इस रिपोर्ट को स्वीकार कर अंतिम कलेक्टर रेट जारी करती है।

प्रॉपर्टी बाजार में नया बदलाव लाएगा यह फैसला

इस पूरी प्रक्रिया के बाद ही नए रेट लागू होते हैं और उसी के आधार पर तहसीलों में प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री होती है। यह फैसला प्रॉपर्टी बाजार में एक नया बदलाव लाएगा। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रियल एस्टेट सेक्टर में कुछ समय के लिए सुस्ती आ सकती है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से इसका असर कितना होगा, यह देखना बाकी है।

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