कन्या भ्रूण हत्या: लिंगानुपात में सुधार न होने पर 6 जिलों के स्वास्थ्य अधिकारी तलब

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हरियाणा में स्वास्थ्य विभाग ने अवैध एमटीपी किट बिक्री पर बढ़ाई सख्ती। 

हरियाणा के छह जिलों में लिंगानुपात में वांछित सुधार नहीं होने पर वहां के सीएमओ से जवाब तलब किया गया है। वहीं, दो आशा वर्कर को नौकरी से हटाया गया है।

कन्या भ्रूण हत्या : हरियाणा के स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने लिंगानुपात में सुधार के लिए गठित स्टेट टास्क फोर्स की साप्ताहिक बैठक में मंथन किया। बैठक में जानकारी दी गई कि पिछले वर्ष 31 अगस्त को जहां लिंगानुपात 901 था , वहीं इस वर्ष 31 अगस्त 2025 को लिंगानुपात 907 रहा है। हालांकि छह जिलों में लिंगानुपात पिछले सप्ताह में आशा के अनुरूप नहीं रहा। अंबाला, भिवानी, चरखी दादरी, करनाल, सिरसा तथा पलवल के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से ज़वाब तलबी करने को जल्द ही एक बैठक बुलाने के निर्देश दिए गए।

आयुष डॉक्टरों को दी चार गांवों को जिम्मेदारी

मुख्य सचिव ने आयुष विभाग के डॉक्टरों को भी निर्देश दिए कि वे अवैध रूप से बिकने वाली मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ़ प्रेगनेंसी MTP किट के मामले में नजर रखें। उन्होंने आयुष डॉक्टरों को यह भी निर्देश दिए कि वे अपने आस-पास के चार-चार गांवों में ध्यान रखें कि 12 सप्ताह से अधिक समय के गर्भ वाली कोई गर्भवती महिला अवैध रूप से गर्भपात न करवा लें।

गर्भपात पर रखी जाएगी नजर

उन्होंने अधिकारियों को कहा कि एमटीपी किट बेचने वाले होलसेलर्स तथा एमटीपी सेंटर्स की मॉनिटरिंग की जाए। इंस्पेक्शन के दौरान अगर यह पाया जाता है कि जिस भ्रूण का गर्भपात किया गया है वह भ्रूण लड़की का था तो उस गर्भपात से संबंधित अल्ट्रासॉउन्ड की जांच की जाए। इस मामले में कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो पुलिस में शिकायत दर्ज करवाएं।

इन दो मामलों में आशा वर्कर्स को हटाया

सुधीर राजपाल ने बताया कि कार्य निष्ठापूर्वक न करने के कारण दो आशा वर्कर्स को नौकरी से हटाया है। इनमें सोनीपत की आशा वर्कर का पति दिल्ली से एमटीपी किट लाकर सोनीपत जिला में अवैध रूप से बेचता था। शिकायत मिलने पर दोनों के खिलाफ केस दर्ज करवाया गया, जिस पर पुलिस ने उनको गिरफ्तार भी कर लिया। इसी प्रकार, पंचकूला में पहले से तीन लड़कियों की मां गर्भवती महिला की मौत हो गई और आशा वर्कर द्वारा उस गर्भवती महिला की सही से निगरानी न करने के कारण उसको भी नौकरी से हटा दिया गया है।

बिना सलाह एमटीपी किट खाने के गंभीर परिणाम

जींद जिला में 12 सप्ताह से अधिक समय की एक गर्भवती महिला ने एमटीपी किट से दवा खा ली, जिसके कारण उसका बहुत ज्यादा रक्तस्राव हो गया। उस महिला की नाजुक हालत को देखते हुए डॉक्टरों को महिला की बच्चेदानी निकालनी पड़ी। भविष्य में वह अगले बच्चे को कभी भी जन्म नहीं दे पाएगी। स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधीर राजपाल ने अफसरों को निर्देश दिए कि वे एमटीपी किट खरीदने वाले लोगों पर नजर रखें। लड़के की चाह रखने वाली गर्भवती महिलाएं जहां गर्भ में कन्या भ्रूण हत्या कर पाप की भागीदार बन रही हैं, वहीं डॉक्टरों की सलाह के बिना एमटीपी किट खाकर वे अपनी जान को भी जोख़िम में डाल रही हैं। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक मोनिका मलिक के अलावा डॉ. कुलदीप सिंह एवं टास्क फॉर्स के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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