फरीदाबाद विस्फोटक केस में DGP सख्त: 'सुरक्षा चूक' मानी, अब सभी धार्मिक स्थलों की जांच की जाएगी

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फरीदाबाद का अल फलाह विश्वविद्यालय। 

DGP ने अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर का दौरा कर अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे उन सुरक्षा खामियों की गहन जांच करें जिनके कारण कुछ संकाय सदस्य आतंकी मॉड्यूल में शामिल हो गए।

हरियाणा के फरीदाबाद में विस्फोटक मिलने की हाल की घटना ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस महानिदेशक (DGP) ओपी सिंह ने स्वयं इस घटना को बड़ी 'सुरक्षा चूक' माना है। यह मामला तब सामने आया जब फरीदाबाद स्थित अल फलाह विश्वविद्यालय 'सफेदपोश' आतंकवादी मॉड्यूल के भंडाफोड़ के बाद जांच के दायरे में आया, 10 नवंबर को लाल किले के पास हुए विस्फोट में 12 लोगों की जान गई थी। उसके बाद इस विश्वविद्यालय पर संदेह गहराया था कि इसे आतंकी गतिविधियों का ठिकाना बनाया जा रहा था।

डीजीपी ओपी सिंह ने तत्काल विश्वविद्यालय का दौरा किया और पुलिस अधिकारियों को उन सुरक्षा खामियों की गहन जांच के निर्देश दिए, जिनके कारण कुछ संकाय सदस्य इस आतंकी मॉड्यूल में शामिल हो गए।

अल फलाह विश्वविद्यालय परिसर को आसानी से बनाया ठिकाना

डीजीपी ओपी सिंह ने अपने निरीक्षण के दौरान पाया कि विश्वविद्यालय परिसर को इन शातिर व्यक्तियों ने आसानी से अपना ठिकाना बना लिया और भारी मात्रा में गोला-बारूद तथा हथियार जमा कर लिए। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि वे इस बात की तह तक जाएं कि कैसे इतनी बड़ी शैक्षणिक संस्था को सुरक्षा कवच को भेदकर आपराधिक गतिविधियों के लिए उपयोग किया गया।

डीजीपी ने अपनी एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट में बताया कि उन्होंने एडीआईजी/सीआईडी के साथ चार घंटे विश्वविद्यालय में बिताए, जहां उन्होंने सुरक्षा अधिकारियों, प्रशासनिक कर्मचारियों, शिक्षकों, छात्रों और पास के गांव के लोगों से बातचीत की। उन्होंने आतंकवादियों के ठिकानों का व्यक्तिगत रूप से निरीक्षण भी किया।

लापता फैकल्टी की तलाश जारी

विस्फोटक मिलने की घटना के बाद से विश्वविद्यालय के कुछ संकाय सदस्य (फैकल्टी मेंबर्स) लापता हैं। डीजीपी ने फरीदाबाद के डिप्टी कमिश्नर और पुलिस कमिश्नर के साथ संयुक्त बैठक करके इस मामले में कड़े निर्देश जारी किए। डीजीपी के कहा कि घटना के बाद से गायब फैकल्टी सदस्यों को जल्द से जल्द खोजा जाए। इस संबंध में अन्य राज्य पुलिस एवं केंद्रीय एजेंसियों को तुरंत अलर्ट जारी किया जाए। विश्वविद्यालय की सुरक्षा खामियों की गहन जांच की जाए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। छात्रों से बात करके उन्हें आश्वस्त किया जाए कि यह कार्रवाई उनकी सुरक्षा और आतंकवादियों के खिलाफ है, उन्हें घबराने की आवश्यकता नहीं है।

धार्मिक संस्थानों की कड़ी निगरानी

इस मामले की गंभीरता को देखते हुए डीजीपी ने पुलिस अधिकारियों को एक और महत्वपूर्ण आदेश दिया है। उन्होंने निर्देश दिया है कि सभी धार्मिक संस्थानों की जांच की जाए। पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी धार्मिक स्थान पर कोई कट्टरपंथी तत्व किसी को भी सांप्रदायिकता या फिरकापरस्ती की ओर न ले जा रहा हो। यदि कोई धार्मिक संस्था किसी भी नियम का उल्लंघन करती पाई जाती है तो कानून के अनुसार उनके खिलाफ तत्काल और अविलंब कार्रवाई की जाए। इसके अतिरिक्त अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे अफवाहों का तुरंत खंडन करें और आतंकी गतिविधियों के बारे में कोई भी सूचना मिलने पर त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करें।

डीजीपी का यह सख्त रुख स्पष्ट करता है कि हरियाणा पुलिस इस सुरक्षा चूक को अत्यंत गंभीरता से ले रही है और राज्य में कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रही है।

प्रशासन अब किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा

फरीदाबाद की यह घटना सुरक्षा और इंटेलिजेंस के मोर्चे पर एक बड़ी चेतावनी है। डीजीपी ओपी सिंह द्वारा स्वयं इस चूक को स्वीकार करना और धार्मिक संस्थानों तक जांच का दायरा बढ़ाना, दर्शाता है कि प्रशासन अब किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं करेगा। यह देखना होगा कि पुलिस इन लापता फैकल्टी सदस्यों को कितनी जल्दी तलाश पाती है और इन आतंकी मॉड्यूल्स के पीछे के असली नेटवर्क को भेदने में कितनी सफल होती है।

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