द्वापर युग के रहस्यों से भरा 5000 साल पुराना ये मंदिर: तालाब के साथ औषधियां, पेड़-पौधे भी हैं चमत्कारी

Faridabad Bansi Wala Temple
Faridabad Bansi Wala Temple: इस संसार को तीन युगों में बांटा गया है, जिसमें सतयुग, द्वापर युग, और कलयुग शामिल हैं। अगर द्वापर युग की करें, तो इसमें सबसे पहले प्रभु श्री कृष्ण का नाम आता है, जो इस युग में एक अलग स्थान रखते हैं। जब भी द्वापर युग की बात होती है, तो मन में प्रभु श्री कृष्ण की छवि बन जाती है। ऐसा ही एक मशहूर मंदिर फरीदाबाद के कोट में है। यह मंदिर 5000 हजार साल पुराना है, जिसे हम बंसी वाले के नाम से भी जानते हैं। मंदिर पूरे 28 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां भक्तों को एक अलग ही शांति और आकर्षण महसूस होता है।
द्वापर युग के रहस्यों याद दिलाता है मंदिर
यह मंदिर पूर्ण रूप से भगवान कृष्ण को समर्पित है, लेकिन इस मंदिर में अन्य देवी-देवताओं की पूजा भी की जाती है। यह मंदिर द्वापर युग के रहस्यों को याद दिलाता है। साथ ही यह मंदिर फरीदाबाद की संस्कृति और इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मंदिर में जन्माष्टमी का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जिससे पूरा गांव झूम उठता है।
रहस्यमयी मंदिर है बंसा वाले मंदिर
द्वापर युग से जुड़ा ये मंदिर रहस्यमयी है। यहां के पेड़-पौधे बहुत लाभदायक हैं। यह मंदिर पांडवों के अज्ञातवास से जुड़ा हुआ माना जाता है। बंसी वाले मंदिर न सिर्फ धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ये इतिहास और श्रद्धा का भी प्रतीक माना जाता है।
परिक्रमा लगाने से पूरी होती हैं मनोकामनाएं
इस मंदिर में एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला ज्येष्ठ के महीने में लगता है। इस मेले में दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं। साथ ही लोग सुबह-शाम मंदिर की परिक्रमा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां परिक्रमा लगाने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मंदिर में हर कोई अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार सेवा करता है। इनकी सेवा से मंदिर का वातावरण और भी भक्तिमय हो जाता है।
मंदिर में मौजूद है खूबसूरत कमल का तालाब
मंदिर में एक बेहद खूबसूरत कमल का तालाब भी है, जिसे राष्ट्रीय दर्जे का तालाब माना जाता है। स्थानीय निवासियों का मानना है कि इस तालाब को करीब 12 साल पहले बनाया गया था। उस समय से लेकर आज तक इसकी मान्यता और पवित्रता लोगों के दिलों में गहराई से बसी है। इस तालाब के चारों ओर कई दुर्लभ प्रजाति के औषधियां पेड़-पौधे लगे हैं, जो इस तालाब को अलग बनाते हैं।
शरीर की बीमारियों को दूर भगाते हैं पेड़-पौधे
ऐसा माना जाता है कि इसके पास लगे हुए पेड़-पौधे हजारों साल पुराने हैं। इसी के साथ कदमखंडी के पेड़ और अन्य जड़ी बूटी वाले पेड़ों के बारे में माना जाता है कि इनका सेवन करने से शरीर की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। ये मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है बल्कि एक ऐतिहासिक धरोहर भी इसे शामिल किया गया है। ये जगह उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है, जो धर्म, प्रकृति और संस्कृति को साथ लेकर चलना चाहते हैं।
