Haryana Congress president: 18 साल बाद दलित की जगह OBC राव नरेंद्र को बनाया कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष, हुड्डा विपक्ष के नेता

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कांग्रेस ने हरियाणा में राव नरेंद्र सिंह को बनाया प्रदेशाध्यक्ष व भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विधायक दल का नेता।
हरियाणा में कांग्रेस ने दलित प्रदेशाध्यक्ष उदयभान सिंह को हटाकर OBC राव नरेंद्र को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंप दी है। हुड्डा को फिर CLP लीडर बनाया गया है। 18 साल तक लगातार प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी दलित के हाथों में थी।

Haryana congress president : हरियाणा कांग्रेस में करीब 10 माह से प्रदेशाध्यक्ष और विधायक दल का नेता चुनने को लेकर चल रहे कयासों पर सोमवार को विराम लगाते हुए इनकी घोषणा कर दी गई। जैसा कि एक सप्ताह पहले ही अंदेशा जताया गया था कि कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के लिए दक्षिण हरियाणा के बड़े नेता व पूर्व मंत्री राव नरेंद्र सिंह का नाम फाइनल हुआ है, अब उस पर मुहर लग गई है। वहीं, विधायक दल के नेता के तौर पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा को फिर कमान सौंपी गई है। कुल 37 में से अधिकतर विधायकों ने हुड्डा पर ही सहमति जताई। ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने बिना कोई उलट फेर करते हुए उनका नाम ही फाइनल कर दिया।

बिहार बैठक में बुलाने पर शुरू हो गई थी चर्चा

पिछले सप्ताह बिहार में हुई कांग्रेस वर्किंग कमेटी CWC की बैठक में इन दोनों नेताओं को बुलाया गया था। यह खास इसलिए था क्योंकि वे इस कमेटी के मेंबर नहीं हैं। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा भी इस बैठक में शामिल हुए। वे भी इस कमेटी के मेंबर नहीं हैं। चर्चा है कि कांग्रेस के प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने हुड्‌डा का नाम कांग्रेस विधायक दल CLP नेता के रूप में प्रस्तावित किया था। काफी लंबे समय से नेता का चुनाव न होने की वजह से हर मंच पर कांग्रेस की किरकिरी हो रही थी। विधानसभा सत्र भी बिना विपक्ष के नेता के ही चले।

18 साल से दलित बनता आ रहा था प्रदेशाध्यक्ष


कांग्रेस के पिछले चार प्रदेशाध्यक्ष की बात करें तो सभी अनुसूचित जाति से थे। इनमें फूलचंद मौलाना, अशोक तंवर, कुमारी सैलजा और चौधरी उदयभान शामिल रहे। चौधरी उदयभान वर्तमान में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष थे। चौधरी उदयभान खुद अपनी सीट पर चुनाव हार गए थे। इसके बाद से ही उनको हटाने की चर्चाएं होने लगी थीं। अब एससी अध्यक्ष की परिपाटी से अलग चलकर ओबीसी को प्रदेशाध्यक्ष बनने का मौका दिया गया है। करीब 18 साल बाद दलित प्रदेशाध्यक्ष की स्थिति को बदला गया है।

राव नरेंद्र सिंह : ओबीसी वोट बैंक पर नजर

कांग्रेस ने दक्षिण हरियाणा में अपनी पकड़ मजबूत करने और OBC वोट बैंक के चलते राव नरेंद्र सिंह को प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी है। पार्टी इस रणनीति के तहत बिहार में हुए चुनाव में यादव समेत अन्य OBC समुदायों पर भी ध्यान दे रही है। दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़ और गुरुग्राम जिले अहीर बाहुल्य क्षेत्र हैं। इस क्षेत्र में कुल 11 विधानसभा सीटें हैं। भाजपा ने 2014 में यहां सभी 11 सीटें जीती थीं, 2019 में 8 और हाल के 2024 विधानसभा चुनाव में 10 सीटें जीती थीं। कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट आई। दक्षिण हरियाणा में मजबूत OBC नेतृत्व होने से पार्टी को क्षेत्र में अपनी पैठ बनाने में मदद मिलेगी। एक अन्य कारण यह भी है कि राव नरेंद्र सिंह किसी विशेष गुट से नहीं जुड़े हैं। इससे प्रदेश अध्यक्ष के चयन में किसी गुट द्वारा विरोध की संभावना कम रहती है। यह संदेश भी जाता है कि पार्टी अब गुटबाजी से ऊपर उठकर नेतृत्व तय कर रही है।

जानिए कौन हैं राव नरेंद्र

राव नरेंद्र सिंह ने 3 बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने 1996 और 2000 में अटेली से चुनाव जीता। वहीं, 2009 में नारनौल से विधायक बने। वे 2009–2014 के दौरान हरियाणा सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे। पहले वे हरियाणा जनहित कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते और बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके पिता स्व. राव बंसी सिंह भी 3 बार विधायक रहे और पंचायत मंत्री भी रहे। वे हरियाणा प्रदेश कांग्रेस कमेटी में प्रदेश महासचिव रह चुके हैं।

48 साल बाद अहीरवाल को कमान

कांग्रेस ने करीब 48 साल बाद अहीरवाल के किसी नेता को प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी है। राव नरेंद्र सिंह से पहले राव निहाल सिंह 1972 से 77 तक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे थे। इसके बाद किसी नेता को यह जिम्मेदारी नहीं मिली है। राव इंद्रजीत के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से इस इलाके में कांग्रेस कमजोर रही है। हालांकि तेज तर्रार नेता कैप्टन अजय यादव की मौजूदगी कांग्रेस की ओर से अहीरवाल में रही है। इस बार उनके बेटे चिरंजीवी राव चुनाव नहीं जीत पाए थे।

37 में से 31 विधायकों ने हुड्डा का लिया था नाम

पिछले वर्ष 18 अक्टूबर को चंडीगढ़ में हुई मीटिंग में ऑब्जर्वरों के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद अजय माकन, पंजाब नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा और छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव मौजूद थे। करीब डेढ़ घंटे चली इस मीटिंग में ऑब्जर्वरों ने विधायक दल के सभी सदस्यों से वन-टू-वन बातचीत कर उनके मत जाने। कुल 37 में से 31 विधायक हुड्‌डा को नेता बनाने के पक्ष में थे। तभी से लगभग मुहर लग चुकी थी कि हुड्डा को भी चुना जाएगा।

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