भिवानी: पंचायत बोली- मनीषा को न्याय मिलने पर ही होगा अंतिम संस्कार, दो दिन के लिए इंटरनेट बंद

मीडिया को जानकारी देते मनीषा के पिता।

भिवानी में विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र ग्रामीण।
हरियाणा के भिवानी जिले की लेडी टीचर मनीषा की मौत का मामला एक जटिल और संवेदनशील मुद्दे में बदल गया है, 11 अगस्त को घर से निकलने के बाद 13 अगस्त को उसका शव मिला था। इस घटना के बाद से ही परिवार और ग्रामीण लगातार इसे हत्या का मामला बताते हुए न्याय की मांग कर रहे हैं। हालांकि, पुलिस इसे आत्महत्या करार दे रही है, जिससे ग्रामीणों में और भी आक्रोश है। सोमवार रात को प्रशासन से हुई लंबी बातचीत के बाद, यह खबर आई कि परिवार अंतिम संस्कार के लिए राजी हो गया है, लेकिन मंगलवार सुबह इस मामले में एक बड़ा मोड़ आ गया। मनीषा के पिता संजय ने एक वीडियो जारी कर आरोप लगाया कि उन पर दबाव डालकर सहमति ली गई थी, और वे अब भी मानते हैं कि उनकी बेटी आत्महत्या नहीं कर सकती।
पिता के आरोप और ग्रामीणों का कड़ा रुख
पिता संजय ने अपने नए वीडियो में स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें पुलिस की जांच पर विश्वास नहीं है। उन्होंने कहा मेरी बेटी कभी आत्महत्या नहीं कर सकती, मुझे उस पर इतना विश्वास है। प्रशासन कह रहा है कि उसने आत्महत्या की है, लेकिन मैं इसे नहीं मानता। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन ने कमेटी पर दबाव बनाया और फिर कमेटी ने उन पर अंतिम संस्कार के लिए सहमति देने का दबाव डाला। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अपनी बेटी को न्याय दिलाने के लिए उनका साथ दें।
पिता के इस बयान के बाद गांव में स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। ग्रामीणों ने एक आपातकालीन पंचायत बुलाई और सर्वसम्मति से यह तय किया कि जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता, तब तक मनीषा का अंतिम संस्कार नहीं होने दिया जाएगा। बड़ी संख्या में ग्रामीण, जिनमें महिलाएं भी शामिल हैं। सभी ने गांव ढाणी लक्ष्मण के एंट्री गेट पर डेरा डाल दिया है। वे कह रहे हैं कि वे पुलिस की सख्ती और मुकदमों का सामना करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे बिना इंसाफ के पीछे नहीं हटेंगे।
दो दिन तक इंटरनेट बंद रहेगा
बढ़ते तनाव और संभावित अफवाहों को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने भिवानी और चरखी दादरी जिलों में 19 अगस्त की सुबह 11 बजे से 21 अगस्त की सुबह 11 बजे तक मोबाइल इंटरनेट और बल्क एसएमएस सेवाओं को बंद करने का आदेश दिया। सरकार ने अपने आदेश में कहा कि सोशल मीडिया पर भड़काऊ सामग्री फैलने से कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। हालांकि, इस कदम से भी ग्रामीणों का गुस्सा कम नहीं हुआ है। उनका मानना है कि सरकार इस तरह से उनके विरोध को दबाने की कोशिश कर रही है।
पुलिस और प्रशासन की सफाई
दूसरी तरफ प्रशासन और पुलिस अपनी जांच पर कायम हैं। सोमवार देर रात हुई बैठक में एसडीएम मनोज कुमार ने परिवार को यह बताया कि मनीषा के शरीर पर कोई भी ऐसा निशान नहीं मिला, जिससे रेप की पुष्टि हो सके। उन्होंने कहा कि सभी मेडिकल और फॉरेंसिक रिपोर्ट के बाद कमेटी और परिवार इस बात पर सहमत हुए थे कि यह आत्महत्या का मामला है। उन्होंने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा कि बेवजह पुलिस पर शक न करें, क्योंकि सभी चीजें तथ्यात्मक रूप से जोड़ी गई हैं।
पुलिस ने एक सुसाइड नोट मिलने का भी दावा किया है, जिसकी लिखावट मनीषा की लिखावट से मेल खाने की बात कही गई है। भिवानी के एसपी सुमित कुमार ने बताया कि बॉडी से किसी तरह का सीमन नहीं मिला और खुले में पड़ी बॉडी की आंख और गर्दन जानवरों ने नोच रखी थी। इन सब बातों को पुलिस अपनी थ्योरी के समर्थन में पेश कर रही है।
पूरा समाज मनीषा के लिए खड़ा हो गया
इस मामले में केवल परिवार ही नहीं, बल्कि पूरा समाज मनीषा के लिए खड़ा हो गया है। किसान नेता रवि आजाद जैसे कमेटी सदस्यों ने भी प्रशासन से निष्पक्ष जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि समाज इस कठिन समय में परिवार के साथ मजबूती से खड़ा है और उन्हें अकेला नहीं छोड़ा जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि बीते छह दिनों से चल रहा धरना अब स्थगित कर दिया गया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि न्याय की लड़ाई खत्म हो गई है।
पूरी घटना का घटनाक्रम
मनीषा 11 अगस्त को घर से अपने स्कूल के लिए निकली थी। वह नर्सिंग कॉलेज में दाखिले के लिए फीस जुटाने के लिए एक प्ले-वे स्कूल में पढ़ाती थी और उसकी पहली सैलरी अभी आनी थी। उस दिन वह कॉलेज में एडमिशन का पता करने के लिए गई थी। 13 अगस्त को उसकी लाश मिली। परिवार ने तुरंत ही हत्या का आरोप लगाया और पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया कि उन्होंने गुमशुदगी की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई नहीं की। मनीषा के दादा रामकिशन ने भी मीडिया को बताया था कि उन्होंने पुलिस को सूचना दी थी, लेकिन पुलिस ने कहा था कि लड़की है, भाग गई होगी।
यह पूरा मामला अब एक बड़े सवाल के रूप में खड़ा है कि क्या एक दुखद घटना को आत्महत्या के रूप में बंद कर दिया जाएगा, या फिर जनता का दबाव पुलिस और प्रशासन को मामले की गहराई से फिर से जांच करने के लिए मजबूर करेगा। फिलहाल, गांव के एंट्री गेट पर ग्रामीणों का डेरा और पिता के भावुक बयान यह दर्शाते हैं कि मनीषा को न्याय दिलाने की यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।


