बदलाव: हरियाणा में चौथी से 8वीं तक के छात्रों को राहत, अब साल में सिर्फ दो बार होंगी परीक्षाएं

हरियाणा में साल में सिर्फ दो बार परीक्षाएं होंगीं।
हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले चौथी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। अब उन्हें शैक्षणिक सत्र के दौरान पहले की तरह तीन सेट (छात्र मूल्यांकन) परीक्षाएं नहीं देनी होंगी। विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में अब केवल अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं ही आयोजित करने का निर्देश दिया है, जिससे छात्रों और शिक्षकों दोनों पर पड़ने वाला बोझ कम होगा।
ऐसा था पुराना परीक्षा पैटर्न
पहले हरियाणा सरकार द्वारा चौथी से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए साल में तीन बार सेट (Student Assessment Test) परीक्षाएं ली जाती थीं। ये परीक्षाएं 20-20 अंकों की होती थीं और हर विषय के लिए अलग-अलग पेपर होते थे। उदाहरण के लिए, इस बार 28 जुलाई से सेट परीक्षाएं शुरू होनी थीं। इन सेट परीक्षाओं का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों की पढ़ाई का नियमित मूल्यांकन करना था, ताकि उनकी प्रगति को ट्रैक किया जा सके। हालांकि अनुभव से यह पाया गया कि इन परीक्षाओं में काफी समय लगता था। बार-बार परीक्षा आयोजित करने से न केवल विद्यार्थियों पर अनावश्यक दबाव बढ़ता था, बल्कि अध्यापकों का भी काफी समय परीक्षा के आयोजन और मूल्यांकन में चला जाता था, जिससे उन्हें पढ़ाने को कम समय मिल पाता था।
अब केवल दो मुख्य परीक्षाएं होंगीं
नए निर्देश के अनुसार अब विद्यार्थियों को पूरे शैक्षणिक सत्र के दौरान केवल दो मुख्य परीक्षाएं देनी होंगी।
1. अर्धवार्षिक परीक्षाएं : ये परीक्षाएं 40 अंकों की होंगी और आमतौर पर सितंबर माह के आसपास आयोजित की जाएंगी।
2. वार्षिक परीक्षाएं : ये परीक्षाएं 80 अंकों की होंगी और इनका आयोजन लगभग मार्च माह में किया जाएगा।
इन दोनों परीक्षाओं के अलावा विद्यार्थियों के कुल अंकों में 20 अंक अध्यापकों द्वारा आंतरिक मूल्यांकन (Internal Assessment) के आधार पर दिए जाएंगे। यह नया पैटर्न विद्यार्थियों के समग्र प्रदर्शन का मूल्यांकन करेगा, जबकि उन्हें अनावश्यक परीक्षा दबाव से मुक्त रखेगा।
शिक्षा निदेशालय का अहम निर्देश
विद्यालय शिक्षा निदेशालय ने इस संबंध में प्रदेशभर के सभी जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों (DEEO) को एक विस्तृत पत्र जारी किया है। इस पत्र में स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि विभाग द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2025-26 से कक्षा चौथी से आठवीं तक के विद्यार्थियों की केवल अर्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं ही ली जानी हैं। सभी DEEO को यह सुनिश्चित करने के लिए आगामी कार्रवाई करने को कहा गया है। यह कदम हरियाणा सरकार की शिक्षा नीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जिसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते हुए छात्रों के तनाव को कम करना है।
बच्चों और अध्यापकों के लिए एक सकारात्मक बदलाव
हरियाणा राजकीय अध्यापक कल्याण संघ के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामबीर ककराना ने इस फैसले का खुले दिल से स्वागत किया है। उन्होंने इसे बच्चों और अध्यापकों दोनों के लिए एक अच्छा कदम बताया। ककराना ने कहा कि इस निर्णय से बच्चों और अध्यापकों का बहुमूल्य समय बचेगा और विद्यार्थियों पर पड़ने वाला अनावश्यक बोझ भी कम होगा।
उन्होंने बताया कि साल में तीन बार सेट परीक्षाएं होने से काफी समय परीक्षा करवाने में ही चला जाता था। उनका मानना है कि वह समय बच्चों को पढ़ाई पर ध्यान देने और अध्यापकों को अधिक प्रभावी तरीके से पढ़ाने को मिलेगा। उन्होंने फैसले को उचित और छात्र हित में बताया, जिससे शिक्षा में भी सुधार की उम्मीद है। ये बदलाव छात्रों को रटंत विद्या से दूर कर अवधारणाओं को समझने और रचनात्मक सोच विकसित करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करने का अवसर देगा।
भविष्य की शिक्षा के लिए एक नया दृष्टिकोण
यह फैसला हरियाणा सरकार की शिक्षा के प्रति एक नए दृष्टिकोण को दर्शाता है, जहां छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और शिक्षकों की पढ़ाने की स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी जा रही है। बार-बार परीक्षाओं के दबाव से मुक्ति मिलने पर विद्यार्थी अपनी पढ़ाई का अधिक आनंद ले पाएंगे और शिक्षक अपने पाठ्यक्रम को बेहतर तरीके से पूरा कर पाएंगे। इससे शैक्षिक क्षेत्र में सुधार की उम्मीद है, जिससे कि छात्रों के लिए उज्ज्वल भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा। यह एक ऐसा कदम है जो शिक्षा प्रणाली को अधिक छात्र-केंद्रित और प्रभावी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है।
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