मनीषा केस: CBI को 10 दिन बाद भी नहीं मिला कोई सुराग, पुलिसकर्मी समेत कई लोगों से पूछताछ

Manisha Case
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मनीषा केस में अभी तक कोई सुराग नहीं मिले। 

जांच एजेंसी ने कई लोगों से पूछताछ की है, जिसमें दो डीएसपी, एक निलंबित पुलिसकर्मी, और चश्मदीद शामिल हैं। FSL टीम ने भी घटनास्थल का मुआयना कर सबूत जुटाए हैं।

भिवानी के ढाणी लक्ष्मण गांव की शिक्षिका मनीषा की मौत का रहस्य एक महीने बाद भी गहराता जा रहा है। इस मामले की जांच अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के हाथों में है, जो पिछले 10 दिनों से भिवानी में रहकर हर कड़ी को जोड़कर सच तक पहुंचने की कोशिश कर रही है, 13 अगस्त को गांव सिंघानी के खेतों में मनीषा का शव मिलने के बाद से ही यह मामला लगातार चर्चा में है और लोगों के मन में कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं।

घटनास्थल का बारीकी से मुआयना

सीबीआई ने इस केस की तह तक जाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। शुक्रवार को दिल्ली से एफएसएल (फोरेंसिक साइंस लैब) की टीम के साथ सीबीआई की टीम गांव सिंघानी पहुंची। टीम ने उस खेत का बारीकी से निरीक्षण किया, जहां मनीषा का शव मिला था। इस दौरान मौत से जुड़े अहम सबूतों को जुटाने का प्रयास किया गया।

जांच के दौरान सीबीआई ने घटनास्थल पर कई महत्वपूर्ण लोगों को बुलाकर उनसे पूछताछ की। इनमें तोशाम और लोहारू के डीएसपी समेत सस्पेंड की गई पुलिसकर्मी शकुंतला भी शामिल थीं। इसके अलावा बकरी पालक और चश्मदीद सत्यपाल, खेत मालिक पवन, खेत के साझेदार सांझी और शव को सबसे पहले देखने वाले ईश्वर से भी घटना से जुड़े सवाल-जवाब किए गए।

चश्मदीदों के बयान

बकरी चराने वाले चश्मदीद सत्यपाल ने बताया कि सीबीआई ने उसे फोन कर मौके पर बुलाया था। उसने उस दिन की पूरी घटना सीबीआई को बताई कि उसने शव को कैसे देखा और उसके बाद क्या हुआ। सत्यपाल के साथ-साथ खेत मालिक और साझेदार से भी घटना के बारे में जानकारी ली गई। पुलिस ने पहले ही घटनास्थल को सील कर दिया था ताकि कोई सबूत नष्ट न हो। उन्होंने घटनास्थल से जुड़ी सभी तस्वीरें और वीडियो सीबीआई को सौंप दिए हैं, ताकि जांच में कोई रुकावट न आए। इससे पहले भी, सीबीआई की टीम मनीषा के परिवार के सदस्यों, प्ले स्कूल संचालक, नर्सिंग कॉलेज संचालक और लाइब्रेरी संचालकों से पूछताछ कर चुकी है।

इसलिए CBI को सौंपा गया केस

मनीषा 11 अगस्त को अपने घर से प्ले स्कूल पढ़ाने के लिए निकली थीं, लेकिन वह वापस नहीं लौटीं। दो दिन बाद 13 अगस्त को उनका शव गांव सिंघानी के खेतों में मिला। यह मामला शुरू से ही विवादों में रहा, क्योंकि पुलिस ने एक सुसाइड नोट दिखाकर इसे आत्महत्या बताया था। हालांकि, मनीषा के परिवार और ग्रामीणों ने इसे मानने से इनकार कर दिया। उनका मानना था कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि हत्या का मामला है। लोगों के लगातार विरोध और न्याय की मांग के चलते, आखिरकार इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई।

सीबीआई ने इस मामले में हत्या समेत कई धाराओं के तहत FIR दर्ज की है, 3 सितंबर से सीबीआई की टीम भिवानी में रहकर हर पहलू से इस केस की जांच कर रही है। अब तक की जांच में किसी पर भी सीधा शक नहीं जा रहा है, जिससे केस और भी उलझ गया है। यह देखना बाकी है कि क्या सीबीआई इस उलझी हुई गुत्थी को सुलझाकर मनीषा की मौत के पीछे का सच सामने ला पाती है।

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