अंबाला में जलभराव: CM सैनी ने किया औचक निरीक्षण, नुकसान की भरपाई के लिए खोला ई-क्षति पोर्टल

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अंबाला में जलभराव क्षेत्रों का दौरा करते मुख्यमंत्री नायब सैनी। 

मुख्यमंत्री बाढ़ और जलभराव से प्रभावित इलाकों हसनपुर और नग्गल क्षेत्र में रुके। बता दें कि टांगरी नदी में आए उफान से इन इलाकों में भारी नुकसान हुआ था। सीएम ने अधिकारियों को जलभराव की समस्या का तुरंत समाधान करने के निर्देश दिए।

हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने रविवार को अंबाला में बाढ़ और जलभराव से प्रभावित इलाकों का अचानक दौरा किया। वे हिसार जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही रुककर उन्होंने हसनपुर और नग्गल क्षेत्रों में पानी भरे हुए हालात को देखा। मुख्यमंत्री के इस औचक दौरे की जानकारी पहले से अधिकारियों को नहीं थी, जिसके चलते मौके पर तुरंत सुरक्षा और व्यवस्था की तैयारी की गई।

टांगरी नदी ने मचाई तबाही

हाल ही में अंबाला की टांगरी नदी में आठ दिनों के भीतर दो बार भारी उफान आया था। नदी के ओवरफ्लो होने से आसपास की कई कॉलोनियां पूरी तरह से पानी में डूब गईं, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। हालांकि, अब पानी धीरे-धीरे उतर रहा है, लेकिन लोगों के घरों और संपत्तियों को भारी नुकसान हुआ है। सीएम सैनी ने निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को इस समस्या का तुरंत समाधान करने के निर्देश दिए।

ई-क्षति पोर्टल से मिलेगी मदद

मुख्यमंत्री ने अंबाला के लोगों को राहत देने के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। उन्होंने बताया कि बाढ़ और जलभराव से हुए नुकसान की भरपाई के लिए 'ई-क्षति पोर्टल' खोल दिया गया है। इस पोर्टल पर सभी प्रभावित लोग अपने नुकसान का विवरण दर्ज करा सकते हैं, ताकि सरकार की तरफ से उन्हें उचित मुआवजा दिया जा सके। यह पोर्टल लोगों को अपनी क्षति की जानकारी सीधे सरकार तक पहुंचाने का एक आसान और पारदर्शी तरीका है, जिससे मदद जल्दी और सही लोगों तक पहुंच सके।

नेताओं और अधिकारियों के साथ बैठक

निरीक्षण के दौरान, पूर्व मंत्री असीम गोयल और भाजपा जिलाध्यक्ष मंदीप राणा भी मौके पर मौजूद रहे। सीएम ने उनके साथ-साथ स्थानीय अधिकारियों से भी बात की और जल निकासी की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए जरूरी दिशा-निर्देश दिए। सीएम सैनी का यह दौरा यह दर्शाता है कि सरकार अंबाला में बाढ़ की स्थिति को लेकर गंभीर है और जल्द से जल्द इसका समाधान निकालना चाहती है। इस तरह के औचक निरीक्षण से जमीनी हकीकत का पता चलता है और अधिकारियों पर भी काम का दबाव बनता है, जिससे राहत कार्य में तेजी आती है।

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