अंबाला मंदिर विवाद: 10 दिन बाद बजरंग दल की दखल से खुले कपाट

अंबाला के श्री गेंडामल मंदिर का ताला 10 दिन बाद बजरंग दल की दखल से खुला
X

अंबाला में मंदिर खुलने के बाद आरती करते पुजारी।

मंदिर को बंद देखकर, बजरंग दल के कार्यकर्ता मौके पर पहुंचे और दोनों पक्षों से बात कर ताले खुलवाए। उन्होंने कहा कि निजी विवादों के कारण धार्मिक स्थल को बंद नहीं करना चाहिए।

हरियाणा के अंबाला में स्थित धर्मशाला श्री गेंडामल मंदिर पिछले 10 दिनों से ताले में जकड़ा हुआ था। पुजारी और मंदिर ट्रस्ट के बीच खिंची रस्साकशी ने न सिर्फ श्रद्धालुओं की आस्था को आहत किया बल्कि जन्माष्टमी जैसे बड़े पर्व को भी धूमिल कर दिया। जब आस्था और विवाद आमने-सामने आए, तब बजरंग दल के हस्तक्षेप ने मंदिर के कपाट खुलवाए और पूजा-पाठ दोबारा शुरू हुआ। यह घटना एक गहरी बहस को जन्म देती है। क्या धार्मिक स्थल कभी निजी विवादों के बंधक बन सकते हैं?

पुजारी और ट्रस्ट के बीच का विवाद

मंदिर के बंद होने का कारण पुजारी पंडित मदन गोपाल और मंदिर ट्रस्ट के बीच चल रहा लंबा विवाद है। ट्रस्ट का आरोप है कि पुजारी मंदिर और धर्मशाला पर अवैध रूप से कब्जा करना चाहते हैं। वहीं, पुजारी की पत्नी किशोरी देवी ने ट्रस्ट के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि उनके पति पिछले 40 साल से इस मंदिर में पुजारी का काम कर रहे हैं और उनका परिवार धर्मशाला के 4 कमरों में रह रहा है।

किशोरी देवी के अनुसार ट्रस्ट के कुछ लोग धर्मशाला की जमीन और संपत्ति को बेचने या तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। जब उनके पति ने इस मामले में अदालत का रुख किया तो वे उनसे रंजिश रखने लगे। पुजारी की पत्नी ने यह भी आरोप लगाया कि उन लोगों ने उन्हें धर्मशाला से जबरदस्ती निकालने की धमकी दी। यह विवाद इतना बढ़ गया कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया और फिलहाल यह केस अभी भी विचाराधीन है।

14 अगस्त को मंदिर में दो ताले लगा दिए गए

यह विवाद तब और बढ़ गया जब 14 अगस्त को मंदिर में दो ताले लगा दिए गए। हैरान करने वाली बात यह है कि एक ताला मंदिर ट्रस्ट ने लगाया था, जबकि दूसरा ताला पुजारी ने खुद लगाया था। दोनों पक्षों की इस अड़ियल जिद के कारण मंदिर पूरी तरह से बंद हो गया। इसका सीधा असर वहां पूजा करने आने वाले भक्तों पर पड़ा, 10 दिनों तक मंदिर में कोई पूजा-पाठ नहीं हो सकी, और यहां तक कि हिंदुओं के सबसे बड़े पर्वों में से एक श्री कृष्ण जन्माष्टमी भी यहां नहीं मनाई जा सकी। इस घटना ने पूरे इलाके के लोगों को निराश कर दिया था।

लोगों ने बजरंग दल से संपर्क किया

जब स्थानीय लोगों और भक्तों ने देखा कि जन्माष्टमी जैसे शुभ अवसर पर भी मंदिर बंद है तो उन्होंने बजरंग दल से संपर्क किया। देर रात बजरंग दल के कार्यकर्ता देवीलाल की अगुवाई में मंदिर पहुंचे। उन्होंने दोनों पक्षों से बात की और उन्हें समझाया कि उनके व्यक्तिगत विवादों के कारण धार्मिक स्थल को बंद नहीं करना चाहिए। कार्यकर्ताओं के हस्तक्षेप के बाद दोनों पक्षों ने ताले हटाए और 10 दिनों बाद मंदिर के द्वार फिर से खुले। इसके बाद मंदिर में विधिवत रूप से पूजा-अर्चना की गई और प्रसाद भी बांटा गया। बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने यह सुनिश्चित किया कि मंदिर अब भक्तों के लिए खुला रहे और उनके आपसी झगड़े का असर आस्था पर न पड़े।

पुजारी के परिवार के गंभीर आरोप

पंडित मदन गोपाल की पत्नी किशोरी ने पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में कुछ और भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने बताया कि 14 अगस्त को कुछ लोग धर्मशाला में आए और उनके कमरों को बाहर से ताला लगा दिया। उस समय उनके पति और छोटा बेटा बाहर थे, लेकिन उन्हें और उनके बड़े बेटे को धर्मशाला के अंदर ही बंद कर दिया गया। किशोरी देवी ने आरोप लगाया कि उन लोगों ने उन्हें जान से मारने और बिजली-पानी बंद करने की धमकी दी। उन्होंने 112 नंबर पर फोन करके पुलिस को बुलाया, जिसके बाद पुलिस ने आकर दरवाजा खुलवाया। यह घटना दिखाती है कि विवाद कितना गहरा और खतरनाक हो चुका था।

यह मामला अभी भी कोर्ट में विचाराधीन है और अब देखना यह होगा कि क्या दोनों पक्ष इस घटना से सबक लेंगे और अपने विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाएंगे, ताकि मंदिर भक्तों के लिए हमेशा खुला रहे।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo

Tags

Next Story