सुनील ने आपदा को अवसर में बदला: दो एकड़ में ड्रेगन फ्रूट की खेती से लाखों कमा रहा 'डाटा ऑपरेटर'

Fatehabad
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भट्टूकलां क्षेत्र के गांव दैरूयड़ में अपने खेत में लगे ड्रेगन फ्रूट दिखाते सुनील कुमार।

सिविल अस्पताल के डाटा ऑपरेटर सुनील कुमार ने कोरोना काल में गेहूं व सरसों को ड्रेगन फ्रूट की खेती शुरू की। आज वह दो एकड़ में लाखों रुपये की कमाई कर रहा है।

हरियाणा में फतेहाबाद के गांव दैरूयड़ में जन्मे एमएससी पास सुनील कुमार बरड़वाल ने अपनी मेहनत, दृढ़ इच्छा शक्ति व नई सोच से आपदा को अपने लिए अवसर में बदल लिया। फतेहाबाद नागरिक अस्पताल में डाटा ऑपरेटर के पद पर कार्यरत सुनील ने कोरोना काल में कुछ नया करने की सोच के साथ अपने लिए संभावनाएं तलाशनी शुरू की। ड्रेगन फ्रूट की खेती का विचार मन में आया तो मोबाइल ऐप्स, कृषि विशेषज्ञों और ऑनलाइन सेमिनारों की मदद से जानकारी जुटाई। शुरुआत में कुछ मुश्किलें आई। जिनसे हार मानने की बजाय दृढ़ इच्छा शक्ति से आगे बढ़ा तो आज गांव व आसपास के किसानों के लिए खुद एक प्ररेणास्रोत बना गया है। मरूस्थल की दो एकड़ भूमि लाखों रुपये कमा रहे सुनील अब दूसरे किसानों को ड्रेगन फ्रूट की खेती करने की तकनीक बता रहे हैं।

केरल तक का किया सफर

सुनील ने गेहूं, कपास व सरसों की जगह अपनी एक एकड़ जमीन में ड्रेगन फ्रूट की खेती शुरू की। शुरूआत में आसपास के किसान उसे टोकते थे, परंतु उसने हार नहीं मानी। वह खेती की आधुनिक तकनीक सीखने के लिए केरल गया। जहां उसने ड्रेगन फ्रूट की उन्नत खेती करने वाले किसानों व विशेषज्ञों से सिंचाई, देखभाल और बाजार संभावनाओं का प्रशिक्षण लिया। आज सुनील कुमार के खेतों में लगे ड्रेगन फ्रूट के पौधे पूरी तरह फल देने लगे हैं। उनकी फसल न केवल उनकी आय का प्रमुख स्रोत बन चुकी है, बल्कि पूरे इलाके में प्रेरणा का केंद्र भी बन गई है। आसपास के गांवों के किसान अब उनके खेतों पर पहुंचकर ड्रेगन फ्रूट की खेती की तकनीक सीख रहे हैं।

अब खुद दे रहे प्रशिक्षण

सुनील कुमार ने बताया कि अब वह भी इच्छुक किसानों को प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दे रहे हैं ताकि क्षेत्र के अधिक से अधिक किसान इस उच्च-मुनाफे वाली फसल की ओर बढ़ सकें। ड्रेगन फ्रूट अपने स्वाद और स्वास्थ्य लाभों के कारण बाजार में लगातार लोकप्रिय हो रहा है। इसमें विटामिन-सी, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और शरीर को कई बीमारियों से बचाते हैं। बाजार में इसकी मांग सालभर बनी रहती है। जिससे किसानों को स्थिर आय मिलती है। सुनील बताते हैं कि शुरुआती लागत जरूर अधिक आती है, लेकिन एक बार पौधे लग जाने के बाद यह फसल कई वर्षों तक लगातार फल देती है और हर साल अच्छा मुनाफा सुनिश्चित करती है।

शुरूआती लागत एक लाख रुपये तक

ड्रेगन फ्रूट की खेती में शुरुआती लागत कुछ लाख रुपये तक जाती है, जिसमें पौधे, सीमेंट पोल, ड्रिप सिंचाई व्यवस्था और जैविक खाद का खर्च शामिल है। लेकिन यह फसल एक बार तैयार होने के बाद 10 से 15 वर्षों तक उत्पादन देती है, जिससे यह निवेश लंबे समय तक लाभदायक साबित होता है। सुनील कुमार का यह प्रयास आज क्षेत्र के किसानों के लिए एक जीवंत उदाहरण बन चुका है। उन्होंने यह दिखाया है कि सही दिशा, ज्ञान और मेहनत से कृषि को भी आधुनिक और लाभकारी व्यवसाय में बदला जा सकता है।

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