अग्निवीर समय सिंह: दो माह चार दिन बाद घर पहुंचा पार्थिव शरीर, राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार

Agniveer Samay Singh
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सेना के वाहन में ऐसे गांव कुर्थला पहुंचा अग्निवीर समय सिंह को पार्थिव शरीर।

पांच अगस्त को उत्तराखंड में बादल फटने से हर्षिल आर्मी कैंप से लापता हुआ था अग्निवीर समय सिंह, सेना के अधिकारियों ने सात अगस्त को दी थी परिवार को लापता होने की सूचना

हरियाणा में नूंह के गांव कुर्थला निवासी 19 वर्षीय अग्निवीर समय सिंह का शव शनिवार को दो माह चार दिन बाद गांव पहुंचा। जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ शव का अंतिम संस्कार किया गया। समय सिंह पांच अगस्त को बादल फटने से उत्तराखंड के हर्षिल आर्मी कैंप से लापता हो गया था। जिसके दो दिन बाद सेना के अधिकारियों ने परिवार को उसके लापता होने की सूचना दी थी। सर्च अभियान के बाद शव बरामद कर सेना शनिवार को गांव पहुंची तथा अग्निवीर का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया।




देश सेवा के लिए गया था बेटा

गांव कुर्थला निवासी अग्निवीर के पिता दलबीर सिह ने भावुक होते हुए कहा कि हमने बेटे को देश सेवा के लिए भेजा था। शायद भगवान को कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने कहा कि मात्र छह माह की ट्रेनिंग के बाद जवानों को इतने कठिन क्षेत्रों में तैनात करना उचित नहीं है। उन्होंने सरकार से अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार करने और इसे समाप्त करने की अपील की।

गरीब परिवारों के बच्चे हो रहे शामिल





अग्निवीर समय सिंह के पिता दलबीर सिंह ने यह भी कहा कि गरीब परिवारों के बच्चे मजबूरी में अग्निवीर योजना मंत शामिल हो रहे हैं। जबकि नेताओं के बच्चे इस सेवा से दूरी बनाए रखते हैं। उन्होंने युवाओं के घटते मनोबल का जिक्र करते हुए कहा कि इस योजना ने देश के युवाओं का उत्साह कम किया है। अंतिम संस्कार में 14 राइफल राज यूनिट के मेजर तिवारी, राजपूताना राइफल्स दिल्ली कैंट, गुरुग्राम और मानेसर एनएसजी कमांडो यूनिट के अधिकारियों के साथ - साथ जिला सैनिक बोर्ड और उजीना गांव की पूर्व सैनिक वेलफेयर एसोसिएशन ने हिस्सा लिया।

सर्च अभियान में शामिल थी कई टीमें

उजीना गांव के रिटायर्ड सैनिक करण सिंह ने बताया कि समय सिंह के लापता होने की खबर के बाद कई टीमें खोजबीन में जुटी थीं। डीएनए जांच के बाद उनके शव की पहचान हुई और परिजनों को सूचना दी गई। करण सिंह ने यह भी मांग की कि अग्निवीर योजना के तहत शहीद होने वाले जवानों के परिजनों को मिलने वाले मुआवजे में बढ़ोतरी की जाए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान पीड़ित परिवार की मांगें उनके समक्ष रखी जाएंगी।

मेवात की मिट्टी में रची-बसी देशभक्ति

कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने शहीद समय सिंह की शहादत को मेवात की मिट्टी में रची - बसी देशभक्ति का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि परिवार का इकलौता बेटा देश के लिए कुर्बान हुआ, इसलिए सरकार को जल्द से जल्द अधिकतम मुआवजा देना चाहिए। मुख्यमंत्री के कोऑर्डिनेटर मुकेश वशिष्ठ ने भी शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनकी शहादत को देश के लिए गौरवपूर्ण बताया।

शौर्य व बलिदान से भरा कुर्थला का इतिहास

कुर्थला गांव का इतिहास शौर्य और बलिदान से भरा है। मार्च 2015 में गांव की बहू लेफ्टिनेंट किरण शेखावत सैन्य अभ्यास के दौरान शहीद हुई थीं, जिनकी शहादत पर मेवात को आज भी गर्व है। समय सिंह की शहादत ने इस गौरवशाली परंपरा को और मजबूत किया है। उनका अंतिम संस्कार शहीद किरण शेखावत पार्क में पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। गांव वासियों ने कहा कि किरण दीदी की तरह समय भी अमर हो गया। हमारा गांव हमेशा देश के लिए कुर्बान होता रहेगा।

50 से अधिक लोग हुए थे लापता, पांच की हुई थी मौत

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में 5 अगस्त को हुई इस प्राकृतिक आपदा ने कम से कम 5 लोगों की जान ली और 50 से अधिक को लापता कर दिया। बादल फटने या ग्लेशियर झील के फटने से ट्रिगर हुई बाढ़ ने हर्षिल के आर्मी कैंप को बुरी तरह प्रभावित किया। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और सेना की टीमें दिन - रात सर्च ऑपरेशन में जुटी थीं। समय सिंह की शहादत ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे मेवात को गहरे शोक में डुबो दिया, लेकिन उनकी देशभक्ति और बलिदान की कहानी हमेशा प्रेरणा देती रहेगी।

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