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Swati Maliwal Attack On Vinai Saxena: दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल पर आरोप है कि उन्होंने DCW में नियमों की अनदेखी कर 223 कर्मचारियों की नियुक्ति की है। इस पर अब उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी है।

Swati Maliwal: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली महिला आयोग में कार्यरत 223 कर्मचारियों की सेवा समाप्त करने आदेश जारी किया है। आरोप है कि DCW की तत्कालीन अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बिना अनुमति इन सभी कर्मचारियों की नियुक्ति की गई और सभी नियमों की अनदेखी गई है। अब इसपर स्वाति मालीवाल की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। DCW की पूर्व अध्यक्ष ने कहा है कि उनके जिंदा रहते हुए महिला आयोग कभी बंद नहीं हो सकता है। 

महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि एलजी साहब ने DCW के सारे कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को हटाने का एक तुगलकी फरमान जारी किया है। आज महिला आयोग में कुल 90 स्टाफ है, जिसमें से सिर्फ 8 सरकार द्धारा दिए गए हैं, बाकि सभी कर्मचारी 3-3 महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। अगर महिला आयोग से सभी कर्मचारियों को हटा दिया जाएगा, तो महिला आयोग पर ताला लग जाएगा।

उन्होंने आगे कहा कि ऐसा क्यों कर रहे हैं ये लोग? ये महिला आयोग खून पसीने से बना है। उसको स्टाफ और संरक्षण देने की जगह आप जड़ से खत्म कर रहे हो? मेरे जीते जी मैं महिला आयोग को बंद नहीं होने दूंगी। मुझे जेल में डाल दो, महिलाओं पर जुल्म मत करो।

एलजी ने यह आदेश क्यों दिया 

एलजी विनय सक्सेना ने अपने आदेश में DCW ACT का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली महिला आयोग में केवल 40 कर्मचारियों को ही रखा जा सकता है, लेकिन एलजी की अनुमति के बिना 223 कर्मचारियों को कॉन्ट्रैक्ट पर रख दिया गया। आयोग के पास किसी भी कर्मचारी को नियुक्त करने का अधिकार नहीं है। एलजी ने यह आदेश पूरी प्रक्रिया को अपनाने के बाद ही जारी किया है। 

2016 से चला आ रहा यह विवाद

बता दें कि यह मामला सबसे पहले सितंबर 2016 में सामने आया था। दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने 10 सितंबर को दिल्ली महिला एवं बाल विकास विभाग (DWCD) को पत्र लिखकर बताया था कि DCW ACT 1994 के तहत 223 अतिरिक्त नियुक्तियां कर दी हैं। इस पर डीडब्ल्यूसीडी ने 27 सितंबर को डीसीडब्ल्यू के मेंबर सचिव को पत्र लिखकर चेताया था कि फाइनेंस डिपार्टमेंट और एडमिनिस्ट्रेशन की इजाजत के बगैर ये नियुक्तियां नहीं हो सकती हैं। इससे सैलरी का स्ट्रक्चर भी प्रभावित होगा। 

इसके बाद डीडब्ल्यूसीडी ने 5 अक्टूबर को दोबारा से पत्र लिखकर कहा कि इन नियुक्तियों के लिए एलजी की भी इजाजत नहीं ली गई है। डीडल्यूसी एक्ट का हवाला देते हुए डीडल्यूसीडी ने लिखा कि अगर महिला आयोग में नियुक्तियों की जरूरत है, तो सरकार ही मुहैया कराएगी। इसके बाद महिला आयोग ने 28 नवंबर को फिर से पत्र लिखा और बताया कि डीसीडब्ल्यू को चलाने में दिक्कत आ रही है। यह भी बताया कि एलजी की अनुमति के बिना नियुक्तियां कर दी हैं, इसके लिए अलग श्रेणियां बनाई हैं क्योंकि नियुक्तियों के समय कोई पोस्ट नहीं थी।

इसके बाद शुरू हुई कार्रवाई 

डीसीडब्ल्यू के इस जवाब के बाद कार्रवाई शुरू हो गई। दिल्ली महिला आयोग अध्यक्ष ने फाइनेंस डिपार्टमेंट से अनुमति नहीं ली थी, लेकिन डीसीडब्ल्यू के कर्मचारियों का वेतन रोक दिया गया। कर्मचारी इसके खिलाफ हाईकोर्ट चले गए। हाईकोर्ट ने कर्मचारियों का वेतन जारी करने का आदेश दिया। डीसीडब्ल्यूडी ने हाईकोर्ट को बताया कि महिला आयोग में नियमों और शर्तों का उल्लंघन कर कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। ऑडिट रिपोर्ट में भी गड़बड़ी मिली है। इसके बाद एंटी करप्शन ब्रांच ने केस दर्ज कर लिया। एलजी ने ऑडिट रिपोर्ट और डीडब्ल्यूसी मेंबर सेक्रेटरी के हलफनामे के आधार पर मामले की जांच के लिए कमेटी गठित कर दी। अब एलजी ने 223 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। 

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