Artificial Rain: दिल्ली में कृत्रिम बारिश के लिए केंद्र को चिट्ठी, कितना आएगा खर्च...क्या है पूरी प्रक्रिया

Delhi Pollution
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दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय।
Delhi Artificial Rain: दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए कृत्रिम बारिश का प्रस्ताव लाया गया है। चलिए बताते हैं कैसे होती है कृत्रिम बारिश, इसके लिए कैसा मौसम होना जरूरी है और एक बार बारिश कराने पर कितना खर्च आता है।

Delhi Artificial Rain: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से हाल बेहाल हो गया है। सरकार के तमाम कोशिशों के बाद भी दिल्ली का एक्यूआई 500 के पार जा चुका है, जो काफी खतरनाक जोन में आता है। इससे निपटने के लिए दिल्ली पर्यावरण मंत्री गोपाल राय को सिर्फ एक रास्ता सूझ रहा है, जो है कृत्रिम बारिश का। आज गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें दिल्ली के भीतर कृत्रिम बारिश कराने की मांग की गई है। इस मौके पर आज हम आपको बताने वाले हैं कृत्रिम बारिश कराने की क्या प्रक्रिया होती है और इसके लिए कितना खर्च आता है।

पिछले साल भी कराई जानी थी कृत्रिम बारिश

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगर केंद्र सरकार दिल्ली की राज्य सरकार के आदेश को स्वीकार कर लेती है, तो जल्दी ही कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। बता दें कि पिछले साल के 20 और 21 नवंबर को भी राजधानी में कृत्रिम बारिश कराई जानी थी, लेकिन किसी कारण से यह नहीं हो सका था, इसकी जिम्मेदारी आईआईटी-कानपुर को सौंपी गई थी। कृत्रिम बारिश कराने के लिए कई बातों को ध्यान में रखना पड़ता है, अगर उपयुक्त मौसम में बारिश नहीं कराई गई, तो लेने के देने पड़ सकते हैं।

कृत्रिम बारिश के लिए ऐसा होना चाहिए मौसम

कृत्रिम बारिश कराने के लिए काफी जरूरी है कि हवा अधिक तेज नहीं हे, इसके अलावा आसमान में 40 फीसदी बादल जरूर रहे। यह नंबर थोड़े-बहुत ऊंच नीच भी होते हैं, तो भी बारिश कराई जा सकती है। अगर हवा की गति तेज रही तो बारिश के लिए आसमान में छोड़े जाने वाले सिल्वर आयोडाइड, ड्राई आइस और साधारण नमक उड़कर दिल्ली से बाहर कहीं और चले जाएंगे और वहां बारिश होने लगेगी। इसलिए हवा की गति तेज होने पर कृत्रिम बारिश नहीं कराई जा सकती है।

कितने दिन रहेगा कृत्रिम बारिश का असर

कृत्रिम बारिश के लिए सिल्वर आयोडाइड को हाई प्रेशर वाले घोल का बादलों में छिड़काव किया जाता है, फिर ये हवा की गति की दिशा में खुद पूरे आसमान में फैल जाता है। यह काम बैलून, रॉकेट, ड्रोन या विमान से भी किया जा सकता है। वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि कृत्रिम बारिश प्रदूषण से बचने का स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन ये कुछ दिनों तक राहत जरूर दे सकता है। एक बार बारिश कराने के बाद वैसे तो 4-5 दिनों तक ही राहत मिलेगी, लेकिन अधिकतम 10 दिन मान सकते हैं, इसके बाद फिर से प्रदूषण का कहर देखने को मिलेगा।

एक बार बारिश कराने में कितना खर्च

बता दें कि अगर कृत्रिम बारिश का खर्च इस पर आधारित होता है कि हम कितने बड़े क्षेत्रफल में बारिश कराने वाले हैं। एक अनुमान लगाएं तो दिल्ली में एक बार कृत्रिम बारिश कराई जाने पर 10 से 15 लाख रुपये तक का खर्च आएगा। अब तक 53 देश कृत्रिम बारिश का सहारा ले चुका है। आईआईटी कानपुर इसका छोटे लेवल पर ट्रायल कर चुका है, जो कि सफल रहा था।

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